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40 वर्षों के कठिन मेहनत से बंजर जमीन पर शख्स ने उगाया जंगल, अब भारत के “फॉरेस्ट मैन” के नाम से मशहूर है

Forest man of india Jadav molai payeng turned muddy land into green forest, Molai Forest

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की यह पंक्ति तो आपने सुना या पढ़ा हीं होगा, ” मानव जब जोर लगाता है पत्थर भी पानी बन जाता है।” इस पंक्ति को चरितार्थ किया है असम के जादव मोलई पायेंग (Jadav Molai Payeng) ने। जी हां, मोलई’ पायेंग ने अपने 40 साल के कड़ी मेहनत के बाद कीचड़ भरी ज़मीन को हरियाली में तब्दील कर हम सबके लिए मेहनत और हौसलों का एक उदाहरण पेश किया है।

कीचड़ भरी ज़मीन को दिया हरियाली का रूप

बता दें कि, जादव मोलई पायेंग (Jadav Molai Payeng) असम (Assam) के जोराहाट ज़िले में रहने वाली मिशिंग जनजाति से ताल्लुक रखने हैं। दरअसल, कीचड़ भरी ज़मीन को हरियाली में तब्दील का ख्याल जादव में मन में तब आया, जब वे अपनी 10 की परीक्षा देकर लौट रहे थे, तभी उनकी नजर ज़मीन की बेहद हीं ख़राब अवस्था यानी वैसा जमीन जहां केवल दूर-दूर तक कीचड़ ही दिखता था और वहां सैकड़ों सांप को बेजान पड़े हुए देखा। जब उन्होंने इस बात का जिक्र वहां से कुछ दूरी पर बसे लोगों से की और उन्हें सांप की तरह इंसानों के भी मर जाने का उदाहरण देकर समझाने की कोशिश की तो उनलोगों ने इनके बातों को हंसकर नजर अंदाज कर दिया। इस घटना ने इनके दिमाग पर एक गहरा असर डाला और इन्होंने तय कर लिया कि वे इस कीचड़ भरी जमीन को हरियाली का रूप देंगे।

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भीषण बाढ़ के बाद बदला था जमीन का रूपरेखा

जानकारी के मुताबिक, सन 1979 में असम में बहुत हीं भयंकर भीषण बाढ़ आई थी और उसके बाद हीं असम में द्वीप के पास बसी अधिकतर ज़मीन की हालत खराब हो चुकी थी। इस जमीन के पास जाने के बाद दूर-दूर तक कीचड़ ही कीचड़ दिखता था। लेकिन जब जादव मोलई पायेंग ने जमीन की ऐसी हालत देखी तो उनसे देखा नहीं गया और उन्होंने इसे हरियाली में तब्दील करने को ठान लिया।

तीन दशक से भी ज्यादा किया जंगल की देख-रेख

जमीन की हालत को सुधारने के लिए जादव (Jadav Molai Payeng) ने गांव वालों से बात की और उनकी सहायता से वहां पेड़ उगाना शुरू कर दिया। गांव वालों ने उन्हे 50 बीज और 25 बांस के पौधे दिए। फिर उनका बीजारोपण हुआ और इसके बाद उन्होंने पौधों की देखभाल भी की। अब इस इलाके में एक घना जंगल बन चुकी है और जादव इस जंगल की देखभाल पिछले तीन दशक से भी ज्यादा से कर रहे हैं।

आज है यह जंगल सैकड़ों जीव जंतुओं का आशियाना

जादव के द्वारा लगाया गया यह जंगल जोराहाट में कोकिलामुख के पास के मौजूद है। इस जंगल का नाम उन्ही के नाम पर “मोलई फॉरेस्ट” रखा गया है। सबसे खास बात यह है कि आज के समय में यह जंगल सैकड़ों जीव-जंतुओं का आशियाना बना हुआ है।

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