Sunday, December 10, 2023

गांव की मिट्टी की सोंधी खुशबु के साथ कुम्हार द्वारा बनाये यह बर्तन आपको प्लास्टिक से छुटकारा दिला सकते हैं

आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधित हो सकती है । क्योंकि हमारे दैनिक जीवन में इस्तेमाल किए जाने वाले अधिकतर उपयोगी सामान प्लास्टिक, फाइबर और अन्य पदार्थों से बने होते हैं जो न केवल हमारे शरीर के लिए बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए भी हानिकारक हैं ।
बाजार से सब्जी लाने वाले थैले से लेकर उस सब्जी को धोने वाला बर्तन और फिर उस सब्जी को खाने वाला बर्तन यह सभी हमारे घर में प्लास्टिक से बने होते हैं जिसका नुकसान अनंत है। प्लास्टिक के बर्तनों को अधिक समय तक उपयोग करने के बाद कैंसर जैसी बीमारियों के होने की संभावना भी प्रबल हो जाती है । लेकिन मजबूरी बस हम अपने दैनिक जीवन में इन सामानों को उपयोग करते आ रहे हैं।

नए भारत में स्वास्थ्य और पर्यावरण को लेकर लोग चिंतित हैं और अलग-अलग तरह के विकल्प की तलाश में है । एक ऐसा ही विकल्प मिट्टी से बने बर्तन हैं , जो पूर्ण रूप से हमें प्रकृति के निकट रखता है और साथ ही इसके इस्तेमाल से ना ही शरीर को किसी तरह का नुकसान है और ना ही प्रकृति को।

बर्तन बनाने की प्रक्रिया

मिट्टी का बर्तन बनाने के लिए पहले एक विशेष प्रकार की मिट्टी ढूंढी जाती है जो अत्यंत टिकाऊ और स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होती है। इस मिट्टी को अच्छे से साफ करने के बाद बर्तन बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। एक बार बर्तन बन जाए तब उसे घिसकर खूबसूरत आकार दिया जाता है और फिर आग की भट्टी में तब तक जलाया जाता है जब तक यह पत्थर की तरह सख्त ना हो जाए।

मिट्टी के अनेकों बर्तन अब बाजार में उपलब्ध हैं

मिट्टी के बर्तनों को बनाने वाले कुम्हार अब हर तरह का बर्तन बना रहे हैं जिसमें कप, ग्लास प्लेट और यहां तक की पकाने के बर्तन जैसे प्रेशर कुकर और हांडी भी बनाया जाता है। इनकी मजबूती किसी भी चीनी मिट्टी वाले बर्तन से कम नहीं होती है।

आजकल मिट्टी से बने चाय के कुल्हड़ ट्रेंड में है मोड़-चट्टी पर पहुंचते हीं युवाओं का पहला पसन्द मिट्टी से बने चाय के बर्तन होते हैं जो उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। चाय के स्वाद के अनुसार साथ ही मिट्टी की सोंधी महक उसको स्वाद और भी बढ़ा देती है।

ग्रामीण स्तर पर आत्मनिर्भरता
मिट्टी के बर्तन के ट्रेंड में आने से अनेकों फायदे हैं जहां एक तरफ आम जनता को प्लास्टिक से छुटकारा मिलने के साथी स्वास्थ्य फायदे मिल रहे हैं , वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण स्तर पर इससे बृहद स्तर पर रोजगार के अवसर भी नजर आते हैं। भारत के अलग-अलग कोने में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले हजारों संख्या में कारगर अभी काम कर रहे हैं जो अपने साथ-साथ अपने परिवार वालों का भी भरण पोषण आसानी से कर पा रहे हैं।

मिट्टी के बर्तन का प्रयोग अपने आप में प्लास्टिक का अल्टरनेटिव है वृहद स्तर पर इसके उपयोग मात्र से ही प्लास्टिक का बहिष्कार अपने आप हो जाएगा और पर्यावरण कुछ हद तक प्लास्टिक मुक्त हो पाएगी । दूसरी तरफ इन बर्तनों के इस्तेमाल से हम चाइना जैसे दूसरे देशों पर आश्रित रहने के बजाय खुद के देश में बनने वाली प्रोडक्ट के इस्तेमाल को बढ़ावा देंगे और स्वदेशी भारत को सशक्त करने में सफल होंगे ।

Logically अपने पाठकों से आग्रह करता है कि मिट्टी से बने बर्तनों का इस्तेमाल वृहद स्तर पर करें अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करें।