Home Farming

रासायनिक खाद की जगह किसानों ने तलाब में उगने वाले इस घास से बनाया खाद, फायदा डबल तक पहुंचा

वर्तमान में किसानों नें रासायनिक खाद एवं उर्वरक के इस्तेमाल से मिट्टी और फसल पर पड़ने वाले नुकसान, इसके अलावा अपने पशुओं के स्वास्थ्य को देखते हुए व उनके सही चारे की व्यवस्था हेतु एक अलग तरह की हर्बल खाद की पैदावार पर ध्यान देना शुरु कर दिया है। इस हर्बल खाद का नाम है अजोला। इससे 50 फीसदी तक उर्वरकों की भरपाई होती है और दो हज़ार प्रति हेक्टेयर तक उर्वरक का खर्च भी कम होता है। वर्तमान में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को इसके उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। बड़े स्तर पर अजोला की पैदावार कर आज किसान इसे एक बिजनेस के रुप में अपनाने की ओर प्रेरित हो रहे हैं।

क्या है अजोला

अजोला तालाबों में उगने वाला एक पौधा है जो फर्न की तरह दिखता है। यह धान के खेतों में भी नज़र आता है। धान की खेती में अजोला इस्तेमाल करने से फसल की पैदावार बढ़ती है। इसमें प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन होने के कारण जैव खाद के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। सबसे उपयोगी बात यह है कि ये हर्बल खाद न केवल किसानों को मुफ्त मिलती है बल्कि इससे उपयोग से पैदावार भी दोगुनी होती है।

Ojola grass farming

तमाम खनिजों से भरपूर है अजोला

अजोला खेतों में हर्बल खाद देने की दृष्टि से अनेक फायदों से भरपूर है। इससे नाइट्रोज़न का स्तर बढ़ता है जिससे प्रति फसल 20 से 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर नाइट्रोज़न प्राप्त होती है। अजोला में ज़िक, मैग्नीज़, लोहा, फ़ॉस्फोरस, पोटाश, कैल्शियम जैसे खनिज होते हैं जो धरती की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।

मवेशियों संबंधी समस्या दूर करने में भी सहायक है अजोला

अजोला से पशुओं के लिए भी उत्तम चारा उगाया जा सकता है जिससे पशुओं की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तो दूर होगीं ही साथ ही दूध के उत्पादन में भी वृद्धि होगी। इतना ही नही इसे मुर्गी और मछली पालन में चारे के रुप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें :- खादी इंडिया ने बनाया वैदिक पेंट, जो गाय की गोबर से बना है: जानिए क्या है इसकी विशेषता

IARI के साइंटिस्ट नें भी अजोला को उपयोगी बताया

भारतीय कृषि अनुसंधान (IARI) में एनोग्रामी के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. वाईवी सिंह (Dr. Y.V Singh) के अनुसार अजोला तीन तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है- बतौर खाद धान के खेत में, पोल्ट्री फार्म में और जिन जगहों पर चारे की कमी है वहाँ इसे चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

बड़े पैमाने पर उगाने की आवश्यकता

फसल की पैदावार बढ़ाने और खेती में खाद के रुप में इस्तेमाल करने के लिए अजोला को एक बड़े पैमानें पर उगाने की ज़रुरत है। इन्हीं कारणों के चलते आज किसान भी केमिकल उर्वरकों से ध्यान हटा हर्बल खाद के इस्तेमाल और उत्पादन पर फोकस कर रहे हैं।

अजोला देगा किसानों को डबल फायदा

अजोला की पैदावार बढ़ाने से किसानों को दोगुना मुनाफा हो सकेगा एक तो दूध देनें वाले पशुओं के आहार में मंहगी सरसों व मूंगफली की खली की आपूर्ति अजोला करेगा। अजोला एक हरे चारे के रुप में काम करता है साथ ही इसमें 25 से 30 फीसदी तक प्रोटीन होता है जिससे पशुओं में 15 से 20 प्रतिशत दूध बढ़ेगा।

5 दिनों में ही हो जाता है दोगुना

खेती और पशुओं के लिए गुणों से भरपूर अजोला की एक विशेषता यह भी है कि अनुकूल वातावरण में यह केवल 5 दिनों में ही दोगुना हो जाता है। पूरे साल उगे रहने पर यह 300 टन से भी अधिक हो सकता है जिससे 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर नाईट्रोजन प्राप्त हो सकता है। इसकी वृद्धि के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान अत्यंत अनुकूल होता है। कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि द्विफसलीय पद्धति के द्वारा अजोला को धान के साथ भी उगाया जा सकता है।

किसान कैसे करें अजोला का उत्पादन

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक – किसान अजोला को छोटे गमलों से लेकर, छोटे आकार के तालाब या क्यारियों में भी इसे उगा सकते हैं और बड़े स्तर पर इसकी पैदावार के लिए सीमेंट का टैंक बनाकर या पॉलीथीन से ढ़का गड्ढ़ा बनाकर पानी में इसका उत्पादन किया जा सकता है।

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

1 COMMENT

Comments are closed.

Exit mobile version