परिस्थितियां मनुष्य के जीवन में हमेशा उथल-पुथल मचाते हैं। कुछ परिस्थिति बहुत कठिन होती है, तो कुछ मनोहर भी लेकिन जो व्यक्ति विषम परिस्थितियों का सामना करते हैं, उन्हें सभी याद रखते हैं। कभी कुछ बातों से मन को तकलीफ़ भी पहुंचती है कि आखिर जो इंसान देश की सेवा करने के लिए अपनी जान न्योछावर किया हो फिर भी उसे अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
आज का यह लेख एक पूर्व सैनिक का है, जो स्टार मेडल जीत चुके हैं, लेकिन आज वह रिक्शा चला रहे हैं। आखिर उनको ऐसी स्थिति का सामना क्यों करना पड़ा? चलिए इस विषय में जानते हैं।
जवान शेख अब्दुल करीम
वह जवान हैं, शेख अब्दुल करीम (Shekh Abdul Karim). उन्हें 1971 में इंडिया से चीन के बीच हुए रणभूमि में अपने जज़्बे को दिखाने के लिए स्पेशल अवार्ड मिला था, लेकिन अभी देश के पूर्व सैनिक रिक्शा चलाकर अपनी आजीविका चला रहे हैं। उन्होंने सरकार से यह अपील की है कि सरकार उनकी सहायता करें। हम आपको यह बता दें कि उन्हें अपने युद्ध में कारनामें दिखाने के लिए स्टार मेडल मिला था।
1971 में मिले विशेष सम्मान
उन्होंने यह जानकारी दिया कि जब उनके पिता का देहांत हुआ उसके उपरांत वह सेना में बहाल हुए, हलांकि उनके पिता भी बतौर सेना कार्य कर चुके हैं।
जब 1971 में इंडिया और चीन के बीच हुए युद्ध में लाहौल में वह तैनात थे। उनके इस कार्य के लिए उन्हें 1971 में स्पेशल आवर्ड भी मिला।
उन्होंने बताया कि जब इंदिरा गांधी का शासनकाल आरम्भ हुआ, तब बहुत से सैनिकों को निकाला गया, जिनमें से एक वह भी थे। उनके आवेदन करने बाद उन्हें तेलंगाना के गोलापल्ली गांव में लगभग 5 एकड़ भूमि मिली, जिसका बंटवारा लगभग 20 सालों के बाद गांव में हुआ और फिर निराशा हाथ लगी।
अब चला रहे हैं रिक्शा
उन्होंने यह जानकारी दिया कि जब वह सेना से निकाले गए, तब से उन्होंने बहुत सारी कठिनाइयों का सामना किया है। उनके पास रहने के लिए घर नहीं है एवं वर्तमान में वह अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए ऑटो रिक्शा चला रहे हैं। उनकी आयु 71 वर्ष की हो चुकी है और इस उम्र में भी उन्हें तकलीफ़ हो रही है। सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि उन्हें रहने के लिए आवास तक भी नहीं है।
सरकार से मांगी मदद
उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि गरीबों को जो डबल बैडरूम और फ्लैट मिल रहे हैं, वह बेघर हुए जवानों को भी दिया जाए। मैं अपने देश की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहा हूं और मुझे सम्मान भी मिला, लेकिन आगे ना ही मुझे कोई वित्तीय सहायता मिली और ना ही कोई पेंशन। मैं सरकार से यह अपील करता हूं कि वह उन सैनिकों की मदद करें जो वित्तिय स्थिति से कमजोर है। The Logically को उम्मीद है कि सरकार पूर्व सेना के जवान की मदद अवश्य करेगी।