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छतीसगढ़ के किसानों ने काली मिर्च की खेती से किया बम्पर कमाई, थोड़े से लागत में लाखों का मुनाफा कर रहे हैं

दक्षिण भारत की प्रमुख फसलों के उत्पादन में काली मिर्च (Pepper cultivation) की फ़सल भी शामिल है। दक्षिण भारत (South India) काली मिर्च की खेती के लिए ऐसा स्थान है, जहाँ बड़े आसानी से इसकी खेती की जाती है। हम जानते हैं कि, काली मिर्च की खेती के लिए एक अलग वातावरण की जरूरत होती है, जो कि दक्षिण भारत में उपयुक्त है। लेकिन अब इसकी खेती छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में भी हो रही है। यहां के कोंडागांव (Kondagaon) के किसानों ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर असंभव को भी संभव कर दिखाया है। इन किसानों ने अब छत्तीसगढ़ में भी काली मिर्च की उत्तम फ़सल का उत्पादन किया है और इस फसल से उनकी कमाई भी अच्छी हो रही हैं।

छत्तीसगढ़ के किसानों ने कर दिखाया, असंभव को भी संभव

छत्तीसगढ़ के कोंडागांव (Kondagaon) के किसानों ने छत्तीसगढ़ में काली मिर्च का उत्पादन कर यह साबित कर दिखाया है कि, अगर आपके पास काम के लिए जुनून और सच्ची लगन हो तो असंभव को संभव किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ के कोंडागांव (Kondagaon) में स्थित मां दंतेश्वरी हर्बल फॉर्म में जैविक तरीकों से कई औषधियों की खेती की जाती है। इसी फार्म के मालिक श्री अनुराग त्रिपाठी (Anurag Tripathi) के द्वारा काली मिर्च की भी फसल लगाई गई है। उनका कहना है कि, “पहले हमारा सोच था कि केरल राज्य में ही काली मिर्च का उत्पादन हो सकता है, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में यह संभव नहीं है, क्योंकि यहाँ का वातावरण काली मिर्च के खेती के अनुकूल नहीं है, लेकिन मुझे साबित करना था, यदि केरल में इसकी खेती हो सकती है तो छत्तीसगढ़ में क्यों नही।”

 pepper farming

कैसे होता है काली मिर्च का उत्पादन?

किसी भी पेड़ पर काली मिर्च की झाड़ लगाई जा सकती है। औसतन इसकी ऊंचाई 40 फिट होती है लेकिन 60-70 फीट तक कभी-कभी चली जाती है। एक से डेढ़ फीट का इसका एक रेडियस होता है, जिसमे लगभग 60-70 गुच्छे लगते हैं। इसमे लगभग 500 ग्राम तक का काली मिर्च उत्पादन होता है और 40 फीट में लगभग 20 किलो काली मिर्च का उत्पादन होता है। इस प्रकार से दस हज़ार तक की आमदनी एक झाड़ से होती है और इसमें बहुत अधिक मेहनत भी नही करनी होती है।

काली मिर्च की खेती का वीडियो यहाँ देखें

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पेड़ो के लिए भी अच्छा माना जाता है, काली मिर्च

अनुराग त्रिपाठी (Anurag Tripathi) का कहना कि, “ऑस्ट्रेलियन टीक के 700 पौधे उन्होंने अपने 1 एकड़ जमीन में लगाए हैं, जिसके साथ काली मिर्च की झाड़ भी लगाई हुई है।” आगे उनका कहना है कि, पेड़ो को बचाने में काली मिर्च का पौधा बहुत सहायक है तथा यूकेलिप्टस को सिवाय अन्य खुरदुरे पेड़-पौधों पर भी काली मिर्च लगाई जा सकती है। काली मिर्च को हम आम, कटहल, टीक या अन्य जंगली पौधे सभी पर उगा सकते है। इसकी पत्तियाँ आयताकार होती हैं और इन पत्तियों की लंबाई 12 से 18 सेंटीमीटर और चौड़ाई 5 से 10 सेंटीमीटर होती है। इसकी जड़ 2 मीटर की गहराई में होती है तथा उथली हुई होती है तथा इसके पौधे पर सफेद रंग के फूल खिलते है। आपको बता दें कि, छत्तीसगढ़ के कोंडा गाँव के चिकिलपुट्टी में कई सौ एकड़ में काली मिर्च के झाड़ “साल’ और “ऑस्ट्रेलियन टीक” के पेड़ों पर दिखते हैं।

विदेशों में काली मिर्च का उत्पादन मलय, चीन, इंडोनेशिया, स्याम, बोर्नियो और लंका जैसे देशों में किया जाता है।

निधि बिहार की रहने वाली हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभी बतौर शिक्षिका काम करती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही निधि को लिखने का शौक है, और वह समाजिक मुद्दों पर अपनी विचार लिखती हैं।

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