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मात्र 75 पैसे के इस पौधे से होती है लाखों की कमाई, किसानों को हो रहा बंपर मुनाफा: लेमनग्रास

लेमनग्रास (lemongrass) की खेती से होने वाले मुनाफे को देखते हुए भारी मात्रा में किसान लेमनग्रास की खेती कर रहे है। लेमन ग्रास से निकलने वाला तेल कॉस्मेटिक्स, साबुन, दवा और भी कई चीजों को बनाने में प्रयोग होता है। कई बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने प्रोडक्ट में इसका इस्तमाल करती हैं। यही वजह है कि लेमनग्रास की डिमांड हमेशा बनी रहती है। – Cultivation of lemongrass

Cultivation of lemongrass

लेमनग्रास की मांग बढ़ने की है उम्मीद

जानकारों की माने तो आने वाले समय में लेमनग्रास की मांग और बढ़ने की उम्मीद है। तेल के अलावा लेमनग्रास की पत्तियों से दवाई बनाने का भी काम किया जाता है। इसकी पत्तियों की चाय भी सेहत के लिए फायदेमंद होती है। झारखंड के खूंटी जिले में लेमनग्रास की खेती बरी मात्रा में किसान कर रहे है।

महिला भी बड़े पैमाने पर कर रही हैं लेमनग्रास की खेती

खूंटी जिले के किसानों से बतचित करने पर यह पता चला कि लेमनग्रास की खेती में महिला भी बड़े पैमाने पर पुरुषों की मदद कर रही है। यहां की महिलाओ को अक्सर खेत में काम करते हुए पाया जाता हैं। इसी दौरान कुछ लोकल किसानों ने बताया कि एक एकड़ खेत से दो से तीन लाख रुपये की आमदनी होती है। – Cultivation of lemongrass

सात साल तक दोबारा पौधा नहीं लगाना पड़ता

लेमनग्रास की खेती में एक बार पौधा लगाने के बाद किसान को लगभग सात साल तक दोबारा पौधा नहीं लगाना पड़ता, जिससे पानी की बचत होती हैं। यही वजह है कि किसान इस खेती के तरफ काफी आकर्षित होते है। खेती की शुरुआत करने के लिए किसानों को सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाता है।

6 महीने में होता है लेमनग्रास का पौधा तैयार

लेमनग्रास की खेती के लिए एक पौधे की कीमत मात्र 75 पैसे है। लेमनग्रास के फसल में किसी तरह की कोई बीमारी नहीं लगती है, जिससे किसानों को नुकसान होने का खतरा कम हो जाता है। लेमनग्रास के पौधे को तैयार होने में 6 महीने का समय लगता है। हर 70-80 दिनों में यह काटने योग्य हो जाता है।

राज्य सरकार किसानो को दे रही है सब्सिडी

राज्य सरकार लेमनग्रास की खेती के लिए प्रति एकड़ 2000 रुपए की सब्सिडी दे रही है, जबकि डिस्टीलियेशनलगाने के लिए 50 फीसदी तक की सब्सिडी अलग से दी जाती है। – Cultivation of lemongrass

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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