भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां के लोग खेती करने में खूब दिलचस्पी दिखाते हैं। आज हम आपको मिलवा रहे हैं केरल (Kerala) के सिजो (Sijo) से जो एक दक्षिण भारतीय (South Indian) हैं जो यूएई (UAE) में जन्में और पले-बढ़े हैं लेकिन आज वे अपनी कृषि के माध्यम से स्टार बन चुके हैं। आईए जानते हैं उनके प्रयासों को…
इनके पिताजी किसान परिवार से हैं और थोड़े से ज्ञान के साथ उन्होंने घर के किनारे कुछ पौधे लगाए, जैसे कि पुदीना, मोरिंगा, करी पत्ता, एलो वेरा, टमाटर, टैपिओका, खरबूजा, भारतीय पालक, शकरकंद। गर्मी के कारण और पर्याप्त ज्ञान नहीं होने के कारण इनके फसल बहुत कम उपजा करती थी। लेकिन यह हमेशा अपने काम का आनंद लिया करते। सिजो ने बताया कि यह पल उनके पिता के साथ की सबसे प्यारी यादें हैं। यह अपने पड़ोस में अच्छी तरह से जाने जाते है क्योंकि वे अपने बीजों, मोरिंगा और टैपिओका को उन सभी के साथ साझा करते हैं जो उनके बगीचे में नज़र रखते हैं।
सिजो एक एयरक्राफ्ट इंजीनियर हैं
इन्होंने U.K में एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग(Aircraft Engineering) में अपने स्नातक करने के लिए चुना और वहाँ पाया कि स्थानीय रूप से उगाए गए फल और सब्जियाँ स्वाद के लिए घर से बहुत बेहतर हैं। कुछ शोध किया तब इन्होंने पाया कि ऐसा रसायनों की कमी और परिवहन के कम समय के कारण हुआ। इसका मतलब था कि फल और सब्जियों को उनके पकने के समय के करीब काटा जाता था, जल्दी नहीं। यह अपने विश्वविद्यालय में पौधों पर आधारित कार्यों का अध्ययन करतें रहें।
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UAE से भारत आकर कर रहे खेती
सिजो बहुत उत्साह और ज्ञान के साथ अल ऐन (Al Ain) पर लौट आया। खाली समय के साथ उन्होंने खेती का नई विधि और खाद के साथ प्रयोग कर शुरू किया। जब इनकी फसल आई तो यह फसल से खुश हुए। वे इस बात से हैरान भी थे कि कम्पोस्ट के माध्यम से इतनी अच्छी फसल। सिजो ने बताया कि मेरे पिताजी और मैंने जनवरी 2020 में एक कार्यक्रम के लिए भारत में अपने गृहनगर केरल की यात्रा की और हम मार्च में लौट जाने वाले थे। दुर्भाग्यवश जब कोरो’ना भारत में फैलने लगी और लॉकडाउन लगाया गया इसके कारण हम तब से यहीं रूके हुए हैं।
सिजो ने यह भी जानकारी दी है कि इनके पास भूमि के तीन बड़े भूखंड हैं जो वर्षों की अज्ञानता के कारण लिए गए थे। जिस प्लॉट में इनका घर बना है उसमें नारियल के पेड़ और कटहल के पेड़ की एक जोड़ी है। भोजन की कमी के डर के कारण इन्होंने अपने 3 भूखंडों में जैविक खेती करना शुरू कर दिया। इन्होंने पड़ोस से कई सब्जियां लाईं और खेती में लग गए। वह खेतीं ही नहीं बल्कि औषधीय तेल, प्राकृतिक समाधान (Natural Solution) जैसे नीम का तेल, मेथी, काले और सफेद मिर्च पाउडर को निर्मित करते हैं।
सोशल साइट पर देते हैं जानकारी
इन्होंने अपने सीमित संसाधनों के साथ अपनी यात्रा का दस्तावेजीकरण करने के लिए एक YouTube चैनल और ब्लॉग भी शुरू किया है। यह आम सब्जियों से होने वाले फायदों, बढ़ने, कटाई और पकाने के बारे में बातते हैं। इस तरह दर्शक एक फसल के बारे में सब कुछ समझ सकता है और यह भी सीख सकता है कि इसका उपयोग कैसे करना है। इनके पिता वीडियो के साथ इनकी मदद करते थे लेकिन इसी बीच वे कोरो’ना संक्रमित हो गए जिसके कारण उपचार के लिए दोनों को अलग रखा गया।
सिजो ने लोगों को जैविक किस्मों के महत्व के बारे में शिक्षित करना शुरू कर दिया है और यह संगठित रूप से इसे विकसित करने में लगे हैं। सिजो ने समाज में एक फूड शेयरिंग और सीड शेयरिंग प्रोग्राम भी शुरू किया। इन्होंने यह बताया कि वे उपज को कम भाग्यशाली के साथ साझा करना सुनिश्चित करते हैं क्योंकि वे पैसे स्वीकार नहीं करेंगे। उनके रिश्तेदार और दोस्त उनके इस कार्य मे कोई रुचि नहीं दिखाते क्योंकि उन्हें लगता है कि फसल की कमी और बीमारियों के कारण बागवानी समय की बर्बादी है। लेकिन सिजो को ऐसा करना और बगीचे से ताजा खाना बहुत पसंद है। इसलिए यह अपनी जमीन के हर इंच को एक वन में बदलने के लिए तैयार हैं।
सिजो एक अनुवाद और ट्रांसक्रिप्शन एजेंसी चलाते हैं जो कोरो’ना की वजह से नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों की मदद करने के लिए अंग्रेजी, अरबी और सभी भारतीय भाषाओं से संबंधित है। यदि आपके पास कोई उपशीर्षक/अनुवाद प्रकार की परियोजनाएं हैं तो कृपया सिजो से संपर्क करें।
आप इनके वेबसाइट, यूट्यूब और फेसबुक प्रोफाइल से जुड़कर इनसे खेती सम्बंधित सलाह ले सकते हैं
सिजो जिस तरह खुद के प्रयास से उन्नत कृषि कर रहे हैं और लोगों को विभिन्न तरह से मदद कर रहे हैं वह बेहद हीं प्रशंसनीय है। The logically सिजो जी खूब सराहना करता है।