Sunday, December 10, 2023

पैरों से चल नही सकते लेकिन हौसला मजबूत था, एक फोटोकॉपी की दुकान से शुरू कर 1000 करोड़ का बिज़नेस खड़ा किये

सब्र एक ऐसी सवारी है जो आपको कभी भी गिरने नहीं देगी। यह सिर्फ आपको ही नहीं बल्कि आपकी इच्छाओं को भी संभाल कर रखती है। लेकिन कुछ लोग सब्र नहीं रखतें और असफलता हासिल कर लेतें हैं। सब्र का फल हमेशा मीठा ही होता है। आज की हमारी कहानी एक दिव्यांग शख्स की है। ये अपने कार्य की शुरूआत शून्य से कियें और आज एक सक्सेसफुल व्यक्ति बनकर हजार करोड़ की कम्पनी स्थापित कर लिए हैं।

यह हैं, राम चन्द्र अग्रवाल

राम चंद्र अग्रवाल (Ram Chandra Agrawal) का जन्म गरीब परिवार में हुआ। बचपन में यह पोलियो से ग्रसित हो गए और इन्होंने चलने की क्षमता खो दी। यह बैसाखी की मदद लेकर चला करते थे जिससे इन्हें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इन्होंने अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। फिर कुछ करने का निश्चय किया। साल 1986 में इन्होंने पैसे उधार लिए और एक जीरक्स करने के शॉप को ओपन किया।

shoap of Ramachandra Agrwal

कोलकाता में कपड़ा बेचने का काम किया
 
इन्होंने फोटोकॉपी करने का कार्य 1 साल तक किया और फिर इन्होंने निश्चय किया कि वह कोई खुदरा कारोबार शुरू करें। फिर इन्होंने कोलकाता (Kolkatta) में एक कपड़े की दुकान खोली और कपड़ा बेचने का कार्य करने लगें। इन्होंने यह कारोबार लगभग 15 वर्षों तक किया। इसके बाद इन्होंने बड़े लेवल पर अपने व्यापार को बढ़ाने का निश्चय किया और यह कार्य छोड़ दिया।

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आयें दिल्ली

वर्ष 2001 में इन्होंने दिल्ली जाने का निश्चय किया और यह दिल्ली आए। इन्होंने यहां खुदरा व्यापार की शुरुआत की। जिसका नाम “विशाल रिटेल” रखा। इसकी शुरुआत एक छोटे से आउटलेट से हुई जो कि अपने नाम की तरह दिन-पर-दिन बढ़ता चला गया। वर्ष 2002 में विशाल मेगा मार्ट के तौर पर प्रथम हाइपरमार्केट का शुभारंभ करते हुए यह वहां के इलाकों में अपना जलवा बिखेरने लगी। यह अपने कारोबार को फैलाते हुए सफलता की ऊंचाई पर चढ़ने लगे।

Ramachandra Agrwal shopa

कम्पनी बिक गई

लेकिन वर्ष 2008 में इनका दुर्भाग्य था कि शेयर बाजार में गिरावट हुई और इनकी कंपनी को 750 करोड़ की हानि हुई। इन्होंने इतने उधार ले लिए थे कि उसे चुकाने के लिए अपनी कंपनी को बेचने का वक्त आ गया। वर्ष 2011 में इनकी कंपनी को श्रीराम ग्रुप ने खरीदा।

परास्त नहीं हुए फिर किए नई शुरुआत

इन्होंने अपनी हार को हार नहीं माना और फिर एक और खुदरा व्यापार का शुभारंभ किया। उसका नाम इन्होंने V2 retail (विशाल मेगा मार्ट) रखा। अब आपको यह बताने की जरूरत नहीं पड़ेगी कि विशाल मेगा मार्ट है क्या। यह लगभग 32 शहरों में स्वयं का आउटलेट ओपन कर चुकी है और इस कंपनी से करोड़ों का फायदा हो रहा है। विशाल मेगा मार्ट में फैशनेबल के साथ-साथ हर किस्म के प्रोडक्ट्स और चीजें मिलती हैं।

शारीरिक रूप से सक्षम ना होने के बावजूद भी इन्होंने कभी हार ना मानकर एक ऐसे कम्पनी की स्थापना की है जिसे आज हर व्यक्ति जानता है। इस अद्म्य साहस के लिए The Logically राम चन्द्र अग्रवाल जी को नमन करता है और इनके ज़ज्बे को सलाम करता है।