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इंजीनियरिंग के बाद ऑर्गेनिक डेयरी फार्म की शुरुआत, दूध और घी के अलावा गोबर से बना रहे खाद

आजकल ऑर्गेनिक तरीकों का उपयोग अपने खेतों में या फिर ऑर्गेनिक डेयरी फॉर्म में काफी लोग कर रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं जिन्होंने ऑर्गेनिक तरीकों से डेयरी फॉर्म में दूध बिलोने काकी और खाद बनाते हैं। इसके साथ-साथ वह गोबर का इस्तेमाल काफी अच्छी तरीके से करते हैं। यह गोबर गैस प्लांट लगाकर मुफ्त में बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। इन ऑर्गेनिक तरीकों से अपना व्यवसाय करके करोड़ों रुपए की कमाई कर रहे हैं।

अमन (Aman) जो 30 वर्ष के हैं। इन्होंने कोटा (Kota) से इंजीनियरिंग (Engineering) करने के बाद अपनी जिंदगी में कुछ अलग करने के बारे में सोंचा। इन्होंने पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद एक डेयरी फार्म के जरिए दूध और बिलोने का घी बनाकर लोगों तक पहुंचाने का मन बना लिया था। अमन का ध्यान पहले से ही कृषि में था इसीलिए इन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर लेने के बाद साल 2013 में पीजी के लिए NDRI (National Dairy Research Institute) करनाल में दाखिला ले लिया। अमन बताते हैं कि डेयरी फार्म को अच्छे तरीके से जानने के लिए हमने अलग से पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई की। इसके बाद हमने NDRI से पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई कर लेने के बाद अमूल जैसे बड़े कंपनी में नौकरी भी किए। परंतु हमें इस नौकरी करने में मजा नहीं आ रहा था इसीलिए हमने यह नौकरी छोड़ कर के कोटा में आकर के कुछ अलग करने का मन बना लिया।

Aman

कोटा (Kota) आने के बाद हमने अपने दोनों भाई गगनप्रीत और उत्तमजोत सिंह के साथ मिलकर के हमने गौ फार्मिंग करने के बारे में सोचा। इसके बाद हमने अपने दोनों भाइयों के साथ मिल कर गौ फार्मिंग की शुरुआत कर दी। इसके बाद इन्होंने अपने 120 एकड़ जमीन में एक डेयरी फार्म खोले। जब हमने गौ फार्मिंग की शुरुआत की थी तब हमने कुछ गायों के साथ शुरू किया था। परंतु धीरे-धीरे हमारे फार्म में गायों की संख्या लगभग 300 से अधिक हो गई। अमन बताते हैं कि हमने इन सभी गाय के सेहत और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए। इनके खाने के चारा पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से उगाया जाता है। इन सभी गाय को खाने के लिए हम गन्ना, गेहूं के ओट्स, खल, पशु आहार आदि आवश्यक तत्व मुख्य है। ऑर्गेनिक तरीकों (Organic Methods) से उपजाए जाने वाले चारा के साथ-साथ हम गाय को पीने के लिए फिल्टर वाटर का पानी का इस्तेमाल करते हैं। हम ऑर्गेनिक तरीके से चारा और फिल्टर का पानी इसलिए गाय को देते हैं कि गाय के दूध की गुणवत्ता अच्छी रहे।

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गर्मी के बचाव और साफ-सफाई का उत्तम तरीका

इन सभी गाय को गर्मी से बचने के लिए हमने ऑटोमेशन के जरिए पंखे लगा रखे हैं। और साथ-साथ पानी की बौछार वाले पाइप का भी इंतजाम कर रखा है। गर्मियों से बचने के लिए ऊपर शेडिंग का इंतजाम भी कर रखा है। अमन बताते हैं कि हमने कई जगह यह देखा है। कि डेयरी फार्म में गोबर एवं मूत्र की काफी गंद आती रहती है। इन सब चीजों पर हमने काफी ध्यान दिया है। इसे हर 2 घंटे पर गोबर और मूत्र को ऑटोमेटिक रेल द्वारा हटाया जाता है। इसके साथ-साथ गंदगी की वजह से इन गायों को सेहत पर कोई असर ना पड़े। इसीलिए हमने दिन में दो बार सफाई भी करवाते हैं। गाय के दूध निकालने से पहले गाय को ऑटोमेटिक सागर से अच्छे तरीके से धोया जाता है। इसके बाद फिर दूध निकालने के लिए गाय को मिल्क सेंटर में भेज दिया जाता है। मिल्क सेंटर में जाने के बाद सभी गाय को मशीन के द्वारा दूध निकाला जाता है। और पंजाब में प्रत्येक घर में जो बिलोने का घी बनता है। वह इनका प्रमुख उत्पाद है।

अमन (Aman) बताते हैं कि ने गाय से निकलने वाले गोबर का भी भरपूर तरीके से इस्तेमाल किया। इन्होंने गाय के गोबर तथा मूत्र से बायोगैस प्लांट लगाया। इन सभी गाय के गोबर और मित्र को जमा करके सेठ के पास एक अंदर ग्राउंड टैंक बना हुआ है। इस टैंक में स्लाइडिंग रेल के जरिए हर 2 घंटे पर गोबर और मूत्र डाला जाता है। इस टैंक में डालने के बाद यह गोबर और मूत्र दोनों सीधे बायो गैस प्लांट में चला जाता है और वहां जाने के बाद गोबर मूत्र को जनरेट किया जाता है और इसे बिजली की उत्पाद होती है। इस बायोगैस प्लांट में लगभग 80% बिजली बनाई जाती है। अमन बताते हैं कि अभी हमारे पास बायोगैस (Biogas) से बनाने वाले बिजली के 40 किलो वाट के दो प्लांट हैं। इसके बाद जब गोबर बच जाती है तो वह उस गोबर और मूत्र को गोबर केंचुआ खाद, वर्मीकंपोस्ट, उपले आदि बनाने के इस्तेमाल में लाया जाता है। इन सब चीज को बनाने के बाद हम इसे बाजार में तथा ऑनलाइन बाजार में बेच देते हैं।

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अमन (Aman) बताते हैं कि यह ऑर्गेनिक (Organic) तरह से बनाई गई केंचुआ खाद और वर्मी कंपोस्ट अमेजन पर भी आपको मिल जाएगा। इसके साथ साथ इन्होंने यह भी बताया कि हम जो अपने बायोगैस प्लांट से बिजली बनाते हैं उस बिजली की प्रति यूनिट सिर्फ ₹2 आता है लेकिन हमें बाहर जो बिजली मिलती है उसकी कीमत लगभग ₹9 प्रति यूनिट होती है। अमन अपने इस व्यवसाय से कुछ लोगों को काम पर भी रखा है और इन व्यवसाय से वे अच्छे मुनाफे भी कमा रहे हैं।

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