चाहे वह व्यक्ति बड़ा हो, छोटा हो, अमीर हो, गरीब हो, अगर वह अपने परिश्रम के बल पर कोई सफलता हासिल करे तब सिर्फ उसके सफलता को अहमियत दी जाती है ना कि इन सब चीजों की। एक बार जब सफलता हासिल हो जाये तो बस यही ख्याल आता है कि मेरी मेहनत का फल मुझे प्राप्त हुआ। आज की कहानी एक ऐसे IAS ऑफिसर की है जो अपनी मेहनत से टॉप टेन में अपना नाम दर्ज करवाया है।
5वीं रैंक प्राप्त करने वाले शशांक मिश्रा
शशांक मिश्रा (Shashanak Mishra) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meeruth) से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता कृषि क्षेत्र (Agriculture Department) में डिप्टी कमिश्नर रहे हैं। उन्होंने अपनी मेहनत से आर्थिक स्थिति और अन्य परेशानियों को मात देते हुए UPSC टॉप किया है। वह वर्ष 2007 में यूपीएससी की परीक्षा में 5वीं रैंक से पास किए हैं। वह उन सभी युवाओं के लिए उदाहरण हैं जो गरीबी को बाधा मानते हैं। उन्होंने 12वीं की क्लास शुरु की और वे अन्य बच्चों की तरह आईआईटी करना चाहते थे।
पिता के निधन ने तो टूट गए
देखा जाए तो उनकी जिंदगी बहुत ही कठिनाईयों से होते हुए गुजरी है। वह वक्त बहुत खराब था जब उनके पिता का देहांत हो गया। उसके बाद उनके ऊपर उनके परिवार का सारा जिम्मा आ गया। मतलब है कि वह खुद और उनके तीन और भाई-बहन उन सभी को शशांक को ही संभालना था। संघर्ष का यह सिलसिला आर्थिक स्थिति के ठीक ना होने के कारण और बढ़ा। लेकिन कहते हैं ना कि जो बच्चे आत्मसम्मान को अहमियत देते हैं वह किसी भी कठिनाई का सामना आसानी से कर सकते हैं।
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कठिनाइयों से लड़ते हुए बी-टेक किया
इतनी कठिनाईयों में भी उन्होंने सभी बाधाओं को पार किया। आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी थी जिस कारण स्कूल की फीस भी नहीं दे पा रहे थे। लेकिन जब उनके 12वीं का परिणाम घोषित हुआ तो उनके अच्छे मार्क्स के कारण उन्हें बहुत ही राहत मिली। वह IIT करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने उसमें अपना लक आजमाया और IIT का एग्जाम दिए जिसमें उन्हें 137वीं अंक प्राप्त हूआ। वह पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने बी-टेक की पढ़ाई इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग से संपन्न की।
जॉब को ठुकराकर IPS की तैयारी
अच्छी खासी नॉलेज और बी-टेक की पढ़ाई के उपरांत अमेरिका में शशांक को नौकरी लगी। लेकिन वह यूपीएससी की तैयारी करना चाहते थे इसीलिए उस नौकरी को ठुकरा दिया और वर्ष 2004 में लग गए अपने यूपीएससी की तैयारी में। अपने घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली के एक कोचिंग क्लास में अपना नामांकन कराया और तैयारी करने लगे। पैसे नहीं थे इसलिए वह प्रतिदिन मेरठ से दिल्ली जाते-आते थे। लगभग 2 वर्षों तक यह सिलसिला चलता रहा और उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी। अंततः उसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने यूपीएससी का एग्जाम दिया तो वह टॉप क्लास से पास हुए। आज शशांक उन उन सभी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा है जो अपनी गरीबी से हार मानकर मजदूरी करते हैं।
अपने परिवार का जिम्मा संभालते हुए अपनी गरीबी को मात देकर UPSC परीक्षा पास कर IAS बनने के लिए The Logically शशांक को बधाई देता है।