हमें ऐसे कई लोगों के लोगों के बारे में सुनने, पढ़ने या उन्हें देखने का मौका मिलता है, जो बेहतरीन तरीके से खेती कर रहे हैं। कुछ लोग कई बड़ी कंपनियों में या सरकारी नौकरी के पीछे ना भागकर शुरुआत से हीं खेती में अपना करियर बना रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग नौकरी छोड़कर खेती की तरफ बढ़ रहे हैं। खासतौर पर आजकल जैविक खेती की तरफ लोग आकर्षित होते जा रहे हैं। हो भी क्यों ना इससे स्वास्थ्य भी बना रहता है और कमाई भी अच्छी हो जाती है। हो सकता है जगह की कमी से कोई इतनी बुआई ना कर सके कि उसे बाजार में बेच सके तो कम से कम इतनी उपज जरूर कर ले रहे कि वे अपने परिवार को रसायन मुक्त सब्जी व फल खिला सकें।
वैसी हीं जैविक खेती करने वालों में से एक हैं उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के रहने वाले सार्थक, जो ऑर्गेनिक गार्डेनिंग करते हैं और अपने पिता के साथ कंस्ट्रक्शन का काम भी करते हैं। उन्होंने अपनी बीटेक की पढ़ाई पूरी की और मास्टर्स की पढ़ाई यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिया से की। वहां से वापस लौटे और उन्होंने अपने पिता के कारोबार को उनके साथ संभालना शुरू कर दिया। सार्थक बताते हैं कि उनकी जिंदगी भी बस घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक ही सीमित रह गई थी। किसी और काम के लिए वक्त ही नहीं मिलता था। फिर अभी से 2 साल पहले जहां उनकी शादी हुई, वहां उन्होंने अपनी सास को गार्डनिंग करते देखा। उन्हें यह काम बहुत ही दिलचस्प लगा। जब वे वहां से वापस आए तो उन्होंने अपने घर पर पौधे लगाना शुरू किया।
सबसे पहले सार्थक ने पालक लगाए। यह उनका पहला कदम था। लेकिन जब पालक की पैदावार अच्छी हुई और जब उन्हें भरपूर मात्रा में पालक मिले तो उनमें उत्साह बढ़ा। उसके बाद उन्होंने तोरी, खीरा, बींस, बैंगन, गाजर, भिंडी, उगाना शुरू किया। शुरुआती दिनों में उन्हें थोड़ी दिक्कतें आईं क्योंकि वे शहर में रहते थे और शहरों में बड़ी-बड़ी बिल्डिंग के कारण धूप बहुत कम समय के लिए हीं बागानों और बगीचों तक आ पाती है और कुछ पौधों की खेती के लिए धूप भी बहुत महत्वपूर्ण है। सार्थक ने इसकी भी तरकीब निकाली और जिन पौधों को धूप की ज्यादा ज़रूरत होती थी उन्हें बाहर और जिन्हें कम धूप की जरूरत होती थी उन्हें अंदर की तरफ लगाना शुरू किया।
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सार्थक कहते हैं कि इस कोरोना काल में सभी का अनुभव लगभग बुरा रहा। सब्जी और फल भी ताजे और आसानी से नहीं मिल पाते थे। लेकिन उन्हें सब्जियों को लेकर कभी कोई परेशानी नहीं आई। वे अपनी छोटी सी जगह में बाल्टियों को गमलों के रूप में प्रयोग कर लगभग 10 किलो से ज्यादा सब्जियां उगा लेते हैं। सार्थक ये भी बताते हैं कि बाजार से आई सब्जियों और घर पर जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियों के स्वाद में काफी बड़ा अंतर आ जाता है और उन्हें इस बात की खुशी है कि वे जैविक सब्जियां उगा जा रहे हैं और खा रहे हैं।
सार्थक दूसरों को भी ऑर्गेनिक फार्मिंग करने की सलाह देते हैं और बताते हैं कि जरूरी नहीं कि हम सब कुछ उगा लें या बहुत ज्यादा मात्रा में उगा लें लेकिन कुछ तो जरूर उगा सकते हैं। अगर आप फार्मिंग करते हैं तो सबसे पहले उस जगह के अनुकूल वाले पौधों का ही चयन करें। अगर धूप की समस्या होती है तो चेरी, टमाटर, लेटस जैसी चीजों का चयन करें, क्योंकि इन्हें धूप कम मात्रा में चाहिए। सुबह-शाम उनकी देखभाल करें, उनमें पानी डालें और पोषण का भी ध्यान रखें तथा भूल कर भी पौधों में केमिकल का इस्तेमाल ना करें। सार्थक कहते हैं कि अगर आपने एक बार जैविक खेती कर ली तो आपको इसकी आदत लग जाएगी। आपको सुकून मिलेगा और शुद्ध तथा ताजी सब्जियां भी मिलेंगी। जिससे आप और आपका परिवार स्वस्थ रहेगा।
सार्थक जिस तरह बेहतरीन जैविक खेती कर खुद उत्पाद प्राप्त कर रहे हैं और लोगों को भी इसकी सलाह लें रहे हैं वह काबिल-ए-तारीफ है। The Logically सार्थक के प्रयासों की खूब प्रशंसा करता है।