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लॉकडाउन की मार ने बंद कराया रेस्टोरेंट तो शुरू की ऑर्गेनिक फार्मिंग, अब एक महीने में हो रही 4 लाख रुपयों की आमदनी

कोरोना वायरस के दौरान लगे लॉकडाउन के कारण बहुत से लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी है। ऐसे में लोग अपनी आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए नए रास्ते पर निकल पड़े हैं।

कुछ ऐसा ही गुरुग्राम के गोल्‍फ कोर्स डीएलएफ विलेयर सोसाइटी के रहने वाले अंकित राघव (Ankit Raghav) के साथ भी हुआ है।

अंक‍ित गुरुग्राम में एक रेस्‍टोरेंट (Restaurant) चलाते थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान अंक‍ित को अपना रेस्‍टोरेंट बंद करना पड़ा। जिसके बाद उनके सामने अपनी आजीविका चलाने का संकट आ गया।

रेस्‍टोरेंट बंद होने पर शुरू की ऑर्गेनिक फार्मिंग

रेस्‍टोरेंट बंद होने पर अंक‍ित (Ankit Raghav) ने ऑर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) में अपना हाथ आजमाने का फैसला किया, जिसमें वह सफल भी हुए। अंकित बताते हैं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग के जरिए अब उन्हें हर महीने करीब 4 लाख रुपये की कमाई हो रही है। अपने कारोबार को आगे बढ़ाते हुए अंक‍ित अब अपनी सब्जियों को ऑनलाइन बेचने की योजना बना रहे हैं ताकि हर किसी को आसानी से अच्‍छी सब्जियां उपलब्ध कराई जा सके।

Ankit Raghav starts Organic Farming after restaurant business shuts

30 एकड़ ज़मीन पर खेती करने का लक्ष्य

अंकित ने साल 2009 में एमबीए MBA की पढ़ाई पूरी करने के बाद साइबर हब में अपना एक रेस्‍टोरेंट खोला था। लॉकडाउन के कारण रेस्‍टोरेंट बंद होने के बाद उन्‍होंने साल 2020 के सितंबर में 6 एकड़ ज़मीन पर ऑर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) शुरू किया था, और केवल 7 महीने में ही वह 6 एकड़ से 12 एकड़ ज़मीन पर खेती करने लगे।

अब अंकित (Ankit Raghav) का लक्ष्य है कि वह 30 एकड़ ज़मीन पर ऑगेर्निक फार्मिंग करें।

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इन सब्जियों की करते हैं खेती

अंकित अपने खेत में स्‍वीट कॉर्न, बैंगन, गोभी, लौकी, तोरी, धनिया, पालक और भिंडी जैसी सब्जियां उगा रहे हैं। इन सब्जियों को वह शहर की बड़ी दुकानों के साथ-साथ मंडी में भी बेचते हैं। अब वह सब्जियों को ऑनलाइन बेचने की योजना भी बना रहे हैं। अंकित उन लोगों की मदद करना चाहते हैं, जिनके पास खुद की ज़मीन होने के बाद भी ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर (Infrastructure) नहीं है।

विदेशों से सीखेंगे नई तकनीक

अंकित (Ankit Raghav) बताते हैं कि वह इजरायल के दूतावास के संपर्क में हैं और कोरोना वायरस की महामारी खत्‍म होते ही इजरायल समेत कई अन्‍य देशों में जाकर खेती की जानकारी इकट्ठा करेंगे। इजरायल में विभिन्न तकनीकों की मदद से कई सब्जियों की बुवाई एक ही साल में कई बार की जाती है। यहां ड्रिप इरिगेशन की मदद से सिंचाई की जाती है। इसके अलावा खर-पतवार की समस्‍या से बचने के लिए मल्चिंग तकनीक (Mulching Technique) का प्रयोग होता है। इस तकनीक की मदद से पौधों की जमीन को अच्छी तरह प्‍लास्टिक से ढंक दिया जाता है।

अंकित ने अपनी मेहनत से यह साबित कर दिया है कि अगर सही समय पर सही निर्णय लिए जाएं, तब रोजगार के साधन शुरू हो सकते हैं।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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