कहतें हैं कि अगर कोई कार्य सभी व्यक्ति मिलकर करें तो वह अगर मुश्किल भी हो तो आसान हो जाती है। बात अगर शासन या प्रशासन की हो तो यह सिर्फ अपने वोट के दौरान लोगों से बात करते हैं और उसी समय जनता को अहमियत देते हैं। आज की इस कहानी में हम आपको ऐसे गांव के लोंगो के बारे में बताएंगे जो खुद अपने गांव वालों की समस्या निवारण के लिए नदी पर बांध बना रहे हैं ताकि उस गांव के लोगों को इस पार से उस पार जा सकें।
बिहार के किऊल और लखीसराय के बीच बिना सरकार की मदद के एक विकास का काम किया जा रहा है जो कि वहां के लोग और जन सहयोग से हो रहा है। गुरुवार को क्यूल नदी पर अस्थाई पुलिया बनाने का काम शुरू किया गया है इस बात को मीडिया ने बहुत जोर-शोर से कुछ दिन पहले हीं उठाया था क्योंकि उस पुलिया से केवल 1 गांव ही नहीं बल्कि 20 गांव की आबादी जुड़ी हुई है और यह काम शासन-प्रशासन का है। लेकिन सरकार का उसमें कोई भागीदारी नहीं है। इस कारण वहां के स्थानीय निवासी नदी के पानी को पारकर और जोखिम उठाकर अपना सफर पूरा करने में लगे हैं।
पिछले गुरुवार से इस नदी पर अस्थाई पुलिया बनाने का काम शुरू किया गया है। वहां के स्थानीय लोग अगर उस पर जाना है तो नदी पार कर जाते या रेलवे पुल की मदद से इस रास्ते को पार करते थे जो कि दोनों बहुत खतरनाक है। प्रशासन की तरफ से कोई मदद ना मिलने पर उन्होंने खुद हीं पुलिया बनाने का फैसला किया। देखते-देखते सारे लोग पुलिया बनाने में जुट गए। ऐसा नहीं है कि यहाँ के नदी के पास रहने वाले लोगों की यह समस्या नई है। यह समस्या सालों-साल से चली आ रही है।
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प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती है। यह एक गांव की बात होती तब यह कहा जा सकता कि प्रशासन का इस पर ध्यान नहीं है उस पुलिया से लगभग 20 गांव की आबादी जुड़ी हुई है। इस पर हर साल वहां के स्थानीय लोग पुलिया का निर्माण करते हैं और वह बाढ़ में नष्ट हो जाता है।
जनसहयोग से बन रही इस अस्थाई पुलिया का निर्माण लगभग 2 दिनों में पूरा होने की आशा है। इससे वहां के लोगों का आवागमन का जो खतरा है वह समाप्त हो जाएगा। लेकिन यह कोई स्थाई उपाय नहीं है। फिर अगला वर्ष आएगा, फिर पुलिया नष्ट हो जाएगा इसे सरकार को या शासन प्रशासन को अच्छे से समाधान करना चाहिए जिससे लोगों की समस्या दूर हो।