आजकल अधिकांश व्यक्तियों का रुझान खेती की तरफ बढ़ रहा है और वे इस क्षेत्र में सफलता भी हासिल कर रहे हैं। पहले जो खेती पहाड़ों पर हुआ करती थी, आज वह अधिकांश राज्यों में की जा रही है।
पहले सेब की खेती ज़्यादातर कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में होती थी लेकिन अब राजस्थान, उत्तराखंड, मिजोरम, मणिपुर और अन्य राज्यों में भी हो रही है। (Apple Farming)
मणिपुर से ताल्लुक रखने वाली अवुगंशी शिमरे अगस्टीना ने वर्ष 2019 में सेब के लगभग 60 पौधे पालमपुर से लाकर अपने गांव में लगाए, जिनसे अब फलों की प्राप्ति हो रही है। हालांकि सेब की खेती के लिए अवुगंशी शिमरे अगस्टीना ने प्रशिक्षण लिया था। आज उनके क्षेत्र के अधिक व्यक्ति प्रशिक्षण लेकर सेब की खेती प्रारंभ कर चुके हैं। अवुगंशी शिमरे अगस्टीना को इस बात की खुशी है कि सिर्फ 2 वर्षों में ही उन्हें अपने पेड़ों से फल मिलने लगे। (Apple Farming)
पूर्वोत्तर के राज्यों में सेब की खेती को महत्व देने और इससे लाभ प्राप्त करने में हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान की अहम भूमिका है। यहां के वैज्ञानिक चाहते थे कि इस क्षेत्र में सेब की खेती हो, इसके लिए वे किसानों को प्रेरित करने में लगे हुए थे। अब मणिपुर के उखरुल एवं मिजोरम के चम्फाई में किसानों ने फिर सेब की खेती प्रारंभ कर दी है। (Apple Farming)
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अगस्टीना ने यह जानकारी दिया की खेती प्रारंभ करने से पूर्व वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी किया करती थी, जिसे छोड़कर वे मणिपुर आ गई। अगस्टीना को प्रशिक्षण राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व वरिष्ठ सदस्य सोसो शैजा ने दिया है। (Apple Farming)
नार्थ ईस्ट में सेब की खेती के प्रारंभ को लेकर वैज्ञानिक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि वर्ष 2016 में वैज्ञानिकों द्वारा वहां से चिलिंग किस्म के पौधों के विषय में किसानों को प्रशिक्षण दिया गया और पौधे उपलब्ध कराए गए। अब वहां 100 से भी अधिक मात्रा में डेमोस्ट्रेशन प्लांट लगाए जा चुके हैं। चिलिंग किस्म के पौधे कम ठंड पड़ने वाले इलाकों के लिए सही होते हैं। (Apple Farming)
अब मिजोरम में 10 हज़ार से अधिक पौधे लग चुके हैं, जिसमें सफलता भी मिली है। वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार बताते हैं कि वर्ष 2016 में हमने सभी किसानों को सेब की खेती से रूबरू कराया था।द सेब की खेती का अधिक विस्तार हो सके इसलिए हमने नॉर्थ ईस्टर्न रीजन कम्युनिटी रिसोर्सेस प्रोजेक्ट से ओएमयू किया था ताकि किसानों को जानकारी मिल सके। शुरुआती दौर में मिजोरम में सेब की खेती प्रारंभ हुई और आज मणिपुर जैसे कई क्षेत्रों में किसान इसे अपनाकर अधिक लाभ कमा रहे हैं। (Apple Farming)
हालांकि वैज्ञानिकों को शुरुआती दौर में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, क्योंकि यह एक आदिवासी क्षेत्र था और यहां लोग स्थानीय भाषा में ही बात करते थे। बहुत परिश्रम करने के उपरांत सेब की खेती को समझाना और ट्रेनिंग देना संभव हो पाया। आज वहां के किसान धान, पाइनएप्पल के साथ सेब की खेती कर अधिक मात्रा में लाभ कमा रहे हैं। (Apple Farming)