कभी-कभी ऐसा होता है कि हम कुछ और बनना चाहते हैं और बंद कुछ और जाते हैं। बाद में चलकर हमें पता चलता है कि जो हुआ वह अच्छे के लिए ही हुआ। आज हम आपको गुजरात के एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो पहले बनना तो पायलट चाहता था लेकिन बन गया किसान। उनका नाम है ईश्वर पिंडोरिया।
कौन है ईश्वर
ईश्वर गुजरात के रहने वाले हैं जिन का सपना था कभी पायलट बनने का। गुजरात के भुज क्षेत्र में लगभग 20 किलोमीटर और कक्ष के रन से लगभग डेढ़ घंटे की दूरी पर गांव है ईश्वर पिंडोरिया का। इनके सपने की कहानी बहुत ही रोचक है। कई जगह से यात्रा करने के बाद उन्हें पेड़ पौधों के बारे में सटीक जानकारी हुई।
आखिर कैसे हुई शुरुआत
जब तक जीवन में संघर्ष ना हो तब तक सफलता का मजा नहीं आता ठीक उसी प्रकार ईश्वर का यह सफर भी बहुत ही ज्यादा उतार-चढ़ाव वाला था पूर्णविराम लेकिन उन्होंने कभी भी अपने परिस्थितियों से हार नहीं मानी और बढ़ते चले गए। कक्ष के रण में खेती करना कोई आम बात नहीं है लेकिन उन्होंने इस काम को कर कर सफलता हासिल की।
2006 से कर रहे हैं खेती
ईश्वर 2006 से ही अपनी 40 एकड़ की जमीन पर आम अनार और खजूर की खेती करते आ रहे हैं। अपने काम को उन्होंने ऐसे ही नहीं शुरु कर दिया बल्कि इजराइल की कृषि तकनीकों का प्रयोग भी किया। हम सब जानते हैं कि इजराइल खेती के तकनीकों के लिए मक्का माना जाता है इसलिए ईश्वर ने यहां की यात्रा की। खैर उनके पूर्वज तो किसान रहे , ईश्वर के दादा और पिता शुरू से ही बिजनेस के क्षेत्र को चुना अब और अपने कारोबार को ही आगे बढ़ाने में लगे रहे। लेकिन खेती से इनका संबंध टूट नहीं पाया।
यह भी पढ़े :- इस तरह घर के सभी कचड़ों से खाद बनाकर मुम्बई की दीप्ति 30 तरह की ऑर्गेनिक सब्जियां उगाती हैं
शुरू से ही था लिया था कि नहीं करेंगे पारंपरिक तरीके से खेती
ईश्वर ने खेती करने से पहले ही मन बना लिया था कि वह आगे चलकर कभी भी पारंपरिक खेती को नहीं सुनेंगे बल्कि तकनीकों का प्रयोग करके चीजों को आसान बनाएंगे और लोगों को सेवाएं उपलब्ध कराएंगे।जब वह इजराइल की यात्रा पर थे तो वहां उन्होंने बहुत सारे मशहूर किसानों और खेतों का दौरा किया चीजों को समझा और ज्ञान बटोरने की कोशिश की। उन्हें हमारे यहां के किसान और इजराइल के किसानों के बीच में अंतर समझ में आ गया कि हम किस कमी के कारण पीछे रह जाते हैं।
रेतीली मिट्टी पेड़ खजूर के फसल ने दिखाई राह
इसराइल उन्होंने देखा कि रेतीली मिट्टी और बहुत ही संघर्षपूर्ण जलवायु में भी लोग तकनीकों की मदद से खजूर की अच्छी खासी फसल उगा रहे थे। उन्हें लगा कि क्यों ना गुजरात में भी इस सिस्टम का प्रयोग किया जाए। अगर संकल्प दृढ़ हो और उस पर संयमित रूप से काम किया जाए तो काम को सफल होना ही है।
तकनीकों का लिया सहारा
ईश्वर ने अनार आम खजूर के अलग-अलग के समाधि की खेती शुरू किए। आप उनके खेतों में कैनोपी मैनेजमेंट और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम चेंज मैनेजमेंट पेस्ट मैनेजमेंट और मिट्टी के न्यूट्रिशन मैनेजमेंट तकनीकों को आराम से देख पाएंगे। उनका कहना है कि वृत्त तकनीक से आप पानी का 60% भाग बचा सकते हैं और पानी वही उपयोग किया जाएगा जहां उसकी बहुत ज्यादा जरूरत होगी।
कैलिफोर्निया से भी मंगवाते हैं कई इंस्ट्रूमेंट
ईश्वर कैलिफोर्निया से सिंचाई को शेड्यूल करने के लिए मिट्टी की उर्वरता और नमी को बढ़ाने के लिए अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट मंगवाते हैं। आप उनके खेतों में ग्लोबल ज्ञात जिसको गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेज सर्टिफिकेशन भी देखने को मिलेगा। अपने सारे तकनीकों से उन्हें काफी मदद मिलती है और उनकी उपज भी खूब होती है क्योंकि वह गुणवत्ता और मात्रा दोनों अच्छी खासी देते हैं।
उनके ब्रांड का नाम है हेमकुंड फार्म फ्रेश
उन्होंने अपना कोल्ड स्टोरेज भी खोल रखा है। आप उनके फलों को भारत के बड़े-बड़े मेट्रो शहर में पा सकते हैं। वहीं उन्होंने अपने ब्रांड का नाम रखा है हेमकुंड फार्म फ्रेश। उनकी गुणवत्ता और तरोताजा फलों को लोग काफी सराहे हैं और प्रोत्साहन देते हैं। यहां तक कि आपको बता दें कि जर्मनी से भी उनके काफी अच्छे फीडबैक आते हैं।
गुणवत्ता के कारण मिलती है ज्यादा कीमत
ईश्वर बताते हैं कि जैसा कि वह गुणवत्ता में कोई भी कमी नहीं करते हैं। गुणवत्ता के साथ-साथ स्वास्थ का भी खूब ध्यान रखा जाता है जिसकी वजह से अन्य किसानों की तुलना में उन्हें ज्यादा दाम मिलता है। अभी 2 साल पहले तक उनके बाग में आम भी उठते थे और केसर आम से तो पूरा पर्यावरण खुशबूदार हो जाता था। जहां बाकी किसानों को 1 किलो आम के लिए 35 से ₹40 मिलते हैं वही ईश्वर को 50 से भी ज्यादा रुपए प्रति किलो पर मिलते हैं।
सबसे अच्छी बात यह है कि अब तक जितने लोग ईश्वर से जुड़ चुके हैं या उनके ग्राहक बन चुके हैं वह कभी भी कहीं और से आम नहीं खरीदते हैं। और खजूरों का भी बहुत मांग हमेशा रहता है।
खजूर के हैं अच्छे वैरायटी
अगर बात खजूर की हो रही हो तो आपको बता दें कि यहां दो से तीन बार आई थी जिसने लोकल कॉल्ड वैरायटी और बड़ा ही किस्मत शामिल है। करीबन 2 साल का वक्त लग गया फलाने में क्योंकि 2006 में जो उन्होंने पेड़ लगाए थे वह 2008 में फल देना शुरू किया। आपको 200 किलो खजूर एक पेड़ से मिल सकती है जो कि बहुत अच्छी बात है। जहां खजूर के लिए बाकी किसानों को 30 से ₹40 प्रति किलो का दाम मिलता है वही ईश्वर के खजूरों का दाम 100 से ₹110 प्रति किलो है।
इनके खजूरों में सामान्य खजूर से अंतर 10 से 12% तक रहता है क्योंकि सामान्य खजूर का वजन 12 से 14 ग्राम होता है लेकिन ईश्वर के खजूर का 26 27 ग्राम होता है। इसे वह कोल्ड स्टोरेज में रख देते हैं जिससे इसकी शेल्फ लाइफ बढ़ने लगती है।
क्रॉस पॉलिनेशन के तरीके को अपना रहे हैं
ईश्वर अपने ही खेत में से 12 से 14 पौधे को चुने हैं जिससे वह cross-pollination कराकर नई वैरायटी बना सकते हैं। वह उम्मीद करते हैं कि जल्द ही दुनिया में नए-नए किस्मों के खजूर सामने आएंगे। आम के पौधे तो है ही उसके साथ-साथ अनार के 5000 से भी ज्यादा पौधे आपको यहां देखने को मिलेंगे जो अगले ही साल फल देना शुरू करने वाले हैं।
खुद तैयार करते हैं खाद
ईश्वर के खेतों में गिरे कचड़े गोबर की खाद आदि का प्रयोग और गिरे खजूर के पत्तों आदि का प्रयोग खाद बनाने के लिए किया जाता है। उनका कहना है कि आपको खाद की अच्छी जानकारी होनी चाहिए और मिट्टी की उर्वरता हो हमेशा हंसते रहना चाहिए।
खेती करने या बागवानी करने से पहले अच्छी खासी रखे जानकारी
ईश्वर का मानना है कि आप जो भी काम करने जा रहे हैं उसका स्टेप बाय स्टेप आपको पता होना चाहिए। उसके पास है और नुकसान भी पता होना चाहिए और काम को कैसे आगे बढ़ाना है इसकी तैयारी भी होनी चाहिए। जब तक आपको उस चीज की पूरी जानकारी ना हो तब तक आप उस काम को शुरू ना करें। ईश्वर हमेशा ही कुछ नया सीखने की उम्मीद में रहते हैं क्योंकि इंसान की सीखने की उम्र कभी खत्म नहीं होती।
गरीब और जरूरतमंद किसानों की करते हैं मदद
वह गुजरात के जितने भी अग्रणी किसान है उनके साथ मिलकर जरूरतमंद और गरीब किसानों की मदद करते हैं वह फंड्स भी चलाते हैं जिससे हर वर्ष कम से कम 50 किसानों को सहायता पहुंचाई जाती है और कभी-कभी उन्हें यात्रा करने में मदद की जाती है ताकि वह जगह-जगह जाकर तकनीकों को समझे और सीखें।
कई बार ऐसे संगठनों ने कृषि मेला भी लगवाया है जहां पर ढाई हजार से भी ज्यादा कृषि यंत्रों और बीजों को वहां लाया जाता है और किसानों से सीधा कनेक्ट कराया जाता है। इस कृषि मेलों में डिस्काउंट पर चीजों को बेचा भी जाता है जिससे गरीब और जरूरतमंद किसानों को बहुत फायदा पहुंचता है।
चाहते हैं कि सभी प्रकृति से जुड़े और तकनीकों का सहारा लेकर आगे बढ़े
ईश्वर चाहते हैं कि हर एक इंसान प्रकृति के करीब जाए और इसका एक मात्र साधन है कि आप पेड़ पौधों के प्रति लगाव बढ़ाएं। यदि आप किसान ही बनना चाहते हैं तो आप तकनीकों का इस्तेमाल करके अपना नाम ऊंचा कर सकते हैं और अपने काम को आगे बढ़ा भी सकते हैं। आप जरूरतमंदों की सेवा भी करें और जरूरत पड़ने पर ऐसे लोगों के संपर्क में जाए जो काफी अनुभव रखते हो।
The Logically ईश्वर के इस महान कार्य और तकनीकी विशाल को सलाम करता है और उम्मीद करता है कि इसी तरह नई नई किस्मों को निकालते रहेंगे और दुनिया के सामने पेश करते रहेंगे।