ह्यूमन ट्रैफिकिंग (Human Trafficking) यानी मानव तस्कारी कहने को तो ग़ैरक़ानूनी है, लेकिन फिर भी यह हमारे समाज की गंभीर समस्या बनी हुई है। शारीरिक शोषण और देह व्यापार से लेकर बंधुआ मज़दूरी (Serfdom) तक के लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग की जाती है। सबसे ज्यादा इसमें महिलाओं और बच्चों को शिकार बनाया जाता है।
आज से चार साल पहले झारखंड में इससे जुड़ी एक ऐसी ही घटना सामने आई थी जहां एक लड़की को कुछ लोगों ने जबरन अगवाह कर लिया था। लेकिन राहत की बात ये है कि अब चार साल बाद एनजीओ की मदद से वही लड़की अपने घर दोबारा लौट आई है। इतने सालों बाद बेटी को दोबारा देखने के बाद पिता को विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि बेटी घर वापस लौट आई है। और उसे सीने से लगाकर वो फफक कर रोने लगे।
चार साल पहले स्टेशन से किया अगवाह
घटना कुछ इस प्रकार थी कि आज से चार साल पहले 22 मार्च 2017 की शाम धनबादब की रहने वाली सुनीता (बदला हुआ नाम) धनबाद स्टेशन (Dhanbad statio)पर दोस्तों के साथ घूम रही थी। तभी वहां एक युवक ने उसे कुछ सुंघा दिया, जिसके बाद वो बेहोश हो गई। जब उसे होश आया तो खुद को बस में देखा। इतने में ही युवक ने उसे दोबारा नशीला पदार्थ सूंघा दिया।
दोबारा उसकी आंख खुली तो उसने खुद को मोतिहारी से 15 किलोमीटर दूर पिपरीकोठी में पाया। जहां उसे पता चला कि उसे एक लाख बीस हजार रुपये में बेच दिया गया है। इसके बाद उससे घर के काम करवाने के अलावा ऑर्केस्ट्रा पार्टी में नचवाया जाता था।
यह भी पढ़ें :- उम्र को मात देकर रची इतिहास, 62 साल की उम्र में दूध बेचकर करोड़पति बनीं गुजरात की नवलबेन
कैसे निकली चंगुल से ?
रेस्क्यू कराने के पीछे मिशन मुक्ति फाउंडेशन (Mission Mukti Foundation) का अहम रोल है। स्थानीय पुलिस की मदद से वो इस काम को अनजान दे पाए। टीम की सदस्य ने द क्विंट को बताया कि “जब लड़की के रेस्क्यू के लिए स्थानीय पुलिस रेड डालती थी तो वो नहीं मिलती थी। दरअसल सुनीता को अगवाह करने वाले लोगों ने अपने रिश्तेदार के यहां छिपा दिया था।
साड़ी सिंदूर में लड़की की खड़ा कर ब्याही दिखाने की कोशिश
जब पुलिस ने रात साढ़े बारह बजे सरपंच पर दबाव डाला कि अगर लड़की नहीं मिली तो पूरे घर वालों को अरेस्ट किया जाएगा। तो इसके बाद लड़की 10 जनवरी की सुबह मिली। लेकिन लड़की सामने आई तो उसे सिंदूर और शादीशुदा महिला की तरह सजाकर सामने लाया गया। उससे कहा गया कि कह दो “शादी हो गई है, बाल-बच्चे हैं मैं नहीं जाऊंगी।” लेकिन सुनीता ने सब कुछ सच बता दिया।
अब जब सालों बाद बेटी घर पर पहुंची है तो पिता उसे देखकर अपने आंसू नहीं संभाल पाए। भाई की भी आंखे नम हो गई। साथ ही परिवार में खुशी का माहौल है।