Monday, December 11, 2023

किसानों को हो रही थी दिक्कत, इस प्रोफेसर ने लोकल जुगाड़ से बना दिए अनेकों मशीन

आजकल लोगो का खेती के तरफ रुझान बढ़ा है। खेती में नए नए मशीन आए हैं जिससे किसानों को खेती करने में आसानी हुई हैं। इससे उनकी मेहनत भी कम हुई है और लागत भी उनका कम हुआ है। इसी कड़ी में आज हम आपको बताएंगे डॉ धर्मपाल सिंह दुंहु (Dr Dharmpal Singh Dunhu)के बारे में जिन्होंने अपने अविष्कारों से किसानों के लिए खेती को आसान बनाया हैं। डॉक्टर धर्मपाल सिंह उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौद शहर के रहने वाले हैं। इनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ है। इन्होंने अपने पढ़ाई भी कृषि विषय से ही की है। अपनी पीएचडी करने के बाद इन्होंने अपने शहर की जनता वैदिक कॉलेज में बतौर प्रोफेसर नौकरी ज्वाइन की। किसान परिवार से ताल्लुक रखने के कारण उन्हें बचपन से ही कृषि के क्षेत्र से लगाव रहा है। अपनी नौकरी के दौरान भी यह किसानों को सलाह दिया करते थे। इन्होंने किसानों की मदद के लिए कृषि एवं हर्बल गार्डन कल्याण ट्रस्ट स्थापना भी की थी।

वोकल कॉर्ड में परेशानी के कारण नौकरी से इस्तीफा दिया

धर्मपाल सिंह बताते हैं कि 8-9 साल पहले इन्हें गले में कुछ परेशानी हो रही थी। जब डॉक्टर को दिखाया तब डॉक्टर ने बताया कि इनके वोकल कॉर्ड में कुछ परेशानी है और इन्हें ज्यादा देर तक ना बोलने का सुझाव दिया। चूंकि डॉक्टर धर्मपाल सिंह शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े थे, उन्हें ज्यादा बोलना ही पड़ता था इसलिए इन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद इन्होंने पूरी तरह से कृषि के क्षेत्र में किसानों की मदद करने का फैसला लिया।

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सलाह देने के साथ खुद खेती भी करते हैं

धर्मपाल सिंह 25 वर्षों से कृषि के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। नौकरी से इस्तीफा देने के बाद यह पूरी तरह से इसी क्षेत्र में काम करने लगे। यह किसानों को सलाह देने का काम किया करते थे। यह किसानों को पारंपरिक खेती किस साथ कमर्शियल खेती करने का भी सुझाव दिया करते थे। यह किसानों से कहते थे कि वह अपनी पारंपरिक फसलों के साथ औषधीय फसलों जैसे शतावरी, सफेद मूसली या फिर एरोमेटिक फसलें जैसे पचौली, हल्दी की भी खेती करे। किसानों को सलाह देने के साथ ही डॉक्टर धर्मपाल सिंह खुद की पैतृक जमीन पर खेती भी करते हैं इन्होंने अपने खेत में सफेद मूसली और शतावरी की फसलें लगाई हैं।

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खुद खेती की तब किसानों की परेशानी समझ आयी

धर्मपाल सिंह बताते हैं कि किसानों को सफेद मूसली और शतावरी की खेती करने के लिए सलाह तो देते थे पर जब उन्होंने खुद इन फसलों की खेती की तब उन्हें किसानों की परेशानी समझ में आयी। इन्हें समझ आया कि आखिर क्यों किसान इन फसलों की खेती करने से कतराते हैं।सफेद मूसली और शतावरी खेती करने में मेहनत और लागत दोनों ज्यादा लगते हैं। वह आगे बताते हैं कि सफेद मूसली और शतावरी की एक एकड़ की खेती से 5 लाख रुपये की आय हो सकती है पर इसकी प्रोसेसिंग में ही 1 लाख रुपए तक का खर्च आता है।

बाजार में मशीन ना मिलने पर खुद खेती के लिए मशीन बना ली

यह कहते हैं कि उन्होंने इन फसलों की प्रोसेसिंग के लिए मशीन ढूंढने की कोशिश की। पर बाजार में अभी भी कृषि से जुड़ी मशीन बनाने वाली कंपनियां इन फसलों की प्रोसेसिंग की मशीन नहीं बना रही है। मशीन ना ढूंढ पाने के कारण डॉ सिंह ने इन मशीनों को खुद बनाने का फैसला किया। धर्मपाल सिंह ने अपनी कृषि की पढ़ाई के समय एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के विषय के बारे में पढ़ा था। उन्होंने कृषि से जुड़ी मशीनें बनाने का निर्णय किया

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मशीन बनाने के लिए खूब रिसर्च की

डॉ धर्मपाल सिंह ने 2014 में इन मशीनों को बनाने के लिए अपनी रिसर्च शुरू की। उन्होंने सबसे पहले किसानों की परेशानी को समझा, मशीनों की ड्राइंग बनाई उसके बाद उन मशीनों का डिजाइन और ब्लूप्रिंट तैयार किया। रिसर्च पूरी करने के बाद उन्होंने एक स्थानीय फैब्रिकेटर से मशीन बनाने के लिए संपर्क किया। उन्होंने मैकेनिक को जैसे जैसे बताया मैकेनिक ने उसी तरह मशीन बनाई।

अपनी बनाई मशीनों का खुद के खेत में परीक्षण किया

2018 में डॉक्टर धर्मपाल सिंह ने तीन मशीन बना ली सफेद मूसली पीलिंग एंड वॉशिंग मशीन, शतावरी पीलिंग एंड वॉशिंग मशीन और सोलर पावर वीडर मशीन फॉर मल्टीक्रॉप। मशीनों का परीक्षण डॉ सिंह ने सबसे पहले खुद के खेत में लगी फसलों पर किया। इसके बाद उन्होंने और किसानों को इन मशीनों को इस्तेमाल करने को कहा।

मूसली और शतावरी बिलिंग एंड वाशिंग मशीन

डॉक्टर धर्मपाल सिंह बताते हैं कि सफेद मूसली और शतावरी की खेती में परेशानी यह थी कि इन फसलों की हार्वेस्टिंग के बादइनके जड़ का छिलका उतारना पड़ता है, जिसमें बहुत ही मेहनत लगती है और लागत भी ज्यादा आता है। इनदोनो मशीनों की मदद से किसान 5 हज़ार रुपए तक का खर्च कम कर सकते हैं। यह मशीन 1 घंटे में 200 किलो फसल को वॉश और पील करती है।

Doctor dharampal Singh dunhu

सोलर पावर वीडर मशीन फॉर मल्टी क्रॉप

डॉ सिंह बताते हैं कि खेतों में खरपतवार की समस्या बहुत होती है इन्हें खेतों से निकालने की प्रक्रिया को निराई-गुड़ाई कहते हैं। इस प्रक्रिया के लिए बाजार में अनेक मशीन है पर इन मशीनों की दिक्कत यह है कि यह पेट्रोल और डीजल से चलती है। एक तो पेट्रोल और डीजल महंगा है और दूसरा अलग अलग किस्म की फसलों के लिए अलग-अलग मशीन आती है। इस परेशानी से बचने के लिए डॉक्टर धर्मपाल सिंह ने सोलर पावर वीडर मशीन फॉर मल्टी क्रॉप का निर्माण किया है। इसकी खासियत यह है कि सौर ऊर्जा से चलती है।

अभी मशीनों के पेटेंट के लिए बात चल रही है

डॉक्टर धर्मपाल सिंह(Dr Dharmpal Singh) बताते हैं कि बीएचयू से इनकी मशीनों के लिए एक ग्रांट और पेटेंट ऑफर है, जिस पर अभी इनकी बातचीत चल रही है।
यह कहते है कि इनका उद्देश्य किसानों की मदद करना है। अगर किसी भी किसान को इनकी मदद की ज़रूरत हो तो वह इन्हें फ़ोन कर सकता हैं।

अगर आपको भी कृषि सम्बंधित सलाह की आवश्यकता हो तो आप 9917862313 पर सम्पर्क कर सकते हैं।