शुभम क्राफ्ट्स(Shubham crafts) सिर्फ एक स्टार्ट अप नही है बल्कि कई महिलाओं के सपनो का पंख हैं जो उन्हें आत्म निर्भर बना रहा हैं। शुभम क्राफ्ट्स की शुरुआत पूर्णिमा सिंह(Purnima Singh) ने 2018 में की थी। पूर्णिमा ने NIT कुरुक्षेत्र से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद तीन साल तक नौकरी भी की। पर इनका मन नौकरी मे नही लगता था। इनका सपना हमेशा से खुद का बिज़नेस शुरू करने का था।
शुभम क्राफ्ट्स शुरू करने की प्रेरणा
पूर्णिमा बताती है कि यह हमेशा से अपना व्यवसाय शुरू करना चाहती थी। अपने पति से हमेशा इस बारे में बातचीत करती थी। यह और इनके पति दोनों की यह चाहत थी कि वह पर्यावरण और समाज के लिए कुछ करें। इसी कड़ी में एक बार पूर्णिमा जयपुर ट्रिप पर गई थी जहां पर उन्होंने मानपुरा गांव के कुछ घरों में लोगों के जीवन जीने के तरीके को देखा। उन्होंने देखा कि यहां के लोग आज भी पारंपरिक तरीके से ही अपना जीवन यापन करते हैं। लोग आज भी पारंपरिक चीजों का ही इस्तेमाल करते हैं। यहीं से पूर्णिमा को अपने शुभम क्राफ्स स्टार्टअप की शुरुआत का आइडिया मिला।
शुभम क्राफ्ट्स( Shubham crafts)
पूर्णिमा बताती है कि शुभम का मतलब होता है शुभ और क्राफ्ट यानी कि हाथ का बना हुआ। शुभम क्राफ्ट्स की शुरुआत करने के पीछे का उद्देश्य पूर्णिमा का लोगों का ध्यान फिर से उनके पारंपरिक चीजों की तरफ खींचने का था। वह चाहती थी कि जो लोग आज प्लास्टिक, फाइबर जैसे समान का इस्तेमाल कर रहे हैं वह फिर से एक बार अपनी पारंपरिक चीजों को देखे और उनकी तरफ लौटे।
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महिलाओ को इससे जोड़ने में बहुत परेशानी आयी
पूर्णिमा बताती है कि शुभम क्राफ्ट्स की शुरुआत में सबसे बड़ी दिक्कत इस काम में महिलाओं को जोड़ना था। गांव की महिलाएं घर के बाहर कदम रखने को तैयार नहीं थी। पूर्णिमा कहती है कि यह उनकी खुशकिस्मती थी कि उनकी मुलाकात गांव की ही बिमला आंटी से हुई। बिमला के पति का कुछ समय पहले निधन हो गया था और उनके ऊपर उनके बाल बच्चों की जिम्मेदारी आ गई थी। वह अपने बेटे बेटियों को पढ़ाकर आत्मनिर्भर बनाना चाहती थी और इसके लिए उन्हें एक काम की तलाश थी। पूर्णिमा की बात सुनकर बिमला तुरंत काम के लिए तैयार हो गई और यही नहीं वह पूर्णिमा के साथ घर-घर जाकर महिलाओं को काम करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए जागरूक करने लगी। उन दोनों की ही मेहनत का परिणाम है कि जिस शुभम क्राफ्ट की शुरुआत मात्र तीन महिला कारीगरों के साथ हुई थी, आज इसमे तीन गांव की करीब 35 महिलाएं काम करती हैं।
शुभम क्राफ्ट्स के प्रोडक्ट्स की मांग विदेशो में हैं
पूर्णिमा कहती है कि यह भारत के पारंपरिक सामान है पर भारत के लोगों को लगता है कि यह कागज और मिट्टी से बने सामान को खरीदना पैसे की बर्बादी है
जब पूर्णिमा को भारत में इसके अच्छे ग्राहक नहीं मिले तब उन्होंने इसे विदेश में एक्सपोर्ट करने की बात सोची। आज शुभम क्राफ्ट्स के प्रोडक्ट्स की मांग कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में है।
इसका एक साल का टर्न ओवर करीब एक करोड़ रुपए हैं।
इनके उत्पाद पर्यावरण अनुकूल होते हैं
पूर्णिमा बताती हैं कि उनके उत्पाद पर्यावरण अनुकूल होते हैं। यह इको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स होते हैं जो कागज, कपड़े और बेकार पड़ी चीज़ों से बनते हैं। बेकार पड़ी चीजों पर महिलाएं खूबसूरत तरीके से कारीगरी कर इनके उत्पाद बनाती हैं।
पूर्णिमा सिंह(Purnima Singh) कहती हैं कि उन्हें अभी बहुत लंबा सफर तय करना है। अभी तो उनके काम की शुरुआत हुई है उन्हें अभी तो बहुत आगे बढ़ना है, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। अगर आप पूर्णिमा सिंह(Purnima Singh) से सम्पर्क करना चाहते है तो shubhamcrafts21@gmail.com पर नंगे ईमेल कर सकते हैं।