जानवरों के संबंध में हमेशा से ही माना जाता रहा है कि वो आपको ‘अनकंडीशनल लव एंड डिवोशन’ (Unconditional Love and Devotion) यानि बिना कोई शर्त या समझौता किये सदा के लिए प्यार व भक्ति देते हैं। खासतौर पर कुत्तों को तो वफादारी का परिचायक माना जाता है। यह कहना बिल्कुल भी अतिश्योक्ति नही होगा कि अगर कुत्तों को सही दिशा में प्रशिक्षण दिया जाये तो वे एक जीवनरक्षक (Life Saver) का रोल निभाने की भी क्षमता रखते हैं। कई मामलों में यह भी देखा गया कि मुश्किल के समय में कुत्ता आपका सबसे बड़ा मददगार व साथी बनकर सामने आया है। कुत्तों में इन्हीं गुणों के चलते भारतीय सेना (Indian Army) द्वारा पहली बार अपने दो कुत्तों को व्यक्तियों में कोविड-19 महामारी का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित (Trained) किया गया है।
सेना द्वारा 2 कुत्तों को किया गया है प्रशिक्षित
दुश्मनों द्वारा छोड़े गये सुरागों को सूंघकर पहचानने अथवा उन्हें ट्रेस करने के लिए सेना में कुत्तों की भर्ती निहित की जाती है। ऐसे में हाल ही में भारतीय सेना द्वारा अपने दो कुत्तों – एक चिप्पीपराई( Chippiparai)और एक कॉकर स्पैनियल (Cocker Spaniel) को लोगों में कोविड-19 महामारी का पता लगाने की दिशा में ट्रेनिंग दी गई है।
भारत में पहली बार दी जा रही है कुत्तों को ऐसी ट्रेनिंग
बिमारियो का पता लगाने वाले कुत्तों को सेना के मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स (Medical Detection Dogs) के रुप में जाना जाता है। सेना के मुताबिक- “भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है जब सेना द्वारा अपने कुत्तों को कोविड-19 जैसी महामारी का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है”
रोगियों के पसीने व मूत्र के नमूनें के आधार पर कुत्ते लगाएंगे कोरोना का पता
सेना ने अपने इन दो कुत्तों को इस प्रकार प्रशिक्षित किया है कि अब वो किसी व्यक्ति के मूत्र व पसीने के सैंपल के बेस पर यह पता लगा सकेंगें कि वो कोरोना पॉज़िटिव है या नही। अपने ट्रेंड कुत्तों का ये हुनर दिखाने के लिए सेना ने 8 फरवरी को एक लाइव प्रदर्शन (Live Demonstration) भी रखा था।
संक्रमिक व्यक्ति के शरीर से रिलीज़ होने वाले बायोमार्करों के आधार पर कुत्ते लगाएंगे बीमारी का पता
मीडिया से हुई बातचीत में सेना ने बताया कि – “वैज्ञानिक रुप से स्पष्ट हो चुका है कि कोरोना संक्रमित बॉडी टिश्यूज़ विशेष प्रकार के वाष्पशील पाचन संबंधी बायोमार्कर्स(Unique Volatile Metabolic Biomarkers) रिलीज़ करते हैं जो कि मेडिकल डिटेक्शन के क्षेत्र में प्रशिक्षित कुत्ते(Medical Detection Dogs) द्वारा बीमारी का पता लगाने के लिए एक मापक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, हमने अपने इन 2 कुत्तों को यूरिन एंड स्वैट सैंपल से निकलने वाले बायोमार्करों के आधार पर कोविड-19 पॉज़िटीव रोगियों के पता लगाने के लिए अच्छे से प्रतिक्षण दिया है”
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कई बिमारियों का पता लगाते हैं सेना के मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स
सभी देशों की सेना में शुरु से ही Medical Detection Dogs की भर्ती की जाती रही है। ऐसे में भारतीय आर्मी का कहना है कि- “सेना ने कोविड -19 के खतरे को भांपते हुए कैंसर, मलेरिया, डायबिटीज़, पार्किंसस रोग(Parkinson’s Disease) आदि बिमारियों का पता लगाने के अलावा मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स को नियंत्रित परिस्थितियों में कोरोना पॉज़िटीव मरीजों का पता लगाने के लिए भी प्रशिक्षण दिया है”
कुत्तों को प्रशिक्षित करने के लिए कई जगह से लिये गये सैंपल्स
सेना में नियुक्त जानवरों के डॉक्टर का कहना है कि – “कोविड-19 के रोगियों का पता लगाने व एक कम्पेरिटिव स्टडी के लिए एक स्वदेशी चिप्पीपराई और एक कॉकर स्पैनियल कुत्ते को प्रशिक्षण देने पर विचार किया गया था, इसी उद्देश्य से आर्मी हॉस्पिटल, मेरठ छावनी और मेरठ स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस सुभारती मेडिकल कॉलेज से पॉज़िटीव व संदिग्ध नमूने मंगाये गये”
चिप्पीपराई और कॉकर स्पैनियल कुत्ते में पाई गई विशिष्ट क्षमता
सेना द्वारा की गई पहली ही टेस्ट प्रक्रिया में 279 यूरीन सैंपल्स और 267 स्वैट सैंपल्स की जांच की गई। जिस दौरान यह पता चला कि चिप्पीपराई और कॉकर स्पैनियल दोनों ही कुत्तों की संवेदन शक्ति व सूंघने की क्षमता जबरदस्त है। जिसके बाद 3000 नमूनों की जांच की गई जिसमें से 18 नमूने पॉज़िटीव पाये गये हैं।
इसी क्षेत्र में पता लगाने के लिए और भी कुत्तों को ट्रेनिंग दी जा रही है
प्रशिक्षित चिप्पीपराई और कॉकर स्पैनियल कुत्ते द्वारा किये गए इस टेस्ट ऑपरेशन में सफलता के बाद भारतीय सेना कोविड-19 का पता लगाने के लिए और अधिक कुत्तों को प्रशिक्षण देने के बारे में भी विचार कर रही है।
प्रशिक्षण के बाद कुत्तों को दिल्ली ट्रांसज़िट कैंप भेज दिया गया है
सेना का कहना है कि – “प्रशिक्षण के बाद कुत्तों को पारगमन शिविर (Transit Camp) के माध्यम से ट्रांज़िट एरिया में स्थानांतरित होने वाले रोगियों की स्क्रीनिंग के लिए दिल्ली के एक ट्रंसज़िट कैंप में भेज दिया गया है”
बीमारी के त्वरित और वास्तविक समय का पता लगाने में सक्षम हैं ये डॉग्स
कोरोना बीमारी के त्वरित और वास्तविक समय का पता लगाने में इस तरह कुत्तों का उपयोग सार्थक साबित हो रहा है। बेशक ही इस प्रयास का भविष्य में भी डिटेक्टेबल डिज़ीज सिग्नेचर (Ditectable Disease Signature) का हिस्सा बनने की उम्मीद है जिससे ट्रेंड मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स के इस्तेमाल से विभिन्न मेडिकल बिमारियों के पनपने के वास्तविक समय का पता लग सकेगा।
अन्य देशों में भी कुत्तों को इस काम के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है
सेना के मुताबिक – “वर्तमान में भारत के साथ-साथ अन्य कई देशों जैसे ब्रिटेन, फिनलैंड, रुस, फ्रांस, यूएई, जर्मनी, लेबनान जैसे विभिन्न देशों ने स्क्रीनिंग के द्वारा कोविड-19 का पता लगाने की दिशा में अपने कुतों को प्रशिक्षण देना शरु कर दिया है”