Tuesday, December 12, 2023

गैस चूल्हा और बिजली की कोई झंझट नही, देश का पहला गांव जहाँ हर घर मे सोलर से चूल्हा जलता है: Bancha Village

अक्सर हमलोगों ने यह देखा होगा कि पुराने जमाने में कई स्थानों का परिचय महापुरुषों के जन्मभूमि या कर्मभूमि के रुप में होता है। यहां तक कि कई जगह देखने को मिलता है कि पहले के चर्चित लोगों के नामों से कई गांवों या कस्बों का नामकरण हुआ करता था तथा वैसे लोगों के नामों से हीं उस गाँव को जाना जाता था। लेकिन आज के इस आधुनिक युग में किसी गाँव या जगहों की पहचान उसके सुविधाओं और आधुनिकता के कारण होता है।

आज हम बात करेंगे एक ऐसे हीं गाँव की, जो हर तरह के सुविधाओं से लैस है तथा पुराने परम्पराएं को छोड़ कर आधुनिकता के तरफ बढ़ चुका है।

तो आइए जानते हैं उस गाँव से जुड़ी सभी जानकारियां-

कौन सा है वह गाँव?

हम बात कर रहे हैं सोलर विलेज (Solar Village) के नाम से मशहूर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल जिले के बांचा गांव (Bancha Village) की, जो कि देश और दुनिया का पहला आदर्श गांव है, जहां हर घर में सोलर चूल्हे पर खाना पकता है। बिजली के मामले में यह गांव बिल्कुल आत्मनिर्भर हो चुका है और सोलर पैनल के जरिए न सिर्फ महिलाओं को खाना बनाने में आसानी हो रही है, बल्कि बच्चों भी अपनी पढ़ाई पूरे उजाला में कर रहे हैं।

साधारण सा दिखने वाला मध्यप्रदेश का बांचा (Bancha Village) गांव देश और दुनिया में उस दिन चमक चुका था, जब यहां के लोग पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए धुएं वाले चूल्हों की जगह सोलर से चलने वाले चूल्हें का उपयोग करने लगे।

जागरुकता में है सबसे आगे

मध्यप्रदेश का बांचा गांव (Bancha Village) जागरूकता में सबसे अव्वल है। यही कारण है कि इसे आदर्श गांव की उपाधि मिली है। इस गांव के ग्रामीणों ने कोरोना से बचने के लिए खुद ही जनता कर्फ्यू लगा दिया है और बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। गांव के लोगों को भी अति आवश्यक कार्य से ही बाहर निकलने दिया जा रहा है। ग्रामीणों को जरूरत की सामग्री उपलब्ध कराने के लिए युवाओं एक टीम बना दी गई है, जो हर घर में पहुंचकर संपर्क कर रही है। बाजार से जरूरत का सामान लाने के लिए दो युवाओं काे जिम्मेदारी दी गई है और वे ही सब कुछ मुहैया करा रहे हैं।

कोरोना से अछुता है यह गाँव

सबसे खास बात यह है कि मध्यप्रदेश का यह गाँव (Bancha Village) अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा हुआ है। इसका मुख्य कारण ग्रामीणों का जागरुक रहना है। इस गाँव के लोगों ने कोरोना के समय गांव में नाकाबंदी करके लोगों के आने-जाने पर पाबंदी लगा दी थी। ग्रामीणों के इस प्रयास की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर सराहना की है।

सौर ऊर्जा के प्रचलन से हुई शुरुआत

2016-17 में भारत सरकार के ओएनसीजी ने एक सोलर चूल्हा चैलेंज प्रतियोगिता का आयोजन किया था। इस दौरान आईआईटी मुंबई के छात्रों ने एक ऐसे चूल्हे को बनाया था, जो सौर ऊर्जा से चल सके। उनके इस डिजाइन को प्रतियोगिता में पहले पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह खबर एनजीओ “भारत-भारती शिक्षा समिति” के सचिव मोहन नागर को एक स्थानीय अखबार के जरिए जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने ‘बांचा’ गांव (Bancha Village) में सोलर पैनल लगाने के लिए आईआईटी मुंबई से बातचीत शुरू की। इस समय मोहन नागर ने सौर ऊर्जा का इंडक्शन मॉडल बनाया था। इसमें एक परिवार के लिए दो समय का खाना आसानी से बन सकता था। लेकिन सोलर पैनल को इंस्टाल करने में खर्च काफी ज्यादा आ रही थी।

पुरा हुआ काम

मोहन नागर ने बताया कि, एक सोलर पैनल की कीमत करीब 70 हजार रुपए थी और इतना खर्च करना यहां के लोगों के लिए मुमकिन नहीं था। इसलिए उन्होंने ओएनजीसी से संपर्क किया और बताया कि इसका प्रयोग हम आदिवासी ‘गांव बांचा’ (Bancha Village) में करना चाहते हैं। इसके बाद उन्हें इस काम के लिए सीएसआर से फंड मिला। फंड मिलने के बार ‘बांचा’ गाँव में सोलर पैनल लगाने का काम सितंबर 2017 में शुरू हुआ और दिसंबर 2018 तक इसे पूरा कर लिया गया।

अन्य सुविधाएँ भी हैं उप्लब्ध

यहां (Bancha Village) हर घर में सोलर है तथा चूल्हे पर खाना पकता है। अब यहां जल संरक्षण के लिए हर घर में जुगाड़ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए सोखता गढ्ढा बनाए गए हैं, जिसमें छतों पर जमा बारिश का पानी सीधा इन गड्ढों में चला जाता है और ये पानी चंद घंटों में ही सीधे जमीन में चला जाता है। 74 घरों वाले ‘बांचा’ गांव के 90 प्रतिशत घरों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग बन चुके हैं और बचे हुए 10 प्रतिशत घरों में एक से दो दिनों में ये बना लिए जाएंगे।

अन्य लोगों को दे रहा सन्देश

अन्य गावोँ से अलग मध्यप्रदेश के इस गाँव (Bancha Village) की चर्चा आजकल देश-दुनिया में हो रही है। कई तरह की बुनियादी सुविधाएँ से लैस इस गाँव के बारे में जानकारी जुटाने पर यह मालुम पड़ता है कि इस गाँव के लोग बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण तथा गाँव को सोलर सिस्टम से जुड़ाव से देश के अन्य हिस्सों के लोग बहुत हीं प्रभावित हो रहें हैं, यूं कहे तो ‘बांचा’ गाँव का यह मॉडल लोगों के लिए प्रेरणा बना हुआ है।