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इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ बिहार में शुरू किए काले चावल की खेती, कम लागत में दुगना आय कमा रहे हैं

एक उक्ति है “एकता में बल है”। यह बिल्कुल हीं स्तरीय उक्ति है। अक्सर यह देखा जाता है कि मिलकर कोई कार्य करने से उसकी बेहतरी अकेले होने वाले कार्य की अपेक्षा ज्यादा होती है। एकता में बल को प्रदर्शित करती आज की कहानी 2 भाइयों की है जिन्होंने एक साथ रहकर ऐसी चावल की खेती की जिससे वह सभी के लिए उदाहरण बने हैं। दरअसल ये दोनों मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब कर रहे थे। फिर इन्होंने लाखों का जॉब को छोड़ दिया और खेती का शुभारंभ किया। हालांकि शुरुआत में इन्हें लोगों ने बहुत कुछ गलत कहा था। तो आईए जानते हैं इन दोनों भाईयों द्वारा किए जा रहे सफल कृषि के बारे में…

रूपेश और नितेश

रूपेश (Rupesh) और नितेश (Nitesh) बिहार (Bihar) के जहानाबाद (Jahanabad) से ताल्लुक रखते हैं। इनके पिता का नाम रुदे्रश शर्मा है जो कि एक मुखिया रह चुके हैं। दोनों भाई नोएडा में जॉब कर रहे थें। लेकिन यह अपने जिंदगी में सबसे हटकर विशेष करना चाहते थे इसलिए इन्होंने नौकरी छोड़ दी। इन्होंने खेती करने का निश्चय किया लेकिन इसमें भी इनके अलग पहचान बनानी थी इसलिए पारम्परिक खेती को नहीं अपनाया।

Black rice farming by  two engineers

काले चावल की खेती

इन्होंने सबसे अधिक मूल्य में बिकने वाली चावल की खेती का शुभारंभ किया। जिसे काला चावल कहा जाता है इसकी खेती की। शुरुआत में लोग इन्हें बहुत भला-बुरा कहते थे लेकिन इन्होंने इसमें सफलता हासिल कर सभी का मुंह बन्द कर दिया। अब यह दोनों आज सभी किसानों के प्रेरणा बने हैं और लोग इनसे बहुत कुछ सीख रहे हैं ताकि वह भी अधिक लाभ इस खेती को अपनाकर कमा सकें। इनसे प्रेरणा 1 या 2 किसानों ने नहीं बल्कि 100 किसानों ने लिया है।

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धान की खेती से है अधिक सस्ता

इस खेती को अपनाना बहुत ही सरल है। इसमें अधिक पैसे भी नहीं लगते, ना हीं अधिक सिंचाई की जरूरत होती है। धान की खेती के अपेक्षा यह बहुत सी सरल और लाभदायक है। काले चावल की खेती मात्र 300 एकड़ में बहुत से राज्य जैसे गया, नवादा, शेखपुरा के साथ जहानाबाद में हो रही है। इन दोनों ने एक योजना का निर्माण भी किया है ताकि यह फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगा सकें। ये अपने यहां के अन्य किसानों के चावल खुद 2 दोगुनी रेट में खरीद लेते हैं।

जैविक विधि से करते हैं खेती

इस खेती के लिए यह उर्वरक जैविक खाद के रूप में खेतों में डालते हैं ताकि खेतों की उर्वरक क्षमता बनी रहे और इनका शरीर भी स्वस्थ रहे साथ हीं अधिक लाभ भी हो। इस चावल में अधिक मात्रा में औषधीय गुण होते हैं। अगर इस चावल का सेवन सुगर के पेशेंट करें तो यह उनके लिए लाभदायक होगा। साथ ही यह चावल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

काले चावल की खेती करने और किसानों के लिए प्रेरणा बनने के लिए The Logically रूपेश और नितेश को सलाम करता है।

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