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खेती की इस नई तकनीक में होती है पानी की खूब बचत, इससे राजस्थान के किसान कमा रहे अच्छा मुनाफा

अधिकतर इंसान खेती की तरफ रुख मोड़ रहे हैं। खेती में वह पारंपरिक खेती को ना अपनाकर वैज्ञानिक पद्धति द्वारा खेती कर रहे हैं, ताकि उन्हें अधिक मात्रा में लाभ हो और पानी की बचत भी हो।

आज हम एक ऐसे किसान के बारे में बात करेंगे, जो पारंपरिक खेती छोड़कर वैज्ञानिक खेती को अपना रहे हैं। साथ ही इससे उन्हें अधिक मुनाफा भी हो रहा है।

शंकर जाट को जानिए

शंकर जाट (Shankar Jat) राजस्थान (Rajasthan) के सलेरा ग्राम से संबंध रखते हैं। उन्होंने पारंपरिक खेती में बदलाव किया। आज वह अपनी खेती से अधिक लाभ कम आ रहे हैं। वह मात्र 1.25 एकड़ भूमि में ही टमाटर, गेहूं एवं बिन्स उगा रहे हैं। वह पहले जो खेती करते थे, उससे उन्हें लगभग 60000 रुपए की कमाई होती थी। (Drip Irrigation system and Mulch)

Drip Irrigation System is a new method for farmers of Rajasthan to earn profit and save water

पहले खेती में होती थी दिक्कत

45 वर्षीय शंकर जाट ने (Shankar Jat) वैज्ञानिक पद्धति को अपनाकर किस तरह खेती किया जाता है, इसके बारे में सारी जानकारी इकट्ठा की। आज वह वैज्ञानिक पद्धति से ही खेती कर हर साल 40 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने जानकारी दिया कि पहले मैं टमाटर की खेती किया करता था, जिससे ना तो मेरी लागत का खर्च निकलता था और ना ही अपने परिवार को खुशहाल ज़िंदगी दे पा रहा था। (Drip Irrigation System & Mulch)

टमाटर की खेती हुई प्रारंभ

सारी जानकारी इकट्ठा कर Shankar Jat ने “1057 वेराइटी की टमाटर” की खेती प्रारंभ की। ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग की सहायता से उन्होंने मात्र 1 बीघा में टमाटर उगाए और अच्छी पैदावार हुई। ऐसा नहीं कि उन्होंने सिर्फ टमाटर की खेती की बल्कि वह फल की भी खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं। अपनी खेती के लिए उन्होंने जैविक उर्वरक का उपयोग किया करते हैं। उर्वरक का निर्माण करने के लिए वह गोबर, पानी गोमूत्र, गुड़ और सत्तू का इस्तेमाल करते हैं। (Drip Irrigation System & Mulch)

अब पानी की भी होती है बचत

ऐसा नहीं है कि पहले ही शंकर जाट (Shankar Jat) को खेती में सफलता हासिल हुई। शुरुआती दौर में उन्हें मल्चिंग के कारण बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, लेकिन आज शंकर जाट ने (Shankar Jat) वैज्ञानिक पद्धति से खेती कर अधिक लाभ कमा रहे हैं और पानी की बचत भी हो रही है। उन्होंने बताया कि पहले जब पारंपरिक खेती किया करते थे, तब उस वक्त दिन में 3 बार मुझे खेतों में सिंचाई करनी पड़ती थी। आज हम प्रतिदिन 20 मिनट तक खेतों की सिंचाई कर देते हैं और फसल तैयार हो जाते हैं। (Drip Irrigation System & Mulch)

आज वह अन्य किसानों को इस खेती के विषय में जानकारी भी दे रहे हैं। अन्य किसान इस खेती को अपना रहे हैं। (Drip Irrigation System & Mulch)

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