अगर हमें किसी की मदद करनी है, तो इसके लिए धन-संपत्ति की आवश्यकता नहीं होती बल्कि बड़े दिल का होना जरूरी होता है। कुछ ऐसा ही कार्य कर रही हैं, राशन के दुकान में काम करने वाली एक महिला। वह महिला उन सभी व्यक्तियों की सेवा करने में लगी है, जो इस महामारी से परेशान होकर कठिनाइयों के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
के कनिमोझी (K Kanimozhi) को अपने बचपन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, जिस कारण वह भोजन और उचित आजीविका नहीं प्राप्त कर सकीं। यही कारण है कि उन्हें बेघर लोगों पर कोरोना महामारी का प्रभाव भीतर तक महसूस हुआ।
के कनिमोझी (K Kanimozhi) तमिलनाडु (Tamilnadu) के अरियालुर (Ariyalur) के अलगप्पा (Alagappa) नगर की रहने वाली हैं। वह कनिमोझी (Kanimozhi) अरियूर (Ariyur) कॉलेज रोड पर एक राशन की दुकान में हेल्पर का काम करती हैं। (Maruvom Matruvom)
लॉकडाउन के दौरान उन्होंने काम से घर लौटते समय वृद्ध लोगों को बिना आश्रय और भोजन के सड़क पर देखा था। तब उन्होंने जरूरतमंदों की सेवा करने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया और अपने करीबी दोस्तों के साथ एक पहल- ‘मारुवोम मातृवोम’ (Maruvom Matruvom) शुरू किया।
वह पिछले 15 दिनों से लगभग 25 लोगों को दोपहर और रात का खाना परोस रही हैं। हालांकि कनिमोझी (K Kanimozhi) अपनी मामूली कमाई से सारा खर्च वहन करती हैं, लेकिन समूह ने इस सेवा को जारी रखने के लिए धन जुटाने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है। उन्होंने बताया कि दुर्भाग्य से मैं हर किसी की मदद नहीं कर सकती लेकिन समय की इस जरूरत को पूरा करना चाहती हूं। (Maruvom Matruvom)
(K Kanimozhi) कनिमोझी अपनी दादी के साथ तब से रह रही हैं, जब वह छोटी थी और अपने माता-पिता को खो दिया था। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (IIT) पाठ्यक्रम पूरा कर लिया। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया, “जब मैं स्कूल में थी, मैं अपने दोस्तों के समर्थन से नए कपड़ों के साथ अपने जैसे माता-पिता को खोने वाले छात्रों की मदद करती थी। मैंने दीपावली जैसे त्योहारों के दौरान भी उनकी मदद की।”
अब हमारे समूह ने वर्तमान लॉकडाउन के दौरान लोगों की सेवा करने का फैसला किया है, लेकिन अगर लॉकडाउन बढ़ता है तो यह सेवा पूर्ववर्त जारी रहेगी।