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इंजीनियरिंग के बाद नही मिली नौकरी, युवक ने गांव में शुरू किया डेयरी फार्म और आज 10 से 12 लाख सालाना आय है

आजकल के युवा अपनी ज़िंदगी में सफलता पाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं क्योंकि एक सफल कैरियर की ख्वाइस हर किसी की होती है। आजकल सभी के लिए पढ़ाई पूरी करने के बाद भी नौकरी पाना बहुत बड़ी चुनौती बन गई है। ऐसे में युवा पीढ़ी व्यवसाय के तरफ कदम बढ़ा रहे हैं और नए-नए तरकीब भी अपना रहे हैं। इससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो रहा और उनके जरिए अन्य कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। कुछ ऐसा ही हुआ आशुतोष दीक्षित (Ashutosh Dixit) के साथ, उन्हें पढ़ाई करने के बाद नौकरी नहीं मिली। वे अपनी बेरोजगारी दूर करने के लिए व्यवसाय करना शुरू किए और आज अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

आशुतोष दीक्षित का परिचय

आशुतोष दीक्षित उत्तर प्रदेश (Utter Pradesh) के इटावा (Etawah) जनपद के बीहड़ी आसई गांव के रहने वाले हैं। उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी नौकरी नहीं मिली। वह नौकरी के लिए पूरे एक साल तक प्रयास किए लेकिन बेरोजगारी ही उनके हाथ लगी। ऐसा सिर्फ आशुतोष के साथ ही नहीं है बल्कि हमारे देश में उनके जैसे अन्य भी कई युवा हैं जिन्हें उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिलती है। क्योंकि भारत में बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या बन गई है। लेकिन आशुतोष भी हार नहीं माने और रोजगार के लिए व्यवसाय करने की योजना बनाएं।

Engineer Ashutosh dixit dairy farm etawah
Ashutosh Dixit Civil Engineer, Etawah

गौपालन की शुरुआत (Ashutosh Dixit dairy farm)

शहर में रहकर स्टार्टअप करना सबके लिए आसान नहीं है क्योंकि उसमें अत्यधिक पैसे की जरूरत पड़ती है। आशुतोष दीक्षित अपने व्यवसाय के योजना को लेकर गांव लौट गए और वहां पशुपालन करने लगे। पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें बहुत अधिक पैसे की जरूरत नहीं पड़ती है, कम लागत में भी शुरुआत करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसके लिए आशुतोष गौपालन (Cow Farming) करना शुरू किया। वे राजस्थान के बीकानेर से चार साहीलवाल गायें खरीदे और बहुत जल्द ही उन्हें इसके फायदे मिलने भी शुरू हो गए।

गायों की नस्ल में साहीवाल गाय बहुत अच्छी मानी जाती है। यह दूध भी ज्यादा करती हैं, साथ ही इसके दूध में उचित मात्रा में वसा पाया जाता है। हालांकि विदेशी गायों की तुलना में साहीवाल गाय कम दूध देती हैं लेकिन इनमें खर्च भी कम ही होता है। यह नए गौपालकों के लिए एक अच्छी नस्ल है क्योंकि कम पैसे में ही इसका पालन किया जा सकता है। इसकी अनेकों सारी खूबियां हैं और इसके दूध की क्वालिटी भी बहुत अच्छी होती है। यहां तक कि वैज्ञानिक भी इसे देशी गायों की नस्ल में सबसे अच्छी गाय मानते हैं।

बहुत जल्द ही होने लगा अच्छा मुनाफा

बहुत जल्द ही आशुतोष (Ashutosh Dixit) का यह आईडिया उन्हें आगे का रास्ता दिखाया। मात्र 3 साल में ही वे 70 गायों के लिए गौशाला बना लिए और बड़े पैमाने पर इस व्यवसाय को करने लगे। दूध की खपत करने के लिए वे कांच के बोतल में पैकिंग कर के शहर में सप्लाई करने लगे, इससे उन्हें और अधिक मुनाफा होने लगा। गौपालन (Cow Farming) से सिर्फ दूध का ही व्यवसाय नहीं किया जा सकता। उससे मिलने वाला हर चीज ही फायदा देने वाला होता है, यहां तक कि गाय का गोबर भी।

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गायों की सभी चीजें है बहुत फायदेमंद

आषुतोष दीक्षित (Ashutosh Dixit) गोबर से लकड़ी और खाद बनाकर भी उसे बेचने का काम करते हैं। गोबर का उपयोग इंधन के रूप में भी किया जाता है और इससे बनने वाले खाद का उपयोग भी खेतों में किया जाता है। गोबर से बनने वाले खाद का उपयोग करने से फसलों की पैदावार भी काफी बढ़ जाती है और वह फसल सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है।

गोमूत्र का भी उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है। गाय के दूध से दही, पनीर, बटर, घी के साथ ही अन्य भी कई चीजें बनाई जाती है, जो हमारे लिए फायदे का ही सौदा है। आशुतोष के अनुसार उनके यहां देशी घी सामान्य मूल्य से तीन गुणा ज्यादा रेट में बिकती है। क्योंकि बाजार में लगभग सभी चीजें मिलावट वाली ही है, इसीलिए देसी चीजों की डिमांड काफी ज्यादा है।

नहीं होती गायों के लिए चारा की किल्लत

पशुपालन में एक बड़ी समस्या बन जाती है पशुओं के लिए चारा, क्योंकि फसल उत्पादन कम होने के कारण चारा की भी किल्लत बढ़ती जा रही है। लेकिन आशुतोष दीक्षित का गांव जंगलों के किनारे है, जिससे उन्हें गायों के लिए चारा की कभी दिक्कत नहीं होती है और ना ही उन्हें इसके लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। जंगलों से ही गायों की चारा की व्यवस्था हो जाती है।

धीरे-धीरे आशुतोष का यह व्यवसाय इतना आगे बढ़ गया कि जितना वह नौकरी करके कमाने को कभी सोच भी नहीं सकते थे। 70 गायों की संख्या बहुत बड़ी होती है। इससे निकलने वाले दूध को वे ₹50 प्रति लीटर बेचते हैं। ऐसे में वे 12-13 लाख रुपए सालाना कमा लेते हैं।

सभी युवा बस बेरोजगारी का रोना ही रोते हैं, अगर वे खुद का व्यवसाय करके पूरी लगन से काम करें तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। खुद के व्यवसाय में स्वतंत्र रहकर काम करने की आजादी होती है। कभी में किसी नौकरी से निकाले जाने का कभी डर नहीं रहता है। इसका एक बड़ा उदाहरण आशुतोष दीक्षित ही है, जो बेहद कम समय में अपने व्यवसाय (Dairy Farming) को विस्तृत रूप दे दिए और लाखों की कमाई भी करने लगे।

बेरोजगारी की समस्या सरकार और जनता दोनों की नींद उड़ा रखी है। यह देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा बन गई है। आशुतोष दीक्षित से प्रेरणा लेकर इनके जैसे और भी बेरोजगार युवा एक नई शुरुआत कर सकते हैं और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं।

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