एयर इंडिया (Air India) की महिला पायलट की एक टीम को दुनिया के सबसे लंबे हवाई मार्ग पर उत्तरी ध्रुव (North Pole) के ऊपर उड़ान भरने का मौका दिया गया है। ये महिलाएं 17 घंटे की लंबी कॉमर्शियल उड़ान भरकर अमेरिकी शहर सैन फ्रांसिस्कों (San Francisco) से भारत के बेंगुलुरु (Bengaluru) आने वाली है। एयर इंडिया की यह सबसे लंबी नॉन स्टॉप कॉमर्शियल फ्लाइट का संचालन होगा।
11 जनवरी को पहुंचेंगी अपने देश
इस दल में चार महिला पायलट कैप्टन जोया अग्रवाल, कैप्टन पपागड़ी तनमय, कैप्टन आकांशा सोनवरे और कैप्टन शिवानी शामिल हैं। 16,000 किलोमीटर लंबे हवाई मार्ग पर ये चालक दल सैन फ्रांसिस्को से बोईंग विमान 777-200LR लेकर आ रहा है, जो 11 जनवरी की सुबह 3.45 बजे बेंगलुरु पहुंचेगा।
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भारत के लिए रवाना हो चुकीं हैं
यह उड़ान आज (9 जनवरी, शनिवार को) सैन फ्रांसिस्को से 8.30 बजे (स्थानीय समयानुसार) भारत के लिए रवाना हो चुकी है। 11 जनवरी, सोमवार को बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तड़के 3.45 बजे (स्थानीय समयानुसार) इसके लैंड करने की उम्मीद है।
अनुभवी पायलट ही जाते हैं ऐसी उड़ान के लिए
उड़ान की कमान एयर इंडिया की कैप्टन जोया अग्रवाल के हाथों में है। सबसे ख़ास बात है कि कैप्टन ज़ोया अग्रवाल की टीम में सभी महिलाएं ही है। इस मामले पर एयर इंडिया के एक अधिकारी ने बताया, ”नॉर्थ पोल के ऊपर से उड़ान भरना बहुत चुनौतीपूर्ण है. एयरलाइन कंपनियां इस रूट पर अपने सर्वश्रेष्ठ और अनुभवी पायलट भेजती हैं। इस बार एयर इंडिया ने पोलर रूट से होते हुए सैन फ्रांसिस्को से बेंगलुरु तक की यात्रा के लिए एक महिला कैप्टन को जिम्मेदारियां दी है।”
पहली बार महिलाओं को मिला ये मौका
एविएशन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नॉर्थ पोल के ऊपर से उड़ान भरना काफी तकनीकी है और इसके लिए स्किल और अनुभव की जरूरत होती है। भले ही एयर इंडिया के पायलट पहले भी पोलर रूट से उड़ान भर चुके हैं, लेकिन यह पहली बार होगा कि कोई महिला पायलट टीम नॉर्थ पोल के ऊपर से उड़ान भरेगी।
नॉर्थ पोल से कुछ ऐसे गुजरेगा विमान
चार चालक दल में शामिल कैप्टन पापागरी तनमय ने NDTV से कहा, “हमारी उड़ान का मार्ग सैन फ्रांसिस्को-सिएटल-वैंकूवर होगा और हम 82 डिग्री उत्तरी अक्षांश पर ऊंचाई में होंगे। तकनीकी रूप से, हम (उत्तरी) ध्रुव पर सही उड़ान नहीं भर रहे होंगे, लेकिन हम इसके ठीक बगल में होंगे। और फिर हम उसके दक्षिण में रूस में प्रवेश करेंगे फिर और सुदूर दक्षिण में बेंगलुरु तक पहुंचेंगे।”