हम जानते हैं कि, प्रकृति के द्वारा ऐसी अवधारणा बनी हुई है कि ज्यादा ठंडी के दिनों में किसी भी फसल का ग्रोथ नहीं होता है। फ़रवरी का महीना शुरु होते हीं बसंत का आगमन होता है तथा ठंड से ठिठूडे पेड़-पौधों का भी विकाश होने लगता है। वैसे फ़रवरी के महीनें में एक खास बात देखी जाती है कि किसान इसी महीने में कुछ किस्मों के सब्जियों का बुवाई शुरु कर देते हैं।
आज हम बात करेंगें कुछ ऐसी मुख्य सब्जियों के बारे में, जिसकी बुवाई फ़रवरी महीने में करके अच्छी उपज पाया जा सकता है। —Vegetables To Grow In summer In India.
तो आइए जानते हैं ऐसी मुख्य पाँच सब्जियों के बारे में जो कि फ़रवरी महीने में भी उगाई जा सकती है :-
- पालक (Spinach) पालक पोषण तत्वों से भरपूर होता है। इसकी सब्जियों में विटामिन ए और सी के साथ-साथ प्रोटीन और कैल्शियम, खेती के लिए आयरन, फास्फोरस आदि जैसे खनिजों से भरपूर होती हैं। पालक का प्रयोग सब्जी, सूप एवं भाजी आदि में किया जाता है। यदि प्रति हैक्टेयर की दर से अनुमान लगाया जाए तो 150 से 250 क्विंटल तक की उपज हो सकती है। इसकी फसल बहुत कम समय में की जा सकती है। पालक को एक या दो महीने की भीषण गर्मी को छोड़कर पूरे वर्ष महाराष्ट्र में उगाया जा सकता है
वैसे ठंड के मौसम में पालक की उपज बढ़ जाती है और गुणवत्ता अच्छी बनी रहती है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, गुणवत्ता बिगड़ जाती है। ऑल ग्रीन, पूसा पालक, पूसा ज्योति एवं पूसा हरित इसकी उपयुक्त किस्में हैं।
पालक की खेती में ज्यादा लागत नहीं लगती। यह कम समय में ही ज्यादा फायदा देने लगती है। एक बार पालक की बुवाई करें और उसी बुवाई से बार-बार पैसा कमा सकते हैं। आपको बता दें पालक की 5-6 बार कटाई की जाती है। इसके बाद लगभग 10 से 15 दिनों में दोबारा कटाई करने लायक हो जाता है।
- भिंडी (Ladyfinger) ग्रीष्म-कालीन भिंडी की खेती के लिए बुआई का सही समय अभी है। ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुआई फरवरी-मार्च में में की जा सकती है। भिंडी की उन्नत किस्मों में पूसा ए-4, परभनी क्रांति, पंजाब-7, अर्का अभय, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, हिसार उन्नत, वी.आर.ओ.- 6 शामिल है। भिंडी की बुवाई के लिए सिंचित अवस्था में 2.5 से 3 किलोग्राम तथा असिंचित दशा में 5-7 किलोग्राम प्रति हेक्टेअर बीज की आवश्यकता होती है।
संकर किस्मों के लिए 5 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की बीज दर पर्याप्त होती है। इसके बीज सीधे खेत में ही बोए जाते हैं। बीज बोने से पहले खेत को तैयार करने के लिये 2-3 बार जुताई करनी चाहिए। ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुवाई कतारों में करनी चाहिए।
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- लौकी (Gourd) सामान्य रुप से इसे कददू कहते हैं। इस फ़रवरी महीने में बुवाई वाले फसलों मे इसका स्थान प्रथम है। इसके हरे फलों से सब्जी के अलावा मिठाइया, रायता, कोफते, खीर आदि बनायें जाते हैं। इसकी पत्तिया, तनें व गूदे से अनेक प्रकार की औषधिया बनायी जाती है।
पहले लौकी के सूखे खोल को शराब या स्प्रिट भरने के लिए उपयोग किया जाता था इसलिए इसे बोटल गार्ड के नाम से जाना जाता हैं। लौकी की खेती के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
इसकी बुआई गर्मी एवं वर्षा के समय में की जाती है। यह पाले को सहन करने में बिलकुल असमर्थ होती है। इसकी खेती के लिए दोमट भुमि अच्छी होती है।
- खीरा (Cucumber) सलाद के रूप में सम्पूर्ण विश्व में खीरा का विशेष महत्त्व है। खीरा को सलाद के अतिरिक्त उपवास के समय फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा विभिन्न प्राकर की मिठाइयाँ भी तैयार की जाती है। पेट की गड़बडी तथा कब्ज में भी खीरा को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
खीरा में अधिक मात्रा में फाइबर मौजूद होता है। यह कब्ज़ दूर करता है। पीलिया, प्यास, ज्वर, शरीर की जलन, गर्मी के सारे दोष, चर्म रोग में लाभदायक है। खीरे का रस पथरी पेशाब में जलन, रुकावट और मधुमेह में भी लाभदायक है।
इसकी खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन आप अगर बहुत अच्छी पैदावार चाहते हैं, तो ऐसी जगह का चुनाव करना होगा जहां पानी की अच्छी निकासी वाली दोमट मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी हो। खीरे की खेती नदी या तालाब के किनारे भी हो सकती है। इसके लिए जमीन का पीएच 5.5 से लेकर 6.8 तक अच्छा माना जाता है।
- बैगन. (Brinjal) बैगन सभी प्रकार के भूमि मे उगाया जाता है लेकिन अच्छी पैदावार लेने के लिये अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि उपयुक्त होती है। पौधो की अच्छी वृध्दि के लिये मिट्टी का PH मान 5•5-6•0 के बीच होना चाहिये।
बैगन की खेती के लिए के लिए गर्म और नम जलवायु की आवश्यकता होती है तथा इसकी खेती पैदावार के लिए 15 डिग्री से 25 डीग्री तापमान अच्छा माना जाता है। 15 डीग्री से कम तापक्रम पर फूल आना बंद हो जाते है और 25 डीग्री ज्यादा से ज्यादा तापक्रम बढने पर भी फूल नही आते और यदि आते है तो गिर जाते है बैगन में बीजो का अकुरण 25 डीग्री पर अच्छा होता है। इसकी फसल पर पाले का बुरा असर पड़ता है। बैंगन में फलों के रंग तथा पौधों के आकार में बहुत विविधता पायी जाती है। —Vegetables To Grow In Summer In India.
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