Wednesday, December 13, 2023

प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव के पावन स्वरुप को पूजने के लिए शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है

भारत के आध्यात्मिक उत्सवों की सूची में सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले ‘भगवान शिव की रात्रि’ यानि शिवरात्रि (Shivratri) के त्यौहार का अपना एक विशेष महत्व है। हिंदु मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व पवित्र फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। हिंदु पंचाग के हिसाब से इस वर्ष यह त्यौहार 11 मार्च को मनाया जाएगा।

पौराणिक परंपराओं के मुताबिक शिव को किसी देवता की तरह नहीं पूजकर उन्हें आदि गुरु माना जाता है जिनसे धरती पर ज्ञान उपजा। सहस्राब्दियों तक ध्यानमग्न रहने के बाद एक दिन भगवान शिव पूर्ण रूप से स्थिर हो गए वही ‘महाशिवरात्रि’ का दिन था।

हिंदु धार्मिक परंपराओं व आध्यात्म को मानने वाले लोग शिवरात्रि के त्यौहार को अलग-अलग दृष्टिकोण से मनाते हैं जैसे- पारिवारिक परिस्थितियों में मग्न लोग, महाशिवरात्रि को भगवान शिव के विवाह के उत्सव की तरह मनाते हैं। जबकि सांसारिक महत्वाकांक्षाओं में मग्न लोग, महाशिवरात्रि को शिव के द्वारा अपने शत्रुओं पर विजय पाने के दिवस के रूप में मनाते हैं। वहीं, साधकों के लिए यह वह दिन है जिस दिन शिव कैलाश पर्वत के साथ एकात्म होकर एक पर्वत की भाँति स्थिर व निश्चल हो गए थे।

 Lord Shiva

वहीं अगर भारत में ज्योतिर्लिंगों के अस्तित्व के संदर्भ में बात की जाये तो प्राचीनकाल से ही हिंदु धर्म पुराणों के अनुसार ये माना जाता रहा है कि भगवान शिव जहां-जहां स्वंय प्रकट हुए उन 12 स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग के रुप में पूजा जाता है। शून्य, आकाश, अनंत, ब्रह्रांड और निराकार परम पुरुष का स्वंभू प्रतीक होने के कारण इन्हे लिंग नाम से संबोधित किया गया है। शिवरात्रि के पावन पर्व पर The Logically इस लेख के माध्यम से आपको भारत के इन्ही 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कराने जा रहा है

केदारनाथ मंदिर

हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है। साथ ही इसे चार धाम और पंच केदार में भी एक माना जाता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर को पांडव वंश के जनमेजय ने कराया था।

लिंगराज मंदिर

लिंगराज मंदिर यह मंदिर भारत के ओडिशा प्रांत की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है। यह मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है।

अमरनाथ

अमरनाथ गुफा को भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।

 Lord Shiva

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

घृष्णेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक घृष्णेश्वर महादेव मंदिर है। यह अंतिम ज्योर्तिलिंग माना जाता है। यहां दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और हर प्रकार की सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग

महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है। यहां महाकालेश्वर की प्रतिमा दक्षिणमुखी है जिसे समय व मृत्यु के देवता के नाम से इन्हें जाना जाता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह मन्दिर महाराष्ट्र-प्रांत के नासिक जिले में हैं यहां के निकटवर्ती ब्रह्म गिरि नामक पर्वत से गोदावरी नदी का उदग्म हुआ है। गौतम ऋषि तथा गोदावरी के प्रार्थनानुसार भगवान शिव इस स्थान में वास करने की कृपा की।

मुरुदेश्वर ज्योतिर्लिंग

कर्नाटक में स्थित यह मंदिर अरब सागर के तट पर तथा मेंगलोर से 165 किमी दूरी पर अरब सागर में स्थित है। यहां पर लगी मूर्ति विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति है।

 Lord Shiva

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

गुजरात भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के परिसर में भगवान शिव की ध्यान मुद्रा में एक बड़ी ही मनमोहक अति विशाल प्रतिमा है।

सोमनाथ मंदिर

गुजरात इस शिव मंदिर को भी बारह ज्योतिर्लिंगो में से एक माना जाता है। य़ह मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख मंदिर में से एक है। ऋग्वेद के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चंद्रदेव ने किया था।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुर नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इसके बारें में मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान शिव ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।

वैद्धनाथ ज्योतिर्लिंग

देवघर बारह ज्योतिर्लिंग में एक ज्‍योतिर्लिंग का पुराणकालीन मन्दिर है जो भारतवर्ष के राज्य झारखंड में अतिप्रसिद्ध देवघर नामक स्‍थान पर स्थित है। पवित्र तीर्थ होने के कारण लोग इसे वैद्यनाथ धाम भी कहते हैं।