वर्तमान में हम सभी स्मार्ट्फ़ोन का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में आपने मोबाइल में एक Bluetooth नामक ऑप्शन देखा होगा। ब्लूटूथ एक ऐसा टेक्नालॉजी है, जिसके माध्यम से बिना किसी तार की मदद से एक सीमित दूरी के इलेक्ट्रोनिक डिवाइस, जैसे कम्प्यूटर, फोन आदि को आपस में कनेक्ट किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल करके आप एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में डेटा भेज सकते हैं। आपने भी बहुत बार इसका प्रयोग किया होगा लेकिन क्या आपने कभी इसके नाम के बारे में सोचा हैं?
यदि आप ब्लूटूथ का हिंदी ट्रांसलेट करेंगे तो इसका अर्थ निकलेगा नीला दांत, जो सुनने में अजीब लगेगा। ऐसे में आइए जानते हैं ब्लूटूथ का नाम कैसे पड़ा और इसे ब्लूटूथ ही क्यों कहा गया?
कैसे पड़ा Bluetooth का नाम ब्लूटूथ?(How it named bluetooth)
ऐसे अधिकांश लोग होंगे जो यह सोचते होंगे कि इस नाम के पीछे कोई टेक्नोलॉजी जुड़ी होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस नाम को एक राजा के नाम पर रखा गया था, जिसका नाम Harald Gormsson था और इस राजा ने सन् 957 से 986 तक नार्वे और डेनमार्क पर शासन किया था। कई रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्लूटूथ नाम का सम्बंध नीले दांत से भी जुड़ा है।
राजा का एक दांत था नीला
बता दें कि कई रिपोर्ट्स के अनुसार यह साबित हो पाया है की, जैसा कि ब्लूटूथ की वेबसाइट पर भी इस राजा का जिक्र किया गया है। यह मध्ययुगीन स्कैंडिनेवियाई राजा (नार्वे, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देशों के राजाओं को स्कैंडिनेवियाई राजा कहा जाता है) था। दरअसल Haralrd Gormsson नामक राजा का एक दांत नीला था, जो डेड था अर्थात बेकार था। बेकार पड़े इस दांत को डेनमार्क के डेनिश भाषा में इसे “Blatonn” नाम दिया गया, जिसका अंग्रेजी अर्थ “Bluetooth” होता है।
कई रिपोर्ट्स के अनुसार इस तथ्य को बताया गया है सच (Reason behind naming Bluetooth)
इकोनॉमिक्स टाइम्स समेत अनेकों वेबसाइट्स में भी इस बात की पुष्टि की गई है कि राजा का एक दांत नीला था, जो बेकार था। यही कारण है कि उसे डेनमार्क की भाषा डेनिश में Blatoon कहा जाने लगा। वहीं कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, दांत से अन्य कहानी भी बताई जाती है। लेकिन यह तथ्य बिल्कुल सत्य है कि ब्लूटूथ का नाम राजा Harald के नाम पर ही पड़ा।
इस तथ्य का सत्य होने के पीछे का कारण यह भी है कि इस राजा ने डेनमार्क के स्कैंडिनेविया नामक स्थान पर पहला ब्रिज बनवाया था। इस ब्रिज की माप 5 मीटर लम्बीऔर 760 मीटर लम्बा था और उस समय इस ब्रिज का काफी इस्तेमाल होता था।
Bluetooth के मालिक ने क्यों रखा ब्लूटूथ नाम?(Why it named bluetooth)
अब सवाल यह आता है कि ब्लूटूथ के मालिक ने इस राजा के नाम ही ब्लूटूथ नाम कैसे रखा? ऐसे में बता दें कि Bluetooth के मालिक Jaap Heartsen, Ericsson कम्पनी में Radio System का काम करते थे। बताते चलें कि Ericsson के साथ नोकिया और इंटेल जैसी कंपनिया भी इस पर काम कर रही थी। इन कम्पनियों ने साथ मिलकर एक गठन तैयार किया और उसका नाम SIG रखा।
SIG गठन के तहत ही इंटेल के मालिक Jim Kardach ने राजा के बारे में जानकारी दी और उसी समय से ब्लूटूथ का नाम ब्लूटूथ रखा गया।
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