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सरकारी नौकरी नहीं मिली इसलिए बन गए किसान, अब खेती के जरिए कमा रहे लाखों

अधिकतर युवाओं की चाहत अच्छी खासी नौकरी सरकारी नौकरी हासिल कर सेटल होने की होती है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में युवा सरकारी नौकरी पाने के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं, फिर भी युवाओं को सफलता नहीं हासिल हो रही है।

आज की हमारी यह पेशकश एक ऐसे ही युवा की है, जिन्होंने सरकारी नौकरी के लिए बहुत मेहनत किया। उन्होंने आर्मी के लिए 4 बार प्रयास भी किया लेकिन असफल रहे। अब वह खेती (Organic Farming) की तरफ अग्रसर हुए हैं, और आज वह लाखों की कमाई भी कर रहे हैं।

युवा सर्वेश गंगवार का परिचय

सर्वेश गंगवार (Sarvesh Gangwar) बरेली (Bareli) से संबंध रखते हैं। वह सरकारी नौकरी के पीछे बहुत भागे, लेकिन वह इसमें असफल रहे। उन्होंने लगभग 3 से 4 बार आर्मी के लिए प्रयास भी किया, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाए। जब उनकी सरकारी जॉब की ख्वाहिश पूरी नहीं हुई तब वह प्राइवेट जॉब करने लगे, परंतु वह इससे संतुष्ट नहीं हुए। उसे छोड़कर उन्होंने खेती की तरफ रुख मोड़ लिया। अब वह दलहन, गन्ना और सब्जियां अपने खेतों में उगा रहे हैं और इससे लाखों पैसे भी कमा रहे हैं। वह सिर्फ खेती नहीं करते बल्कि इन सारी फसलों की प्रोसेसिंग भी करते हैं। आज वह अपने ज़िले में प्रगतिशील किसानों की श्रेणी में आते हैं। (Organic Farming)

Earning lakhs through Organic Farming Sarvesh Gangwar

8 बीघा में शुरू किया खेती

सर्वेश ने जब खेती प्रारम्भ की तब उनके पिता ने उन्हें 8 बीघा ज़मीन दी। हालांकि उनके पिता के पास 36 बीघा ज़मीन थी। ज़मीन मिलने के उपरांत उन्होंने आधे भाग में सब्जी और आधे में गन्ना उगाया। उन्हें अपनी खेती में 10000 रुपए की लागत लगी। वहीं लाभ के तौर पर 50000 रुपए खेती से प्राप्त हुए। तब उनका मनोबल बढ़ा और उन्होंने 36 बीघा ज़मीन में खेती प्रारंभ कर दी। (Organic Farming)

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उगा रहे हैं अन्य फसल

उनके खेतों में उगे गन्ने से गुड़ का निर्माण किया जाता है, वही चना मसूर अरहर आदि को घर की चक्की में दर कर दाल बनाया जाता है। वहीं गेहूं से आटे का निर्माण और सरसों को पीरोकर तेल भी घर पर ही बनाया जाता है। जिस कारण इसकी डिमांड मार्केट में अधिक है। उन्हें अपनी प्रोडक्ट की उचित कीमत मिल रही है। (Organic Farming)

महिलाओं को दिया रोज़गार

वह 36 बीघा ज़मीन में गन्ना, सब्जी और गेहूं के अतिरिक्त दलहन फसलों को भी उगा रहे हैं। इतना ही नहीं वह अपने घर पर मशरूम की खेती भी कर रहे हैं। वह अपने फसलों की प्रोसेसिंग करने के उपरांत प्रोडक्ट का निर्माण करते हैं, जो बाज़ार में सप्लाई किया जाता है। इससे भी उन्हें अच्छा लाभ प्राप्त हो रहा है। (Organic Farming)

सर्वेश अपने खेतों में उर्वरक के लिए किसी रसायन का उपयोग नहीं करते हैं, बल्कि पराली द्वारा ही ऑर्गेनिक खाद (Organic Farming) का निर्माण करते हैं। अब उनके पास अधिक मात्रा में किसान प्रशिक्षण के लिए आते हैं और उन्होंने महिलाओं को भी रोज़गार दिया है। (Organic Farming)

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