क्या आपको पता है कि कचरा भी आमदनी का अच्छा जरिया बन सकता है?
इस बात को सच कर दिखाया है हैदराबाद के सेरिलिंगाम्पल्ली, Greater Hyderabad Municipal Corporation (GHMC), की जोनल कमिश्नर हरी चंदना दसरी (Hari Chandana Dasari) ने। वह वर्तमान में एक आईएएस (IAS) ऑफिसर हैं। उन्होंने साल 2010 में यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में सफलता प्राप्त किया था।
695 महिलाओं को मिला रोज़गार
हरी चंदना दसरी रीसाइक्लिंग (Recycling) आंदोलन पर बहुत विश्वास करती हैं। इसके तहत उन्होंने एक सेल्फ-हेल्प (Self-help) ग्रुप बनाया है, जिससे अब तक वह 695 महिलाओं को रोजगार मिल चुका है। इसके तहत 195 महिलाएं कपड़े के बैग्स सिलती हैं और उन्हें बाज़ार मे बेच कर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। झुग्गियों से आए 400 महिलाएं जूट बैग्स बनाने का काम करती हैं।
रीसाइक्ल (Recycle) हुए प्लास्टिक का उपयोग
एक इंटरव्यू के दौरान हरी चंदना दसरी कहती हैं कि जब मैंने जवाहरनगर (Jawahar Nagar) के कूड़े के ढेर को पहली बार देखा, तब ही यह फैसला किया कि अगर इस वेस्ट को शुरूआती लेवल पर ही रीसाइक्ल (Recycle) किया जाए तो यह दोबारा इस्तेमाल में आ सकता है और इसके प्रयोग से प्रदूषण भी कम फैलेगा। हरी चंदना (Hari Chandana) बताती हैं कि रिसाइक्ल (Recycle) हुए प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत सी चीजों के लिए किया जा सकता है। जैसे- फर्नीचर, रूफिंग शीट्स, इंटीरियर आदि के लिए।
जूट बैग्स बेचकर महिलाएं कर रही है कमाई
महिलाओं द्वारा तीन कटलरी बैंक्स का संचालन भी किया जाता है। उन्हें बाजार में कम कीमत पर बेचा जाता है। हरी चंदना अपने इस मुहिम के जरिए प्लास्टिक इस्तेमाल को कम करना चाहती हैं। साथ ही महिलाओं को रोज़गार भी दिला रही है। वर्तमान में एमए नगर, स्टालिन नगर और मियापुर स्लम की कुछ महिलाएं प्लास्टिक के नेगेटिव प्रभाव की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं। सेल्फ-हेल्प समूह की एक मेंबर ममता ( Mamta) कहती हैं कि पहले मैं दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करती थी परंतु बहुत मुश्किलों के बाद आज मैं करीब 12 हज़ार रुपए कमा लेती हूं। अब ममता जूट बैग्स बेचकर अच्छी कमाई कर रही हैं।