हम अक्सर सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात को बेशकीमती चीजें मानते हैं लेकिन कभी यह नहीं सोचते कि हमारे कटे हुए बाल भी बेशकीमती चीजों में से हीं एक हो सकता है। आज की इस कहानी में हम जानेंगे हमारे कटे हुए बाल के बारे में जिसे हम अपने सर से अलग होने के बाद छूना भी पसंद नहीं करते हैं, उसकी कीमत शायद सोने-चांदी से भी ज्यादा है। इन बेकार बालों के जरिए 2 उद्यमी ने एक बङा कारोबार स्थापित किया है। आईए जानते हैं कि क्या है यह दिलचस्प कहानी…
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कटे हुए बाल जिन्हें हम बेकार समझकर कचरे में फेंक देते हैं वे सिर्फ बिकते हीं नहीं हैं बल्कि इसकी नीलामी भी होती है। जिसकी कीमत बालों की लंबाई पर निर्भर करता है।
कटे हुए बालों की कीमत
बालों की कीमत उसके लंबाई के अनुसार लगाई जाती है। 20-28 इंच के बालों की कीमत ₹20000 से ₹40000 प्रति किलो है, वहीं 50 इंच के बाल लगभग ₹70000 किलो बिकते हैं। हालांकि सबसे कम कीमत में बिकने वाले बालों की कीमत भी ₹10000 किलो है।
कैसे आया बालों से कारोबार का आइडिया
दो उद्यमी शिल्पा गुप्ता और आशीष धवन एक छोटे से कंपनी में नौकरी करके अपना सामान्य जिंदगी जी रहे थे। एक बार ये दोनों अपने परिवार के साथ तिरुपति बालाजी दर्शन करने गए जहां वे लोगों को अपना बाल दान करते हुए देखे। इसे देखकर उन्हें लगा कि दान में मिले हुए बाल फेंक दिए जाते होंगे लेकिन इन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि इन बालों की कीमत करोड़ों में होती है।
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उसी वक्त से वे बालों से कारोबार करने के बारे में सोंचे और कानपुर लौटकर फेंके गए बेकार बालों को फैशन की दुनिया से जोड़ दिया। डिज़ाइनर हेयर स्टाइल तैयार करके एक्सपोर्ट में कदम रखे। बहुत कम समय में उनका यह नायाब कारोबार अमेरिका और यूरोप में भी प्रचलित हो गया। मात्र 27 वर्ष की उम्र में दोनों युवाओं का बालों का कारोबार $8 लाख तक पहुंच गया। साथ हीं इन्होंने कानपुर के फजलगंज और आंध्र प्रदेश में बाल बनाने वाली फैक्ट्री भी खड़ी कर दी।
शिल्पा और आशीष का परिचय
ग्रेजुएट शिल्पा(Shilpa) दिल्ली(Delhi) की रहने वाली है और आशीष कानपुर के सरोजिनी नगर के निवासी हैं, आशीष(Ashish) भी MBA और LLB की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं। तिरुपति बालाजी से लौटने के बाद दोनों ने इंटरनेशनल साइंस का भी अध्ययन किया और बालाजी में जाकर रिसर्च भी किए। साथ हीं मार्केट का फीडबैक भी लिया, जिससे उन्हें पता चला कि यूरोप और अमेरिका के साथ भारत में भी डिजाइनर हेयर की काफी डिमांड है। इस मांग में उन्हें बेहतर बिजनेस दिखा और वे बालों से कारोबार की शुरुआत कर लिए। आज उनके यहां बालों से बनी हर चीजें बनाई जाती हैं जैसे- टॉपर्स, ब्लंड्स या विफ्ट हेयर, सिर के खाली जगहों को बालों से भरने से लेकर केरोटीन, विग और भौहें भी असली बालों से बनाते हैं।
बालों से कारोबार नहीं था आसान
सिर से अलग हुए बालों को फैशन की दुनिया से जोड़ने का काम इतना आसान नहीं है। सिर से अलग हुए बाल को कोई भी कहीं भी संभाल कर नहीं रखता जिससे उसकी क्वालिटी भी सही नहीं रह जाती। दान के दौरान सिर से हटाए गए बालों को भी जैसे-तैसे रख दिया जाता है, जिससे वे आपस में ही उलझ जाते हैं और कई तरह के बाल मिक्स भी हो जाते हैं साथ हीं साथ काफी गंदे भी हो जाते हैं। सबसे पहले इन बालों की फैक्ट्री में क्लीनिंग की जाती है उसके बाद उन बालों का अनेकों तरह के शेप दिए जाते हैं, जिनमें बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के डिजाइनर बाल तैयार किए जाते हैं।
आधुनिकीकरण के साथ कारोबार को जोड़ने का है लक्ष्य
फैशन के इस बदलते दौर में आजकल मैचिंग का काफी प्रचलन है। ड्रेस कलर के साथ बालों का कलर भी मैच करना भी खूब प्रचलन में है। ज्यादातर लोग बालों को अलग-अलग कलर नहीं करवाना चाहते हैं उनके लिए ब्राइडल हेयर, ब्लांड और रंग-बिरंगे बाल काफी मददगार साबित होता है। असली बालों से तैयार किए गए प्रोडक्ट की वैलिडिटी 1-4 साल की होती है, जिसकी अमेरिका और यूरोप में काफी ज्यादा मांग है। वहां के लोग कपड़ों के रंग और रोजमर्रा की जिंदगी में विग पहनते हैं जो फैशन का स्टेटस बन गया है।
शिल्पा और आशीष ने यह साबित कर दिया कि कचरे और बेकार की चीज़ें भी किसी की जिंदगी बदल सकती हैं यदि हम उन्हें सही इस्तेमाल करें तब।
The Logically शिल्पा और आशीष के प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा करता है।