चंडीगढ़ के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता ओमप्रकाश गांधी (Yamunanagar Social Activist Om Prakash Gandhi) को गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्मश्री पुरस्कार (Padma shree award) से सम्मानित किया गया है। वहीं पद्मश्री मिलने पर ओम प्रकाश गांधी ने केंद्र व प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि यह हजारों लोगों के सहयोग से संभव हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि कन्याओं की शिक्षा के लिए वह आगे भी कार्य करते रहेंगे और पद्मश्री मिलने पर यह खत्म नहीं हो जाता इसे और आगे बढ़ाना है। आपको बता दे की उन्हें ये पुरस्कार नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए व उसे और बेहतर करने के योगदान के लिए दिया गया है।
प्रोफेसर ओमप्रकाश गांधी को पद्मश्री से नवाजा गया
जब प्रो. ओम प्रकाश गांधी को राष्ट्रपति ने सम्मानित किया तो छात्रावास की स्टूडेंट्स व स्टाफ झूम उठे। संस्थान के अध्यक्ष एडवोकेट रघुबीर सिंह, प्रबंधक डॉ. यशपाल सिंह, पवन बटार, बहन शकुंतला सिंह ने बताया कि प्रो. गांधी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाना गौरव की बात है। वहीं भाजपा के नेताओं के द्वारा शहर में उनके सम्मान हेतु बड़े-बड़े होर्डिंग भी लगाए गए।
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ओमप्रकाश गांधी ने सामाजिक कार्यों की शुरुआत इस तरह की (Professor Om Prakash Gandhi social journey)
साल 1984 में ओमप्रकाश गांधी ने यमुनानगर के खदरी गांव में महिलाओं के बीच प्रशिक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक कन्या विद्या प्रचार सभा (Kanya Vidya Prachar Sabha) का गठन किया था। इसके बाद साल 1985 में उन्होंने देवधर गांव में 12 एकड़ भूमि पर लोगों से चंदा इकट्ठा करके कन्या गुरुकुल (गुर्जर कन्या विद्या मंदिर स्कूल) की स्थापना की.
ओम प्रकाश गांधी हरियाणा के यमुनानगर जिले के रहने वाले हैं। उनका जन्म यमुनानगर के माधोबास (Madhobas Village of Yamunanagar) गांव में एक फरवरी 1942 को हुआ था। इनके पिता का नाम रंजीत सिंह और मां का नाम कमला देवी था। ओमप्रकाश गांधी किसान परिवार से संबंधित थे और बहुत कम ही लोग यह जानते हैं कि ओम प्रकाश पोसवाल जिन्हें अब हम सब ओप्रकाश गांधी के नाम से जानते हैं उन्होंने रादौर के मुकंद लाल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से अपनी दसवीं की पढ़ाई पूरी की है। इसके बाद मेरठ विश्वविद्यालय जो की उत्तर प्रदेश में है वह से ओमप्रकाश ने भौतिकी में एमएससी पास की।
विद्यार्थी काल में महर्षि दयानंद सरस्वती के व्यक्तित्व व कृतित्व का ऐसा गहरा प्रभाव हुआ कि एक साधारण युवक ने असाधारण संकल्प लेकर समाज को दिशा देने का प्रयास शुरू किया. एमएससी भौतिकी करने के बाद ये सहारनपुर उत्तर प्रदेश के एक महाविद्यालय में प्रवक्ता पद पर प्रतिष्ठित हुए. कृषि महाविद्यालय में 20 साल तक सेवा देने के बाद उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था
President Kovind presents Padma Shri to Shri Om Prakash “Gandhi” for Social Work. Founder of Gurjar Kanya Gurukul Institute, he contributed tremendously in the field of girls’ education in village Devdhar, Haryana. pic.twitter.com/lTh6XZ2WS0
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 21, 2022
ओमप्रकाश अपनी विनम्रता, शालीनता, व्यवहार कुशलता और लोगों को संगठित करने की क्षमता के कारण अपने संकल्प को मूर्तरूप देकर 7 अप्रैल 1987 को गुर्जर कन्या विद्या मन्दिर का शुभारम्भ किया था। अपनी स्थापना से लेकर आज तक विद्यालय उन्हीं के प्रबंधन और मार्गदर्शन में प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
तत्पश्चात 1985 में ग्राम देवधर की 12 एकड़ भूमि पर कन्या गुरुकुल की स्थापना की। जो संस्था अब डिग्री कॉलेज का रूप ले चुकी है। अपनी सादगी व स्पष्टवादीता से प्रभावित करने वाले गांधीजी ने गांव-गांव घूमकर संस्था के लिए करोड़ों रुपए की राशि एकत्रित कर गुरुकुल संस्थान की स्थापना की। गांधी जी के प्रयासों से संस्था दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है।
The Logically के लिए इस लेख को मेघना ने लिखा है