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TATA कम्पनी की लाखों की नौकरी छोड़कर शुरू किए दूध का कारोबार, आज डेयरी से कर रहे 36 लाख की कमाई

हर कोई जीवन में एक अच्छी नौकरी के लिए कड़ी मेहनत करता है और अगर वह नौकरी टाटा जैसी कंपनी में हो तो बस फिर और क्या चाहिए, लेकिन आज हम एक व्यक्ति के बारे में बताएंगे, जो टाटा कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर और लाखों का पैकेज छोड़ दूध बेचना शुरू कर दिए। इस फैसले से घरवाले सहित रिश्तेदार भी सहमत नहीं हुए, लेकिन वह बिना किसी की परवाह किए अपने फैसले पर अटल रहे और सफलता का मिसाल पेश किया। – Raghavendra Yadav from Ramchandrapura, left the job of Project Manager in Tata and started Cow Breeding Center and Dairy.

नौकरी छोड़कर डेयरी की शुरुआत

दरअसल आज हम बात कर रहे हैं राघवेंद्र यादव की जिन्होंने नौकरी छोड़कर गाय का ब्रीडिंग सेंटर शुरू किया। थार पारकर गाय का मॉडल फॉर्म बनाया, जिससे अब वह सालाना 36 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं। राघवेंद्र जयपुर से 15 किलोमीटर दूर रामचंद्रपुरा (Ramchandrapura) के रहने वाले हैं। वह बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग किए। उसके बाद उनकी नौकरी टाटा में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर लगी, लेकिन वह यहां रुके नहीं। साल 2017 में दोस्त हरिकिशन के साथ मिलकर उन्होंने जयपुर से 25 किलोमीटर दूर धानक्या में थार पारकर गाय के ब्रीडिंग सेंटर और डेयरी की शुरुआत की।

A man left his project manager in Tata company and started own Dairy

राघवेंद्र के फॉर्म पर कुल 125 गाय हैं

राघवेंद्र के फॉर्म में अब 125 गाय हैं। इसके साथ ही उन्होंने राजस्थान का पहला ऑनलाइन ऑक्शन सिस्टम भी बनाया, जिसके जरिए अबतक करीब वह 40 गायों की बिक्री भी कर चुके हैं। राघवेंद्र यादव और हरिकशन गौरा के ब्रीडिंग सेंटर पर सेक्स सोर्टेड सिमन तकनीक के मदद से केवल बछड़ियां ही पैदा हो रही हैं। डेढ़ साल केयर करने के बाद यह बछड़ी ब्रीडिंग के लायक हो जाती हैं। राघवेंद्र और उनके दोस्त हरिकिशन (Harikishan) साथ मिलकर ब्रीडिंग सेंटर, डेयरी और मार्केटिंग का काम करते है।

सालाना कर रहे हैं 36 लाख रुपए की कमाई

राघवेंद्र का केवल जयपुर में 1100 कस्टमर हैं, जिन्हें रोजाना 1500 लीटर मिल्क सप्लाई किया जा रहा है। इस ब्रीडिंग सेंटर और दूध के कारोबार से उन्हें सालाना 36 लाख रुपए की कमाई होती है। राघवेंद्र और हरिकिशन दोनों ही किसान परिवार से तालुक रखते हैं। आपको बता दें कि वह ब्रीडिंग सेंटर और डेयरी पर गायों के चारे के लिए 6 तरह की सदाबहार घास लगा रखी है। साथ ही फीड मैनेजमेंट पर हरे चारे के साथ सूखे चारे के मिश्रण का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। – Raghavendra Yadav from Ramchandrapura, left the job of Project Manager in Tata and started Cow Breeding Center and Dairy.

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जैसलमेर से मिली थार पारकर गायों की जानकारी

राघवेंद्र को इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के साथ मार्केटिंग का भी अच्छा अनुभव है, जिसका इस्तेमाल अब वह अपना कारोबार आगे बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। थार पारकर गाय के दूध की मार्केटिंग के लिए खुद का मॉडल बनाया है। उनके जितने भी कस्टमर हैं, उन्हें बोतलबंद पाश्चुराइज्ड मिल्क दिया जाता है और इसकी क्वालिटी वह खुद चेक करते हैं। जिस समय राघवेंद्र टाटा के सोलर प्रोजेक्ट में प्रोजेक्ट मैनेजर थे, उस समय जैसलमेर का खूब दौरा होता था और उसी दौरान उन्हें जैसलमेर में थार पारकर गायों के बारे में जानकारी मिली।

राघवेंद्र गौपालन को बनाए अपना प्रोफेशन

राघवेंद्र को गौपालन को अपना प्रोफेशन बनाने का आइडिया जैसलमेर से ही आया। इसी आइडिया के साथ उन्होंने साल 2017 में नौकरी छोड़ दी और 9 थार पारकर गायों के साथ शुरुआत की। आज उनके पास 125 से ज्यादा थार पारकर गाय हैं। दो साल में उनका टारगेट इस संख्या को 400 से ज्यादा करने है। राघवेंद्र बताते है कि केवल दूध से ही उन्हे 1 लाख रुपए से ज्यादा का प्रॉफिट होता है। ब्रीडिंग और दूध से मिलाकर वह सालाना 36 लाख रुपए तक की कमाई करते हैं। उनका महीने में ऐवरेज प्राॅफिट 3 लाख रुपए के आसपास है।

राघवेंद्र फार्म पर ETT की लैब लगाने की कर रहे है तैयारी

राघवेंद्र फार्म पर एंब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी (ETT) की लैब लगाने की तैयारी कर रहे है। इस तकनीक की मदद से सरोगेसी से बछड़ियां पैदा की जाएंगी। राघवेंद्र के बिजनेस पार्टनर हरिकिशन गोरा बताते हैं कि सेक्स शोर्टेड सीमन की वजह से केवल बछड़ियां ही पैदा होने लगी है और थारपारकर की नस्ल भी सुधर रही है और अब यहां ETT लैब लगाने की तैयारी हो रही है, जिसका काम चल रहा है। उसके लिए गौपालन विभाग ने 11 लाख रुपए की ग्रांट मंजूर की है। ETT लैब लगने के बाद उन्नत नस्ल की ब्रीडिंग का यह बड़ा सेंटर तैयार हो जाएगा। – Raghavendra Yadav from Ramchandrapura, left the job of Project Manager in Tata and started Cow Breeding Center and Dairy.

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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