कुछ ऐसे लोग होते हैं जो यह चाहते हैं कि जो खुशियां उन्हें जीवन में नहीं मिल पाई हैं, वह खुशियां वह दूसरों को दे पाए। कुछ ऐसी हीं सोच रखते हैं छत्तीसगढ़ के कंकर के रहने वाले मनीष (Manish) जिनकी जिंदगी हमेशा दुख में बीती, लेकिन वह दूसरों की जिंदगी में खुशियां लाना चाहते हैं। मनीष के माता-पिता को जब पता चला था कि उनका बच्चा किन्नर है, तो उन्होंने उसे अपनाने से मना कर दिया और आज वहीं मनीष कई अनाथ बच्चों का सहारा है। – Parents did not accept because Manish is transgender, now she giving support to the orphan children.
मनीष के जन्म के बाद उनके माता-पिता ने उन्हें छोड़ दिया
मनीष बताते हैं कि मेरे जन्म के बाद जब माता-पिता को पता चला कि मैं किन्नर हूं तो वह मुझे छोड़ कर चले गए। ऐसे में एक किन्नर ने मनीष की जिम्मेदारी उठाई और उन्हें पाल पोस कर बड़ा किया। हालांकि आज भी मनीष अपने परिवार के पास जाना चाहते हैं, परंतु वह उन्हें अपनाने से मना कर देते हैं। वह बताते हैं कि मैं अपनों के बिना रहने का दर्द समझता हूं इसलिए जब भी किसी अनाथ को देखता हूं तो अपने साथ ले आता हूं।
![A transgender Manish nurturing destitute children](https://thelogically.in/wp-content/uploads/2021/11/WhatsApp-Image-2021-11-23-at-11.26.57-AM-12-1.jpeg)
9 बच्चों को ले चुकी है गोद
आपको बता दें कि मनीष अब तक 9 बच्चों को गोद ले चुकी हैं, जिसमें से कई बेटियां है। मनीष अपने टीम के साथ मिलकर बच्चों के खाने-पीने, कपड़े और पढ़ाई का इंतजाम करते हैं। मनीष एक घटना के बारे में बताते हुए कहती हैं कि कुछ दिन पहले पढ़ी-लिखी संपन्न परिवार की एक महिला बच्चे को गर्भ में मारने के लिए गुड़ाखू खा ली। इसी दौरान मनीष अपनी टीम के साथ बधाई मांग कर वापस आ रहे थे। रास्ते में महिला को तड़पते हुए देखकर उन्हें अस्पताल ले गए,लेकिन अस्पताल वाले डिलीवरी करने से मना करने लगे। ऐसे में उन्होंने महिला को वापस घर ले आया और प्राइवेट डॉक्टर बुलाकर डिलीवरी करवाई। दरअसल वह महिला बेटी नहीं रखना चाहती थी, यह जानने के बाद मनीष ने उस बच्ची को अपने पास रख लिया
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सुप्रीम कोर्ट ने दी ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंक की मान्यता
साल 2011 में रोजगार शिक्षा और जाति के आधार पर हुई गणना के मुताबिक भारत में कुल 487803 किन्नर है। उसके बाद से सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंक के तौर पर मान्यता दी है। संविधान की माने तो अनुच्छेद 14 के अनुसार मानव अधिकारों को पहली बार सुरक्षित किया गया है। उसके बाद से किन्नरों के लिए कई दरवाजे खुले गए।
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किन्नर कई क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं
इसके तहत साल 2017 में पहली किन्नर जज बनी थी। उसके बाद पहली किन्नर पुलिस अधिकारी बनी। इसके अलावा भी किन्नर कई राज्यों में सरकारी और निजी क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2017 में किन्नरों के लिए पुलिस भर्ती रखी थी। – Parents did not accept because Manish is transgender, now she giving support to the orphan children.
![A transgender Manish nurturing destitute children](https://thelogically.in/wp-content/uploads/2021/11/WhatsApp-Image-2021-11-23-at-11.26.57-AM-9-1.jpeg)
अब भी समाज में किन्नरों को हेय दृष्टि से देखा जाता है
सरकार की मान्यता देने के बावजूद भी किन्नरों को हेय दृष्टि से देखा जाता है। हालांकि किन्नर समाज के ज्यादातर लोग शुभ अवसरों पर नाच गा कर बधाई लेने का काम करते हैं, फिर भी लोग उन्हें देख कर मुह फेर लेते हैं। इसके अलावा कई लोगों उन्हें देख कर दरवाजा बंद कर देते हैं। लोगों के इस बर्ताव पर मनीष कहते हैं कि मेरे प्रति लोगों का मिलाजुला नजरिया रहा है कुछ लोग खुशी के मौके पर खुशी से बुलाते हैं, तो वहीं कुछ लोग कहते हैं कि मजदूरी करके खाओ।
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मनीष अनाथ बच्चों के लिए चाहते है एक आश्रम खोलना
मनीष अनाथ बच्चों के लिए एक आश्रम खोलना चाहते हैं, जिससे बच्चों को मदद मिल सके। इसके सिलसिले में वह कई बार नेताओं और अधिकारियों से बात भी कर चुके हैं, जब तक इस पर सुनवाई नहीं होती तब तक मनीष बच्चों को अपने पास ही रखती हैं। – Parents did not accept because Manish is transgender, now she giving support to the orphan children.
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