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मात्र छठी क्लास पास इस किसान ने जुगाड़ द्वारा बना डाला मिनी ट्रैक्टर, कृषि विभाग ने दिया 25 हजार का इनाम

रोजमर्रा की जरूरतों और दिक्कतों से परेशान लोग किसी भी काम में जुगाड़ लगा लेते हैं। अगर दुनिया में कभी जुगाड़ के मामले में कोई प्रतियोगिता हुई तो सारा इनाम हिंदुस्तान ही जीतेगा।

एक ऐसा ही जुगाड़ फिर हमारे सामने आया है, जिसमें एक किसान ने फसल बाेने की मशीन, आटा चक्की बनाने के बाद अब जुगाड़ से मिनी ट्रैक्टर बनाया है। – Babulal Gayari from Prakashpura makes a mini tractor from Jugaad

Babulal Gayari from Prakashpura makes a mini tractor from Jugaad

जुगाड़ से बनाई कई सारी मशीन

यह कहानी मावली क्षेत्र की पलानाकला पंचायत के प्रकाशपुरा के रहने वाले बाबूलाल गायरी (Babulal Gayari) की है। जिन्होंने जुगाड़ से फसल बाेने की मशीन, आटा चक्की और मिनी ट्रैक्टर बनाया है। यह देखकर कृषि विभाग के ओर से जिला स्तर पर बाबूलाल को 25 हजार रुपए की प्राेत्साहन राशि के लिए चयन किया गया है।

इन फीचर्स के साथ बनाए मिनी ट्रैक्टर

बाबूलाल गायरी द्वारा बनाए मिनी ट्रैक्टर में 10 एचपी का इंजन, डीजल एयर कूल्ड 3600 आरपीएम, सेल्फ स्टार्टर, टर्बाे इंजन, सेल्फ, पावर स्टेयरिंग, ग्रिप्स वाले टायर, हेड तथा ब्रेक लाइट, साइड ग्लास, हाॅर्न, क्रेन है तथा पीटीओ शाफ्ट है। ट्रैक्टर के साथ ट्राॅली, कल्टी, सीड डील, रिपर, दवाई स्प्रे की मशीन, खरपतवार निकालने की थ्री पाॅली, कटर तथा खेत पर डोली बनाने का उपकरण, गड्ढे खोदने की ड्रिल मशीन, लेवलर लगाए है। – Babulal Gayari from Prakashpura makes a mini tractor through Jugaad.

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2.5 लाख रुपए की लागत से बनाए मिनी ट्रैक्टर

बाबूलाल को यह ट्रैक्टर बनाने में कुल 2 से 2.5 लाख रुपए लगा। उनका मानना है कि खेती के क्षेत्र में अलग-अलग नवाचार से किसान अच्छे काम कर सकते हैं। बाबूलाल के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के वजह से कक्षा 6 के बाद उन्हें पढाई छोड़नी पड़ी। कम उम्र में ही शादी होने के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उनके उपर आ गई। घर खर्च चलाने के लिए उन्होंने खेती करना शुरू कर दिया।

बाबू लाल का परिवार पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है

बाबूलाल को शुरू से ही जुगाड़ कर नए-नए आविष्कार करने में रूचि थी। बाबूलाल पंचायत भवन से 4 किमी दूर गांव में रहता है। पिता काे पेंशन दिलाने के लिए वह उन्हें 4 किमी दूर साइकिल पर बैठाकर बैंक में जाते है। बाबूलाल के परिवार में बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी, लड़का-लड़की है और वह पूरी तरह कृषि पर निर्भर है। वह गोभी, मिर्च, टमाटर, बैंगन आदि सब्जियाें के साथ कपास, गेहूं, मक्का की भी खेती करते है। – Babulal Gayari from Prakashpura makes a mini tractor from Jugaad.

बाबूलाल कृषि के क्षेत्र में नवाचार लाने के लिए हुए प्रेरित

कृषि विभाग के आत्मा परियोजना के निदेशक उदयपुर के रविन्द्र वर्मा के अनुसार बाबूलाल कृषि के क्षेत्र में नवाचार लाए है इसलिए उन्हे कमेटी पुरस्कार के लिए चयन किया गया है। पंचायत समिति स्तर पर चयनित किसानाें काे पुरस्कार की राशि जिला कार्यालय से दी जाएगी तथा जिला स्तर पर चयनित किसानाें काे राशि राज्य स्तर से ट्रांसफर हाेती है। इस याेजना के जरिए किसानों को हर साल प्राेत्साहित किया जाता है।

25 हजार रुपए का मिला पुरस्कार

सरकार कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, जैविक खेती और नवाचार पर हर क्षेत्र में हर जिला से दो किसानों को चयनित करती है। ऐसे 10 किसानों को इस बार जिला स्तर पर चयनित किया गया है। किसानों की प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने के लिए उनसे आत्मा योजना का फार्म भरवाया गया। कृषि विभाग की गाइडलाइन के अनुसार बाबूलाल ने पहले ट्रैक्टर का नमूना बनाया और बाद में इसे मोडिफाइड किया। नवाचार में चयनित होने के बाद बाबूलाल को 25 हजार रुपए का पुरस्कार मिला है। – Babulal Gayari from Prakashpura makes a mini tractor from Jugaad

लोग जुगाड़ द्वारा नई नई अनोखी तकनीक विकसित कर लेते हैं, जिससे हमें यह मालूम पड़ता है कि लोगों के अंदर सोचने समझने की शक्ति बहुत ज्यादा है, जिसका वे नए अविष्कारों में उपयोग करते रहते हैं।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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