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उत्तरप्रदेश के इस कस्बे की पहचान है तिरंगा, इसे बनाकर ही लोगों की रोजी रोटी चलती है

तिरंगा अपने देश भारत की शान है। माँ भारती तथा तिरंगे के मान सम्मान के लिए हमारे देश में लगभग सैंकड़ों की संख्या में सैनिक अपना जान निछावर कर देते हैं लेकिन अपने देश की शान तिरंगा को झुकने तक नहीं देते। ऐसे तो अपने देश भारत में तिरंगे का निर्माण बहुत सारे शहरो में उसके प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, लेकिन आज हम अपने देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के महराजगंज जनपद के फरेंदा कस्बा के गांधी आश्रम (Gandhi Ashram of Farenda Kasba) की बात करेंगे जहां के अधिकतर लोग तिरंगा झंडा के निर्माण में हीं लगे हुए हैं। ―We will talk about Gandhi Ashram of Farenda Kasba in Maharajganj district of Uttar Pradesh, where most of the people are engaged in making the tricolor flag.

आईये जानते हैं फरेंदा के गांधी आश्रम में बनने वाले तिरंगो से जुड़ी सभी जानकारीयां-

सालो भर बनते हैं झंडे

फरेंदा के गांधी आश्रम (Gandhi Ashram of Farenda Kasba) के झंडों की मांग उत्तर प्रदेश के साथ ही साथ पूरे देश के विभिन्न शहरों में हैंं। 15 अगस्त, 26 जनवरी और 2 अक्टूबर जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर फरेंदा के तिरंगे झंडे की डिमांड काफी बढ़ जाती है। इस समय में गाँधी आश्रम स्थित तिरंगो के काम करने वाले कारीगरो पर काफी लोड बढ़ जाता है जिसके कारण उनलोगों को अलग से कारीगरों को बुलाकर झंडे की सिलाई करवानी होती है। तिरंगा झंडा अब फरेंदा की पहचान बन चुका है। लोग इस झंडे को फहराकर गर्व की अनुभूति करते हैं। लखनऊ, बुलंदशहर, आगरा, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, कुशीनगर, देवरिया सहित प्रदेश के अधिकांश जिलों में झंडे की सप्लाई होती है। गांधी आश्रम द्वारा एक वर्ष में छह लाख रुपये तक के झंडे की बिक्री की जाती है।

Tricolour flag
Image Source- NL

तिरंगा बना कर ही अधिकतर परिवारों के चलते हैं खर्च

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के फरेंदा स्थित गांधी आश्रम (Gandhi Ashram of Farenda Kasba) में बनने वाले तिरंगे प्रदेश के लगभग सभी जिलों में सप्लाई किए जाते हैं। फरेंदा के लगभग अधिकतर परिवार तिरंगा बनाने के कारोबार से हीं जुड़े हुए हैं और तिरंगे बनाने के कारोबार से ही अधिकतर परिवारों के खर्च उठते हैं। तिरंगे बनाने के कारोबार से प्रसिद्ध कस्बा फरेंदा के लोगों को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के समय ज्यादा मेहनत करने होते हैं क्योंकि उस समय तिरंगो की डिमांड आसपास के इलाकों में बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।

बीते 30 सालों से बहुत सम्मान के साथ बनाए और रखे जाते हैं तिरंगे

उत्तर प्रदेश की महराजगंज जनपद के कस्बा फरेंदा में तिरंगे बनाने का सिलसिला लगभग पिछले 30 सालों से चल रहा है। वहां के लोगों ने तिरंगे बनाने के काम में अपनी खासी रुचि दिखाई है, इसी कारण वह जगह तिरंगा बनाने वाले स्थान के नाम से प्रसिध्द हो गया है। यहां तिरंगे को बहुत सम्मान के साथ बनाया जाता है तथा रखा जाता है।

तिरंगे के कपड़े को रंगाई के लिए भेजे जाते हैं दूसरे शहर

फरेंदा स्थित गांधी आश्रम (Gandhi Ashram of Farenda Kasba) में तिरंगे के कपड़ों को सबसे पहले बनाया जाता है फिर बनाई होने के बाद उसे दूसरे शहरों (अकबरपुर) में रंगाई के लिए भेजा जाता है। रंगाई के बाद तिरंगे के कपड़े वापस फरेंदा में आते हैं जहां उन्हें मानक के अनुसार तिरंगे का रूप दिया जाता है।

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तिरंगो के कीमत

एक मानक के अनुसार विशेष लंबाई चौड़ाई के अनुपात में बनने वाले तिरंगे की कीमत साइज के अनुसार तय की गई है। तिरंगो के साइज़ के अनुसार उसका कीमत निम्नलिखित है-

(1) 1 मीटर 20 सेंटीमीटर लंबे और 80 सेंटीमीटर चौड़े झंडे की क़ीमत 1200 रुपये है।

(2) 1 मीटर 35 सेंटीमीटर लंबे और 90 सेंटीमीटर चौड़े झंडे की क़ीमत 800 रुपये है।

(3) 90 सेंटीमीटर लंबे और 60 सेंटीमीटर चौड़े झंडे की क़ीमत 480 रुपये है।

(4) 75 सेंटीमीटर लंबे और 45 सेंटीमीटर चौड़े झंडे की क़ीमत 300 रुपये है।

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