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देश की पहली प्राइवेट रेलवे स्टेशन, फाइव स्टार वाली सुविधाएं मौजूद, देखें तस्वीरें

India's First Private Railway Station

रेलवे भारत की लाइफ-लाइन मानी जाती है। देश भर में आज रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों के सुख और सहूलियत के लिए कई तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। देश के कई स्टेशनों को हाईटेक भी बनाया जा रहा है। लेकिन उन सब में भारत का एक रेलवे स्टेशन ऐसा बनकर तैयार हो चुका है जिसे देखकर यह प्रतीत होता है मानों वह कोई फाइव स्टार होटल हो। आज इस खास पेशकश में हम बात उसी स्टेशन और उसकी खासियत की करेंगे।

हमारे देश के मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में भोपाल (Bhopal) स्थित स्टेशन को बेहद हीं हाईटेक बनाया जा चुका है। इस स्टेशन को देखकर आपको मॉल तथा एयरपोर्ट की अनुभूति होगी। ये स्टेशन हमेशा ही हमारे यहां सुर्खियों में रहता है क्योंकि इसकी खूबियां ही कुछ ऐसी है कि आपको यहां आने के बाद यात्रा का आनन्द और बढ़ जाएगा। यहां आपको बेस्ड क्वालिटी के फूड, प्रतीक्षा कक्ष तथा बेहतर सफाई देखने को मिलेगी।

कब बना ये स्टेशन??

ये रेलवे स्टेशन वर्ष 1979 को बना और इसका नाम हबीबगंज स्टेशन रखा गया। वही वर्ष 2016 के 14 जुलाई को इसे पब्लिक प्राइवेट हिस्सेदारी द्वारा मॉर्डन बनाया गया। इसे पूरी तरह विकसित करने में लगभग 5 वर्ष तक का लंबा समय लगा और इसे वर्ष 2021 में एक ऐसा स्वरूप मिला जो फाइव स्टार होटल की तरह था। ये स्टेशन इतना लुभावना है कि लोग इसकी खूबसूरती को टकटकी लगाए देखते हैं।

स्टेशन पर हैं ये सुविधाएं उपलब्ध

• इस स्टेशन के निर्माण में लगभग 400 करोड़ रुपए खर्च किये गए हैं। अभी तो यहां मेट्रो की सुविधा नहीं है लेकिन आगे यहां ये व्यवस्था भी की जाएगी। ऐसा होने से यहां यात्रियों को और सुकून मिलेगा और कोई समस्या भी नहीं होगी।

• अगर आप कहीं से यात्रा कर इस कमलापति स्टेशन पर आते हैं तो यहां आपको बहुत अच्छा लगेगा और थकान कम होने की अनुभूति होगी।

• इस स्टेशन पर आपको खाने-पीने की बेहतर क्वालिटी के साथ साफ-सफाई देखने को मिलेगा। साथ ही आप यहां के खूबसूरत वेटिंग रूम में आराम भी कर सकते हैं।

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आखिर क्यों बदला स्टेशन का नाम

आपको जानकर हैरानी होगी कि जो स्टेशन कभी हबीबगंज स्टेशन के नाम से विख्यात था वह आखिर क्यों बदल दिया गया और इसका नया नाम क्या रखा गया?? दरअसल अब हबीबगंज स्टेशन को लोग रानी कमलापति स्टेशन के नाम से जानते हैं जो पहले कुछ और था। इस नाम को वर्ष 2021 में जारी किया गया और तब से टिकट पर आप हबीबगंज नहीं बल्कि रानी कमलापति नाम ही देखेंगे।

आखिर क्यों रखा गया रानी के नाम पर इस स्टेशन का नाम??
 
जानकारी के अनुसार रानी कमलापति का नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज है और उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। इसके साथ ही वह भोपाल की अंतिम हिंदू रानी हैं क्योंकि उनके बाद कोई हिन्दू रानी नही आई। रानी के पति का नाम राजा निजाम शाह था जिन्होंने गोंड राज्य पर हुकूमत किया। राजा के भतीजे जिनका नाम आलम शाह था उनकी नजर रानी तथा यहां की सम्पत्ति के प्रति गलत थी। राजा के भतीजे ने अपनी चाची यानी रानी कमलापति को ये बताया कि वह उन्हें बेइंतहा मुहब्बत करते हैं परंतु रानी ने इस बात का तनिक भी मान नहीं रखा। अब इसका बदला लेने के लिए एक भतीजे ने अपने चाचा की जान की बली चढ़वा दी।

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अब रानी वहां से भोपाल आईं और यहां रहने लगीं। अब रानी भी बदले की आग में जल रहीं थी जिसके लिए उन्होंने मोहम्मद अली खान जो कि राजा का दोस्त था उससे सहायता ली। राजा के दोस्त को इसके बदले में भोपाल का एक भाग मिला क्योंकि उसने मदद की लेकिन एक शर्त रखी थी कि उसे 1 लाख रुपए चाहिए। हलांकि इस बात से राजा के बेटे नवल शाह को समस्या थी जिस कारण उन्होंने युद्ध किया और आखिर में वह मारे गएं। उनके शरीर से खून की इतनी धारा बही की वह जमीन खून से लथपथ होकर लाल हो गई जो जगह लाल घाटी के नाम से जाना जाता है।

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