अगर किसी काम को लगन और मेहनत से किया जाए तो उस काम में सफलता जरूर मिलती है। हम आज एक ऐसे किसान के बारे में बताएंगे जो पहले कभी होटलों में बर्तन धोने का काम किया करते थे। वही किसान अपने पुरखों की जमीन पर लगन और मेहनत करके उस सफलता की ऊंचाई पर पहुंच गए हैं जो आज करोड़ों रुपए कमा रहे हैं।
सुखराम वर्मा
सुखराम वर्मा छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। इनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। इनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वे चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई कर पाए। घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण वह 14-15 साल की उम्र में ही काम की खोज में रायपुर चले गए। सुखराम वर्मा को वहां एक होटल में बर्तन धोने का काम मिला। वे कुछ महीनों तक उस होटल में बर्तन धोने का काम किए। परंतु उस होटल के मालिक ने उन्हें पैसे नहीं दिए तो सुखराम बर्मा अपने गांव वापस लौट आए। इसके बाद इन्होंने कुछ दिन बिजली विभाग में काम किया। इनका मन इस काम में भी नहीं लगा।
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शुरू की खेती
जब उनका मन किसी भी काम में नहीं लगा और सफलता नहीं मिली तो इन्होंने अपने पुरखों की जमीन पर खेती करने के बारे में सोंचा। इनके पुरखों की 6 एकड़ जमीन थी। इन्होंने इसी 6 एकड़ जमीन में अपना खेती करना शुरू कर दिया। सुखराम वर्मा अपनी कड़ी मेहनत और लगन से खेतों में काम करने लगे। सुखराम वर्मा अपने खेतों में फल और सब्जी दोनों की खेती करते थे। इन खेतों से जो फल और सब्जी प्राप्त होते थे वह बाजार में जाकर बेच देते थे जिससे इन्हें बाजार से अच्छा मुनाफा मिलता था। सुखराम वर्मा इस खेती से अच्छा मुनाफा देखकर इन्होंने आसपास के किसानों से जमीन खरीदना शुरू कर दिया। वे अन्य किसानों को भी खेतों में फल और सब्जी उगाने के लिए उत्साहित करते रहते थे।
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सुखराम वर्मा अपने घर के परिवारों को भी खेती करने के लिए कहते हैं। आज सुखराम वर्मा का पूरा परिवार इनके खेतों में काम करने मैं हाथ बढ़ाते हैं। सुखराम वर्मा के दो बेटे हैं और दोनों की शादी हो चुकी है। उनके पोते horticulture से MSC किए हुए हैं। इनके पोते को अच्छी-अच्छी कंपनियों से नौकरी करने के लिए काफी ऑफर आए परंतु सुखराम वर्मा ने अपने पोते को नौकरी करने से मना कर दिए। वे कहते हैं कि मैं अन्य किसानों को खेती करने के लिए प्रेरित करता हूं वैसे ही अपने परिवार वालों को भी खेती करने के लिए कहता हूं। वे कहते हैं कि आज हमारे खेतों में लगभग 30 से 40 लोग काम करते हैं।
सुखराम वर्मा कहते हैं कि अन्य फसलों के मुकाबले इन फलों और सब्जियों की खेती करने से ज्यादा मुनाफा होता है। अगर किसान धान की खेती करते हैं तो उन्हें लगभग ₹25 हजार रुपए एकड़ तक का लाभ मिलता है। परंतु फल और सब्जी की खेती करने से इसमें काफी ज्यादा मुनाफा होता है। वे कहते हैं कि इन फल और सब्जियों के दाम रातों-रात दुगनी और तिगुनी हो जाती है। इससे किसान को काफी ज्यादा लाभ मिलता है। सुखराम वर्मा सभी किसानों को फल और सब्जी की खेती करने का सलाह देते हैं।
सुखराम वर्मा इस खेती को करने के लिए कभी हार नहीं मानी। वे इस खेती को करने के लिए लगातार परिश्रम करते रहे आज सुखराम वर्मा के पास 80 एकड़ जमीन, गाड़ी और एक शानदार बंगला है। सुखराम वर्मा का इस फल और सब्जी की खेती से साल का लगभग 1 करोड़ रुपए का टर्नओवर है।
सुखराम वर्मा को इस लगन और परिश्रम से खेती करते देख छत्तीसगढ़ सरकार ने इन्हें 2012 में खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया।
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