प्राचीन काल से ही भारत एक ऐसा देश रहा है जहां प्रकृति को मां का दर्जा दिया गया है. आयुर्वेद के प्रभाव और लाभ को भला कौन नकार सकता है.भारत में जड़ी बूटियों का प्रयोग कर विभिन्न प्रकार के रोगों का निदान करना प्राचीन परंपरा रही है.
इसके अतिरिक्त भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से है, जिसे उच्च जैव विविधता वाले देश का दर्जा दिया जाता है. बहुत सी वनस्पतियों की किस्में सिर्फ भारत में ही पाई जाती हैं.
भारत में औषधीय खेती के लिए उपयुक्त पेड़-पौधे
भारत सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के हिसाब से यहां करीब 8000 पेड़-पौधे ऐसे हैं, जिनका उपयोग औषधीय रुप से किया जाता है. इनसे बने उत्पाद और दवाइयों की विदेशों में भी अच्छी-खासी मांग रहती है और यहीं मांग किसानों के लिए औषधीय पौधों की खेती के लिए द्वार खोलती है.
कृषि में औषधीय खेती को बढ़ावा
भारत को एक कृषि प्रधान देश कहा जाता है. और कृषि के माध्यम से किसानों को अत्यधिक मुनाफा देने के लिए सरकार इसे आधुनिक और विभिन्न प्रकार के नई नई युक्तियों को शामिल करने में संलग्न है. उसी दिशा में चिया बीज की खेती भी एक महत्वपूर्ण कदम है.
औषधीय खेती का तरीका और इसके फायदे
औषधीय दवाओं की खेती बहुत लाभदायक होती है.जैसे कि आप सब जानते ही होंगे, कि औषधीय खेती दवा बनाने में बहुत ही उपयोगी होती है. बाजार में भी इसकी फसल का उच्च दाम किसानों को प्राप्त होता है. किसान हर महीने आराम से लाखों की कमाई कर सकते हैं. तो आज इस मुनाफा देने वाले फसल के विषय में आपको बताएंगे.
चिया सीड एक सुपर फूड
चिया सीड्स एक प्रकार का पौधा होता है, जो पौष्टिकता और उच्च गुणवत्ता के भरपूर होता है. इसी कारण से इस पौधे को सुपर फूड भी कहते है. अगर हम बात करे इसकी खेती की तो यह भारत में इसकी खेती अब तेजी से की जा रही है.
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चिया सीड्स की खेती
हमारे देश में खेती को बहुत ही महत्व दिया जाता है, इसलिए किसान भाइयों की मदद के लिए सरकार हमेशा आगे रहती है. जिससे उनकी आय बढ़ सके. इस क्रम में किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़ नकदी फसलों की तरफ बढ़ रहे है. देश में औषधीय गुणों का चल दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, क्योंकि इस खेती में लागत बहुत ही कम लगती है और बाजार में भी अधिक मांग होती है. किसानों के लाभ के लिए यह खेती एक बेहतर विकल्प है.
चिया सीड की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
आपको बता दें कि चिया सीड्स की खेती पूरी तरह से जैविक है और इसे करना बेहद आसान है. यह खेती मध्यम तापमान में की जाती है. भारत के कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है, लेकिन पहाड़ी वाले क्षेत्र में यह खेती नहीं की जाती है. चिया सीड खेती के लिए दोमट और भुरभुरी मिट्टी इसके लिए उत्तम है.
खेती करने की विधि
इस खेती में दो तरह की बुवाई की जाती है. एक छिड़काव विधि से और वहीं दूसरी नर्सरी विधि से इसकी खेती को कर सकते है. पहली विधि में आपको एक एकड़ की जमीन में लगभग डेढ़ किलो बीज की लागत लगेगी. उधर दूसरी विधि में नर्सरी में बेहतर बीजों को तैयार करे और फिर उनकी रोपाई अपने खेत में करें.
बुआई और कटाई
चिया सीड फसल की बुवाई अक्टूबर और नवंबर के महीने में की जाती है. लगाने के 110 दिनों के बाद ही चिया सीड की फसल तैयार हो जाती है. बाकी सभी फसलों की तरह इसकी कटाई नहीं होती, बल्कि इसे उखाड़ा जाता है.
इसके बाद इसे सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है. फिर किसान थ्रेशिंग की सहायता से इसके बीजों को निकालते है. किसान एक एकड़ के खेत से लगभग 5 से 6 प्रति क्विंटल की उपज प्राप्त कर सकते है. जिससे वह अधिक लाभ कमा सकते हैं.
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