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क्यों, कब और किन हालातों में विश्व का सबसे बड़ा संविधान बनाया गया: जानिए भारतीय संविधान के पीछे की कहानी

भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जो 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ और अगले साल 26 जनवरी 1950 से देश में लागू हुआ। ये दोनों हीं दिन भारत के इतिहास में अहम माने जाते हैं। 26 नवंबर को संविधान दिवस तथा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन का समय लगा था। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 को हुई थी। जवाहरलाल नेहरू, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद संविधान सभा भी भारत की संविधान सभा और पाकिस्तान की संविधान सभा में बंट गई।

Facts about Indian Constitution

जनवरी 1948 में संविधान का पहला प्रारूप चर्चा के लिए पेश किया गया था। 4 नवंबर 1948 को इस पर लगभग 32 दिनों तक चर्चा चली थी। 12 अधिवेशन, 166 बैठक और करीब 2000 संशोधन के बाद संविधान का वास्‍तविक स्‍वरूप हमारे सामने आया। डॉ. भीमराव आम्बेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है। उनके अथक प्रयासों से हीं भारत का संविधान लिखित और विश्व का सबसे बड़ा संविधान है।

भारतीय संविधान की मूल प्रतियां कितनी और कहां हैं??

भारतीय संविधान की तीन मूल प्रतियां (original copies) हैं जिन्हें संसद भवन की सेंट्रल लाइब्रेरी में संरक्षित रखा गया है। मूल प्रति खराब ना हो और काग़ज़ सुरक्षित रहे, इसलिए इसे फ़लालेन के कपड़े में लपेटकर एक नेफ्थलीन बॉल्स के साथ रखा गया था। साल 1994 में इसे वैज्ञानिक विधि से तैयार हीलियम गैस से भरे एक गैस चेम्बर में सुरक्षित रखा गया। बाद में इस चेम्बर को नाइट्रोजन गैस चेम्बर में तब्दील कर दिया गया।

संविधान की मूल प्रति पर प्रेम बिहारी की कैलीग्राफी और नंदलाल बोस की चित्रकारी

हमारा संविधान काग़ज़ पर हाथ से लिखा हुआ संविधान है। इसकी मूल प्रति 22 इंच लंबी और 16 इंच चौड़ी है। इसका वजन 3.75 किग्रा है। इसकी पांडुलिपि में 251 पृष्ठ हैं। इसके हर पन्ने को बहुत हीं खूबसूरत रूप दिया गया है। प्रेम बिहारी की कैलीग्राफी और नंदलाल बोस की चित्रकारी संविधान के मूल प्रति की शोभा बढ़ा देती है।

प्रेम बिहारी

भारतीय संविधान को जवाहरलाल नेहरू ने फ्लोइंग इटैलिक स्टाइल में हाथ से लिखने की गुजारिश की। जब नेहरू जी ने प्रेम बिहारी से पूछा कि इस काम के लिए वह कितनी फीस लेंगे, उन्होंने कहा, “एक पैसा भी नहीं। मेरे पास भगवान की दया से सब कुछ है और मैं अपनी ज़िन्दगी में खुश हूँ, पर मेरी एक शर्त है कि इसके हर एक पन्ने पर मैं अपना नाम और आखिरी पन्ने पर अपना और दादाजी का नाम लिखूंगा।” प्रेम बिहारी ने कैलीग्राफी अपने दादाजी मास्टर राम प्रसादजी सक्सेना से सीखी थी। उन्हें 395 आर्टिकल, 8 शेड्यूल, और एक प्रस्तावना लिखने में पूरे 6 महीने लगे थें।

चित्रकार नंदलाल बोस

संविधान की मूल प्रति को अपने चित्रों से सजाने वाले पद्मविभूषण से सम्मानित नंदलाल बोस का जन्म बिहार के मुंगेर में हुआ था। संविधान के हर एक पेज के बॉर्डर को उन्होंने और उनके छात्रों ने डिजाइन किया। 221 पेज के संविधान में 22 भाग है और हर भाग की शुरुआत में 8 गुना 13 इंच के चित्र बनाये गए हैं। इस काम के लिए उन्हें 21,000 मेहनताना दिया गया।

मूल प्रति पर 284 सदस्यों के हैं हस्ताक्षर

संसद भवन के पुस्तकालय में मूल प्रति को रखने से पहले 24 जनवरी 1950 को इस पर संविधान सभा के 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे जिनमें 15 महिलाएं भी शामिल थीं। मूल प्रति के दस पेज पर सभी के हस्ताक्षर हैं। पहला हस्ताक्षर देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने किए थे जबकि हिंदी में पहला हस्ताक्षर राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने।

निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद थे जो 22 भागों में विभाजित थे जिसमे केवल 8 अनुसूचियां थीं लेकिन समय-समय पर इसमें भी कई संशोधन (परिवर्तन) होते रहें हैं। अब तक कुल मिलाकर 104 संशोधन हुए हैं। वर्तमान में भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद, 25 भाग 12 अनुसूचियां शामिल हैं।

1951 में पहला संशोधन

पहला संशोधन 1951 में हुआ था। इसे Constitution (First Amendment) Act, 1951 से नाम से जाना गया। इसके तहत मौलिक अधिकारों में कुछ परिवर्तन किए गए और आम आदमी को भाषण तथा अभिव्यक्ति की आजादी दी गई। इसे 10 मई 1951 को जवाहर लाल नेहरू ने पेश किया था।

भारतीय संविधान के मूल प्रति की एक कॉपी मेरठ कॉलेज में

भारतीय संविधान के मूल प्रति की एक फोटो कॉपी मेरठ कॉलेज (Meerut College) के विधि विभाग की लाइब्रेरी में रखी गई है। मूल प्रति के लिखावट, स्वरूप और वास्तविक हस्ताक्षरों को इस फोटो कॉपी में देखा व महसूस किया जा सकता है।

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