हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जो प्रेरणा की ऐसी रेखा खींचते हैं जिसे अपनाकर अन्य लोग आगे बढ़ते हैं। उन्हीं लोगों में से एक हैं द माउंटेन मैन (The Mountain Man) दशरथ मांझी (Dashrath Manjhi) जिनके उपर पुस्तक लिखी गई और फिल्म भी बनी है।
आज उनके जैसा हीं एक और शख्स की बात करने जा रहे हैं जिनका नाम है दशरथ मार्डी (Dashrath Mardi) जो झारखंड के रहने वाले हैं। जैसे बिहार के गया के रहने वाले दशरथ मांझी ने ने पत्थर को काटकर रास्ता बना दिया था ताकि जो परेशानी उन्हें हुई वो किसी और को ना हो। बहुत से लोग उन्हें अपना गुरु मानकर ऐसे कार्य कर चुके हैं जो बेहद कठिन हैं। वैसा हीं कार्य झारखंड के दशरथ मार्डी ने किया है।
झारखंड के मॉन्टेन मैन
उन्हीं लोगों में से एक हैं दशरथ मार्डी (Dashrath Mardi) जिनका नाम और काम दोनों दशरथ मांझी से मिलता है। दशरथ मार्डी (Dashrath Mardi) झारखंड के द्वरिशोल ग्राम के निवासी हैं। उन्होंने पहाड़ को चीरते हुए सड़क का निर्माण किया है। इस सड़क के निर्माण से झारखंड के साथ बंगाल को लाभ मिल रहा है। इसके साथ लोगों ने उनका नाम झारखंड का मॉन्टन मैन (Jharkhand’s Mountain main) रख दिया है। -Dashrath Mardi from jharkhand built the road by cutting stones
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पत्थर काटकर बनाई सड़क
इसके निर्माण में यहां के ग्रमीणों ने भी अपना योगदान दिया है। इसके लिए उन्होंने लम्बी दूरी तय की है जो लगभग 7 किलोमीटर है। इस मार्ग का लाभ झारखंड, जयनगर, काकड़ीझरना, ढ़काई, बंगाल आदि गांवों को प्राप्त होगा। इससे पहले यहां के लोगों को झारखंड और बंगाल सीमा को पार करने में 45 किलोमीटर की चलना पड़ता जिसमें लगभग 2 घण्टा बीत जाता। तब जयनगर के निवासियों ने बैठकर मीटिंग किया और उन्होंने एकजुट होकर कान्हाइशोल पहाड़ को काटना प्रारंभ कर दिया जो आगे चलकर कच्ची सड़क बना। -Dashrath Mardi from jharkhand built the road by cutting stones
दशरथ मांझी से लिया प्रेरणा
दशरथ मार्डी (Dashrath Mardi) दशरथ मांझी को अपना प्रेरणा मानकर कदम आगे बढ़ाया। वह बताते हैं कि जब अकेले खुद के दम पर दशरथ मांझी अपने मेहनत के बदौलत पहाड़ को काटकर पथ का निर्माण सकते हैं तो हम सब एकजुट होकर ऐसा क्यों नहीं कर सकते?? वह कहते हैं कि हमारा भी खेत है जो कि पहाड़ के उस पार है इसीलिए अगर यहां सड़क का निर्माण हो जाता है तो हम यहां खेती कर अनाज उपजा सकते हैं। इसीलिए हम लोगों ने यह कार्य शुरू किया और हमें सफलता भी मिली। -Dashrath Mardi from jharkhand built the road by cutting stones
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5 वर्ष में बनकर तैयार हुआ रास्ता
इस रास्ते का बनना बेहद जरूरी था क्योंकि यही से बंगाल के काकड़ी झरना ग्राम के लोगों को अस्पताल जाना पड़ता था। ये अस्पताल चाकुलिया में है जिस कारण जितनी जल्दी यहां रास्ते का निर्माण हो जाता उतना अच्छा था। परन्तु ये काम कोई आसान नही था जो पल भर में पूरा हो जाए। इसे पूरा करने में लगभग 5 वर्ष का समय लगा क्योंकि ये सारा काम किसी भी मशीना द्वारा नहीं आदमी के मेहनत द्वारा पूरा हुआ।-Dashrath Mardi from jharkhand built the road by cutting stones
वैसे तो यह रास्ता कोई पक्का रास्ता नहीं है, कच्चा ही है परंतु यह यहां के लोगों के लिए आज आयात और निर्यात का साधन बन चुका है। लोग आने जाने के लिए यहां हमेशा तैयार रहते हैं और निर्माण के कारण यहां हमेशा भीड़ रहती है। लोगों का यह मानना है कि सरकार अगर हमारे लिए इस रास्ते को पक्का कर दें तो ये हमारे लिए सोने पर सुहागा हो जाएगा। –Dashrath Mardi from jharkhand built the road by cutting stones