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घर में बिजली का कनेक्शन नहीं, पिता बेचते थे मिट्टी के बर्तन, अब बेटे ने UPSC में सफलता हासिल की

Success Story of IAS Pawan Kumar Kumawat

कहते हैं न अगर हौसलें बुलंद हो तो सफलता जरूर मिलती है। जी हां, आज हम आपको एक ऐसे शख्स से रूबरू कराने वाले हैं जिन्होंने कभी हार मानना नहीं सीखा और अपने हौसलें को बुलंद रख अपनी मंजिल को पाने के लिए लगातार प्रयास किया और आज उन्होंने यूपीएससी 2021 में 551 वीं रैंक हासिल कर समाज में अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है।

कौन है वह शख्स?

हम बात कर रहे हैं राजस्थान (Rajasthan) के नागौर के रहने वाले पवन कुमार कुमावत (IAS Pawan Kumar Kumawat) की, जिनके पिता पेशे से एक ट्रक ड्राइवर हैं। लेकिन उनके पिता ने उन्हे हमेशा पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित किया है और आज उनके बेटे ने यूपीएससी एग्जाम को क्लियर कर देश में अपनी एक अलग हीं पहचान बनाई है।

परिवार के हालात काफी से बुरे

पवन (IAS Pawan Kumar Kumawat) ने अपना बचपन और जवानी दोनो हीं बेहद खराब परिस्थितियों में बिताया है। इनके पिता रामेश्वर लाल पेशे से एक ड्राइवर थे और उनकी सैलरी महज 4 हजार रुपए थे। इतने रुपयों से परिवार का खर्च उठाना कितना मुश्किल था आप अंदाजा लगा सकते हो। लेकिन इन हालातों में भी उनके पिता ने हमेशा हीं अपने बेटे को पढ़ाई के लिए मोटिवेट किया ।

वर्ष 2003 के पहले, इनके परिवार का हालात इतने बुरे थे कि इनके पास एक पक्का मकान नहीं था। वे लोग नागौर के सोमणा में एक झोपड़ी में किसी तरह गुजारा किया करते थे। उस समय इनके पिता मिट्टी के बर्तन बनाया करते थे। लेकिन वर्ष 2003 में इनका पूरा परिवार नागौर आ गया और पिता ट्रक ड्राइवर बन गए।

नागौर में आने के बाद भी इनके घर की हालात में कोई सुधार नहीं आया। पवन जिस घर में रहते थे उस घर में लाइट नहीं थी। पढ़ाई करने के लिए पवन लालटेन का उपयोग किया करते थे।

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शुरू से पढ़ने में होनहार

पवन बचपन से हीं पढ़ाई में तेज तर्रार थे। उन्होंने साल 2003 में अपनी मैट्रिक की पढ़ाई नागौर के केंद्रीय विद्यालय से पूरी की। उन्हे मैट्रिक में 74.33 प्रतिशत अंक की प्राप्ति हुई थी। उसके बाद उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा 79.92 प्रतिशत के साथ उत्तीर्ण किया और इसके बाद उन्होंने जयपुर के एक कॉलेज से बीडीएस किया।

पिता ने लिया बेटे के पढ़ाई के लिए कर्ज

पवन के पिता के लिए महज चार हजार रुपए में घर खर्च उठाना काफी मुश्किल था लेकिन इस बात की थोड़ी भी भनक उन्होंने अपने बेटों को नहीं होने दी। हालांकि कई बार बेटों को पढ़ाने के लिए उन्होंने लोगों से कर्ज भी लिया। बाद में लोगों ने कर्ज के पैसों को लौटाने के लिए इनके पिता को बहुत परेशान किया।

कैसे आया यूपीएससी एग्जाम का ख्याल?

पवन (IAS Pawan Kumar Kumawat) ने बताया कि, साल 2006 में उन्होंने एक न्यूज हेडलाइन पढ़ी कि रिक्शा चालक का बेटा बना आईएएस। यह लाइन उन्होंने इतना मोटिवेट किया कि तब से उन्होंने आईएएस के बारे में जानकारी हासिल करना शुरू कर दिया। जानकारी हासिल करने के बाद वे भी यूपीएससी की तैयारी में जूट गए।

असफलता से हार नहीं मानी और बनाई अपनी अलग पहचान

पवन (IAS Pawan Kumar Kumawat) का साल 2018 से RAS में सिलेक्शन हो गया और वे बाड़मेर जिला उद्योग केंद्र में निदेशक के पद पर तैनात थे। इसके पहले भी उन्होंने दो बार यूपीएससी का अटेम्प्ट दिया था लेकिन उसमे वे असफल हो गए थे। साल 2018 में उन्होंने शादी भी कर ली और उनका एक बच्चा भी है।

यूपीएससी 2021 में पवन कुमार ने 551 रैंक हासिल कर देश में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है और अपने परिवार का नाम रोशन किया है।

निधि बिहार की रहने वाली हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभी बतौर शिक्षिका काम करती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही निधि को लिखने का शौक है, और वह समाजिक मुद्दों पर अपनी विचार लिखती हैं।

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