कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन ने सबकी ज़िंदगी पर काफी प्रभाव डाला है। कुछ बदलाव ऐसे हुए जिसने कुछ लोगों की सोचने और काम करने का तरीके को बदल कर रख दिया है। आज हम एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं जो इजीप्ट (मिस्र) जैसे देश में अपनी नौकरी छोड़ कर भारत आने का फैसला लेते हैं और यहां आधुनिक तकनीक से खेती करने का निर्णय लेते हैं।
इजीप्ट के एक इम्प्लॉय का फार्मिंग के क्षेत्र में सफर
दीपक राघव(Deepak Raghav) जो इजीप्ट में बतौर ट्रांपोटेशन एंड रिलोकेशन के काम के साथ ही रिलेशनशिप मैनेजर के पद पर थे वो बताते हैं, ” मैं एक इवेंट में गया था वहां पर मैंने कुछ लोगों से बात की तो उन्होंने भारत के बारे में अपनी राय रखते हुए कहा कि भारत खेती के मामले में सबसे रिच देश है लेकिन सबसे ज्यादा आत्महत्याओं के आंकड़े किसानों के ही हैं।”
The Logically से बात करते समय दीपक आगे बताते हैं कि इस बात को सुनने के बाद कहीं न कहीं मुझे लगा की हमारी फार्मिंग तकनीक में जरूर कोई दिक्कत है। मैंने इजीप्ट में इस्तीफ़ा देने के साथ ही भारत लौटते ही तकनीकी फार्मिंग की ट्रेनिंग ली भारत के अनेको शहर, गाँव घूमे अब मेरे साथ लगभग 200 लोग काम करते हैं।
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राजीव दीक्षित से प्रभावित हैं
दीपक का कहना है कि उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा राजीव दीक्षित हैं। राजीव दीक्षित जो एक मोटिवेशनल स्पीकर हैं। दीपक बताते हैं जब मैंने उनका पहला लेक्चर अटेंड किया था तब तीन दिन तक अपने बिस्तर से उठ नहीं पाया था। इससे पहले मैंने कभी फार्मिंग के बारे में नहीं सोचा था लेकिन उन्होंने भारत को जिस नज़रिए से दिखाया उसके बाद मैंने इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया।
फार्मा कल्चर के साथ ही जानते हैं अनेकों खेती के तरीके
दीपक भारत आने के बाद जब फार्मिंग में पहला कदम रखा तो दीपक के सामने सबसे बड़ी समस्या थी कि तकनीकी खेती कैसे करना है क्योंकि दीपक ने कभी खेती कैसे होती है ये देखी नहीं थी। इसके बाद दीपक ने सुभाष पालेकर तथा श्री श्री रविशंकर के अंडर में फार्मा कल्चर, बॉयो डायनामिक फार्मिंग के साथ ही कार्बन फार्मिंग, होलिस्टिक फार्मिंग की ट्रेनिंग ली।
लॉकडाउन से पहले गाँव-शहर में घूम कर मॉडर्न फ़ार्मिंग सिखाते थे
The Logically से बात करते समय दीपक(Deepak Raghav) ने बताया कि, कोरोना काल से पहले गाँव में जा कर वो खुद सबको खेती के नए तरीके सिखाते थे। जिससे काफ़ी लोगों को कम बजट में अच्छी फसल के साथ ही अच्छा मुनाफा भी होता था लेकिन लॉक डाउन के बाद सब बंद पड़ गया। लोग परेशान होने लगे मैं लोगों से संपर्क में रहने की कोशिश करता रहा लेकिन इसका भी खास असर नहीं दिख रहा था। किसानों के साथ ही कहीं न कहीं मेरी आमदनी पर भी प्रभाव पड़ने लगा। एक समय ऐसा आया जब मेरे पास प्रोजेक्ट आने बंद हो गए तब मैंने सोचा इस तरह से काम नहीं चलेगा कुछ तो सोचना पड़ेगा।
खेत से यूट्यूब तक
जब मैंने देखा तमाम लोग यूट्यूब के ज़रिये लोग अपनी बात जनता दरबार तक पहुंचा रहे हैं तो मैंने भी अपना एक यूट्यूब चैनल शुरू किया जिसमें आधुनिक खेती के लाभ से लेकर मुनाफ़ा तक की बात बताने लगा। कुछ दिन बाद लोगों का अच्छा रेस्पॉन्स आया साथ ही टेंडर भी मिलने शुरू हो गए।
1 लाख से ज़्यादा है महीने का इनकम
दीपक बताते हैं कि अभी उनके साथ लगभग 200 लोग जुड़े हुए हैं और वो एक ‘जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग फाउंडेशन'(Zero budget natural Farming Foundation) भी चलाते हैं जो बिलकुल भी नॉन प्रॉफिट है। दीपक का कहना है पहले से ज्यादा अब उनकी इनकम होती है वो फार्मिंग के ज़रिये 1 लाख तक महीने का मुनाफ़ा हो जाता है। अब अच्छे मुनाफे से उनका मनोबल और बढ़ा है।
The Logically की तरफ से हम दीपक के स्वदेशी मॉडल की प्रसंशा करते हैं और उन्हें भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएं देते हैं।