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नौकरी छोड़ शुरू की खेती और पत्थर पर उगाए पेड़, अब बांस की खेती से कमा रहे लाखों रुपए

अगर हम लगातार परिश्रम करते रहें, तो असफलता हमारे सामने घुटने अवश्य टेकेगी। बात अगर खेती की हो तो सभी व्यक्ति खेती की तरफ अग्रसर हो रहे हैं। ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं, जो अच्छी-खासी नौकरियों को छोड़, पत्थर को तोड़ पथरीली जगह पर खेती कर रहे हैं। साथ ही उसे हरी-भरी उपजाऊ ज़मीन में तब्दील कर रहे हैं।

आज की हमारी यह कहानी एक युवक की है, जो अमेरिका की जॉब को ठुकराकर अपने शहर आए। यहां उन्होंने पत्थर को तोड़कर पथरीली ज़मीन को हरा-भरा बनाया और बांस की खेती की।

Engineer earning lakhs from Bamboo Farming

दीपक गोयल (Deepak Goyal)

दीपक गोयल (Deepak Goyal) मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) से ताल्लुक रखते हैं। वह अमेरिका में रहकर अच्छी खासी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की जॉब कर रहे थे। लेकिन उन्होंने उसे छोड़ अपने गांव आने का निश्चय किया। यहां आकर उन्होंने अपनी पत्नी के साथ पथरीली पहाड़ी को अपने मेहनत से हरियाली में बदल किया। (Bamboo Farming)

अब दे रहे रोज़गार भी

आज उनकी मेहनत से बांस-रोपण का उद्योग चल पड़ा है। आज उन्हीं की बदौलत लगभग 30 परिवारों को रोजगार मिला है। अगर बात महिलाओं की जाए तो लगभग 70 के करीब महिलाएं अगरबत्ती बनाने का कार्य कर, अपने घर परिवार को संभाल रही हैं। (Bamboo Farming)

पहले नहीं सोचा था कि बांस के उद्योग को अपनाएं

दीपक गोयल ने जानकारी दिया कि जब मैं विदेश से अपने देश में लौटा था, तो मैंने बांस की खेती के बारे में निश्चय नहीं किया था। प्रारंभिक दौर में हमने फल उद्यानिकी के काम के बारे में सोचा। फिर यह ख्याल आया कि क्यों नहीं बांस प्रजाति का प्रयोग कर अपने क्षेत्र की दृष्टि थोड़ी बदली जा सके? (Bamboo Farming)

अन्य राज्य से लाकर लगाए पौधे

पहले तो इन दोनों ने बांस से जुड़ी सभी जानकारियों को इकट्ठा किया फिर इस उद्योग के बारे में समझा। अब उन्होंने वन विभाग के कर्मचारियों से कांटेक्ट किया। उन्होंने त्रिपुरा से जाकर टूल्डा प्रजाति के बांस को खरीदकर अपने गांव में लगाया। (Bamboo Farming)

बांस मिशन योजना से मिली लाभ

उन्होंने लगभग 150 एकड़ क्षेत्र में बांस के पौधों को लगाया और अब उन्होंने बांस मिशन योजना में सब्सिडी हासिल कर, गत वर्ष बांस द्वारा अगरबत्ती निर्माण करना प्रारंभ कर दिया। बांस मिशन योजना के तहत यहां कि 70 महिलाओं को रोज़गार मिला। आज वह अगरबत्ती का निर्माण कर रही है। (Bamboo Farming)

उगाते हैं अन्य फसल भी

उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि अगर हम बांस की खेती कर रहे हैं, तो अन्य फसलों को नहीं उगा सकते। मैं स्वयं ही अरहर, अश्वगंधा, अदरक और अन्य फसलों का उत्पादन इंटरक्रॉपिंग के तौर पर कर रहा हूं। वह अपने खेतों में खाद के लिए बांस की पत्तियों का उपयोग करते हैं। (Bamboo Farming)

उन्होंने बताया कि अगर हम बांस की खेती करें तो प्रति हेक्टेयर लगभग ढाई हज़ार क्विंटल बांस के पत्ते हमारे खेत में गिरते हैं। इससे बेस्ट क्वालिटी के कंपोस्ट का निर्माण किया जाता है। जिससे हमारे खेत की उर्वरक क्षमता बनी रहती है और अन्य फसलों को उगाने में किसानों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता। किसान अगर अपने खेतों के 10% भाग में बांस की खेती करने लगे तो वह इससे बहुत लाभ कमा सकते हैं।

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