रेलवे स्टेशनों, बस डिपो या फिर कैंटीनस् में कुल्हड़ में चाय तो आपने अक्सर ही पी होगी। लगती है ना किसी भी मंहगे कप या गिलास से ज़्यादा अच्छी कुल्हड़ वाली चाय? केवल टेस्ट ही नही, कुल्हड़ में चाय पीने का एक अन्य फायदा यह है कि जहां प्लास्टिक या पेपर कप में चाय पीकर उसे फेंक देना पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है वहीं मिट्टी के ये कुल्हड़ पूरी तरह से धरती में मिल जाते हैं।
ऐसे में कुल्हड़(Kulhad) के फायदों को देखकर अगर आप कमाई का कोई अन्य ज़रिया न होने की स्थिति में अथवा अतिरिक्त आय के लिए कुल्हड़ बनाने का व्यवसाय शुरु करना चाहते हैं तो हम आपको बता दें ये व्यवसाय आपसे न केवल बहुत कम निवेश की मांग करता है बल्कि वर्तमान में केंद्रीय सरकार (Central Goverment) इस बिजनेस के लिए आपको आर्थिक मदद का आश्वासन भी दे रही है जिसके लिए मोदी सरकार ने ‘कुम्हार सश्क्तिकरण योजना’ (Kumhar Sashktikaran Yojna) लागू की है।
केवल 5000 निवेश के साथ शुरु कर सकते हैं कुल्हड़ बनाने का व्यवसाय
यह हमारे भारत का एक प्यारा सच है कि यहां के निवासी चाय पीने के बेहद शौकीन हैं। रेलवे स्टेशनों, बस अड़्ड़ों, कॉलेज या ऑफिस कैंटीन अथवा हवाई-अड़्ड़ों पर लोग एक बड़ी मात्र में चाय पीते हैं। सर्दियों और बरसातों के दिनों में तो ये मांग और बढ़ जाती है ऐसे में अपनी आय बढ़ाने या आजीविका कमाने के एक साधन के रुप में केवल 5000 रुपये का निवेश और थोड़ी सी जगह के साथ आप ये बिजनेस शुरु कर सकते हैं।
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क्या है मोदी सरकार की ‘कुम्हार सश्क्तिकरण योजना’
पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने और कुल्हड़ के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पिछले दिनों सड़क एंव परिवहन मंत्री नितिन गड़करी (Nitin Gadkari) ने प्लास्टिक या कागज के कप में चाय बेचने पर रोक लगाने की मांग की है। जिससे बेशक ही ‘कुम्हार सश्क्तिकरण योजना’ को बढ़ावा मिलेगा। इस योजना के तहत केंद्र की मोदी सरकार देशभर के कुम्हारों को बिजली से चलने वाले चाक देगी जिससे कुम्हार कुल्हड़ समेत मिट्टी के अन्य बर्तन भी बना सकें। बाद में सरकार कुम्हारों से इन कुल्हड़ को अच्छी कीमत पर खरीद लेगी।
इस साल सरकार ने 25 हज़ार इलेक्ट्रिक चाक बांटे हैं
खादी ग्रामोद्योग आयोग(Khadi Graamodyog Aayog) के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना (Vinay Kumar Sexena) के मुताबिक- ‘कुम्हार सश्क्तिकरण योजना’ को बढ़ावा देने और वातावरण को प्रदूषित होने से रोकने के लिए की गई एक पहल के तौर पर केंद्र सरकार ने इस वर्ष 25 हज़ार इलेक्ट्रिक चाक वितरित किये हैं।
एक नज़र कुल्हड़ बिजनेस से होने वाली कमाई पर
केवल थोड़े से स्थान की आवश्यकता और 5000 रुपये के निवेश से जुड़ा ये बिजनेस पर्यावरण सुरक्षा की नज़र से बेहद उपयोगी है। अगर इन कुल्हड़ो के व्यवसाय से होने वाली आमदनी पर बात करें तो वर्तमान में चाय के कुल्हड़ का मार्केट रेट 50 रुपये सैंकड़ा, लस्सी के कुल्हड़ की कीमत 150 रुपये सैंकड़ा, दूध के कुल्हड़ की कीमत 150 रुपये प्रति सैंकड़ा और प्याली 100 रुपये सैंकड़ा है। बेशक ही मौसम में बदलाव के साथ इनकी मांग भी बढ़ती है जिससे आमदनी बढ़ने के भी पूरे चांस हैं। शहरों में कुल्हड़ वाली चाय की कीमत 15 से 20 रुपये भी होने लगी है। ऐसे में आपको एक दिन में 1000 रुपये तक की बचत हो सकती है।