हम हमेशा भेड़ चाल चलना पसंद करते हैं. ऐसे वाक्य सुनने को मिलते हैं कि कोई safe side लेना बहुत जरूरी होता है. Career में वही चुनो जो सिक्योर (Secure) हो. खुद को Risk मे मत डालो, और भी न जाने क्या-क्या? लेकिन इतने कायरना प्रवृति के बाद भी कहानी वही लोग बनाते हैं जिन्होंने इसके उलट काम किया. समाज के विपरीत दिशा में के विपरीत रास्ता अख्तियार किया. आज कहानी ऐसे ही एक महिला की जिन्होंने धारा के विपरीत का मोड लिया और आज एक बड़े ब्रांड की मालकिन है. आइए जानते हैं ज्योति वाधवा बंसल के बारे में. ज्योति(Jyoti Wadhwa) आज Sanskriti Vintage की मालकिन है.
पति ने लिया जॉब छोड़ने का फैसला(Turning point in Jyoti Wadhwa Life)
कहानी तब शुरू होती है जब साल 2010 में उनके पति ने खुद का बिजनस करने की बात कहते हुए अंशुल बंसल ने अपने नौकरी को छोड़ने का फैसला लिया था.पति Yes Bank में वाईस प्रेसिडेंट थे. वो 2 साल की बेटी की माँ भी थीं. के साथ हंसी-ख़ुशी रहती थीं. सब कुछ बहुत smoothly चल रहा था. अब ज्योति को इस बात की चिंता सताने लगी कि अंशुल की कमाई से ही घर चल रहा था और उनके अचानक नौकरी छोड़ देने से सब कुछ बदलने वाला था.
Financial Insecurity ने प्रेरित किया कुछ करने को
ज्योति दिल्ली की रहने वाली थी और वहीं के मशहूर टैगोर इंटरनेशनल स्कूल से अपनी शिक्षा-दीक्षा को पूर्ण किया था. इसके अलावा ज्योति ने 2003 में Amity Business School से MBA किया और तीन साल तक था एक MNC में जॉब भी किया था. ज्योति के मन में यही उधेड़बुन चल रही थी कि financially secure होने के लिए उन्हें कुछ करना होगा. आर्थिक उतार चढ़ाव को संतुलित करने के लिए उन्हें कुछ करना था लेकिन उनके पास 2 साल की बच्ची लालन-पालन की भी जिम्मेदारी थी. इन दोनों को एक साथ लेकर चलना उनके लिए बड़ी चुनौती थी. लेकिन वो इस बात पर भी क्लियर थी कि उन्हें कुछ करना था.
केवल पचास हज़ार रु से अपने सफर को शुरू किया
बचत के नाम पर उनके पास केवल पचास हज़ार रु थीं. आत्मविश्वास कमजोर था पर ऐसे वक़्त में उन्होंने निराश होने की बजाय उन दिनों को याद किया जब शादी के बड़ा उन्होंने अपनी सेहत सुधारने के लिए नेचर कैंप ज्वाइन किया था और योग करके अपने आप को फिट बनाया था.
ज्योति बताती हैं कि खुद को फिट बनाना कोई बहुत बड़ी अचीवमेंट नहीं थी लेकिन इसने एक बात मेरे मन में बैठा दी कि , “ हर एक समस्या और हर एक समाधान मेरे अपने अन्दर है.”और इस सोच ने मुझे शक्ति दी कि ज़िन्दगी के इस दोराहे पर मैं अपना रास्ता ज़रूर ढूंढ लुंगी.
तब ज्योति(Jyoti Wadhwa)ने आँख बंद की और कहा –
I want to be successful, please Universe guide me to become successful- Jyoti Wadhwa (Founder- Sanskriti Vintage)
जब हौसला और इरादा पक्का हो तो इंसान के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं होता. ज्योति के वो 50 हजार करोड़ से कम नहीं थे. अपने पास जमा किये हुए 50 हज़ार रु लेकर वो अपने सपने को सच करने निकल पड़ीं. उन्हें सिल्क की साड़ियों का बिजनेस करना था. वो सिल्क की साड़ियों की खरीदारी करने के लिए निकल पड़ी. इसी पैसे से उन्होंने कुछ साड़ियाँ खरीदी और यहीं से 2010 में Ebay पर Sanskriti Vintage की शुरुआत हो गई.
इस काम के शुरुआत में ज्योति को की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. पहले कुछ महीनों तक कोई भी ऑर्डर नहीं मिला. इस बात का भी डर था कि कहीं पैसा डूब न जाए. लेकिन इन सब के बीच एक सकारात्मक चीज हो रहा था कि भले कस्टमर साड़ियाँ खरीद नहीं रहे थे पर हर रोज कुछ लोग उनके ऑनलाइन स्टोर पर विजिट कर रहे थे और उनके प्रोडक्ट्स की तारीफ़ भी कर रहे थे. धीरे-धीरे साड़ियों की बिक्री भी शुरू हुईं…इसके बाद भी चुनौतियाँ (Challenges) कम नहीं थी…
कस्टमर के टेस्ट के अनुसार साड़ी खरीदना, उसकी फोटो लेना…Site पर Upload करना… उसका Catchy Description लिखना….ये सब पहले बहुत मुश्किल…और फिर सारी चीजें आसान होती गई.शुरुआत में कोई Staf न होने के कारण ज्योति खुद ही अपनी बेटी (Daughter) के साथ लम्बी-लम्बी लाइनों में लग कर Postal Service के माध्यम से ग्राहकों को साड़ियाँ Ship किया करती थीं.
इसके अलावा बाजार (Market) जा कर अच्छी साड़ियाँ Select करना भी एक बड़ा Task था… पर ज्योति ने ये सब किया और अपने ऑनलाइन स्टोर का एक बच्चे की तरह ध्यान रखा.
कठिन वक्त और कठिन मेहनत(Jyoti wadhwa success journey)
किसी भी बिज़नेस में प्रतियोगिता कम नही होती है. यहां भी बहुत कम्पटीशन था. उस competion को ज्योति ने अपने सोच से मात दिया. शुरुआत में प्रोडक्ट का कम मार्जिन रखते हुए फ्री शिपिंग की सुविधा अपने ग्राहकों को दिया .जिस समय लोग 2mega pixel camera से फोटो खींच कर ebay पर Upload करते थे उस वक़्त ज्योति ने Dslr Camera का प्रयोग करना शुरू कर दिया. इसके अलावा जो सबसे बड़ा काम उन्होंने किया वो था- हरके custmer के feed back को गौर से पढ़ना औए उनकी डिमांड के अनुसार जनके चीजों को उपलब्ध करवानाइसका नतीजा ये हुआ कि पहले साल में ही उन्होंने 15 लाख रु की साड़ियाँ बेच दी और एक Employee भी रख लिया.
ज्योति बताती हैं – “मैंने अपने घर के एक कमरे से शुरुआत की थी, जहाँ मेरे पास एक कपड़े रखने के लिए एक अलमारी थी। छह महीने के अन्दर मैंने प्रोडक्ट्स की रेगुलर शिपिंग करने के लिए एक लड़की को काम पर रख लिया क्योंकि मैं लाइन में खड़ी हो कर अपना टाइम नहीं वेस्ट करना चाहती थी…. मुझे अपने ग्राहकों के लिए नए प्रोडक्ट्स खोजने और उन्हें खरीदने में टाइम लगाना था.”
2 साल के अन्दर उनका ये तेज़ी से दफ्तर पकड़ लेता है. उधर पति अंशुल बंसल का बिजनेस रफ़्तार नहीं पकड़ पा रहा था…इसलिए वे भी ज्योति का साथ देने साड़ियों के बिजनेस में आ गए. अब काम करने के लिए ज्योति ने नॉएडा में रेंटेड स्पेस ले लिया जहाँ से वे अब भी 30 लोगों की टीम के साथ काम करती हैं.आज उनकी टीम में Professional Photographers हैं, defect free product ही शिप हो यह ensure करने के लिए के स्टाफ हैं.
The Logically, ज्योति(Jyoti Wadhwa) को उनके इस सफलता के लिए ढेरों शुभकामनाएं देता है.