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डिप्रेशन से निकलकर मात्र 10 रुपये में शुरू की फूड टेक कंपनी, आज 3000 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे चुके हैं

कहते हैं, सफलता किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। जिस उम्र में युवा मौज-मस्ती में व्यस्त रहते हैं, उस समय उन्हें किसी भी प्रकार की जिम्मेदारियों का एहसास नहीं रहता है। वहीं कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो इस उम्र में अपनी सफलताओं से पूरी दुनिया में नाम कर लेते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी 22 वर्ष के युवा ‘हिरण्मय गोगोई’ की है, जिन्होंने कई मुश्किलों का सामना करते हुए खुद का बिजनेस खड़ा किया है और एक सफल बिजनेस मैन बन कर अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

हिरण्मय गोगोई की संघर्षभरी कहानी

हिरण्मय गोगोई (Hiranmay Gogoi) एक बहुत ही संवेदनशील व्यक्ति हैं। बहुत कम उम्र में ही उन्हें बहुत कुछ सहना पड़ा है। साल 2012 में हिरण्मय जब 15 वर्ष के थे, तभी उनके भाई की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। उनकी मां बहुत बीमार रहती थीं और 13 साल बीमारी से लड़ने के बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। इस दोनों हादसों ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। उनके पिता ने कुछ सालों बाद एक तलाकशुदा महिला से शादी कर ली। लाख कोशिशों के बावजूद हिरण्मय ने उन्हें अपनी मां का दर्जा नहीं दे पाए। उन्होंने यह महसूस किया कि उनकी मां की जगह कोई नहीं ले सकता। – Home delivery of food

Gaon ka khana is doing home delivery of food

जब चले गए थे डिप्रेशन में

इतनी छोटी सी उम्र में हिरण्मय को इतना दुःख सहन नहीं हुआ और वह डिप्रेशन में चले गए। वह अक्सर अकेले रहते और ख़ुद से ही बाते करते थे। एक दिन उन्होंने स्वयं को देखा और ख़ुद से पूछा कि क्या जो समय बीत चुका है, उसे लेकर अपने आप को एकांत कर लेना सही है? उन्होंने सोचा कि जो भी हमारे पास नहीं है, उसे वापस लाना हमारे बस में नहीं है, फिर हम व्यर्थ की चिंता क्यों करें? यही सोचकर उन्होंने यह संकल्प लिया कि वह अपनी जिंदगी को इस तरह बर्बाद नहीं करेंगे। उन्होंने डिप्रेशन से खुद को बाहर निकालने का प्रण लिया और जीवन में अपने अनुभवों से दूसरों की भी मदद करने को सोचा।

शुरु किया ऑनलाइन बिजनेस

हिरण्मय जब डिप्रेशन से बाहर निकले तब उन्होंने ‘फूड -टेक’ का बिजनेस करने का सोचा। फूड-टेक एक online बिजनेस है और ग्रामीण तकनीक से जुड़ा हुआ है। यह बिजनेस मूल रूप से असम में है, पर इसका कार्य हर जगह से जुड़ा हुआ है। उन्होंने अपना बिजनेस किसानों के लिए एक रोजगार के रूप में किया है।

अपनी सोच को हकीकत में बदला

हिरण्मय ने अपनी सोच को हकीक़त में बदल दिया। उन्होंने एक मोबाइल ऐप (Mobile App) शुरू किया ‘गांव का खाना’, जिससे लोग आसानी से खाना मंगा सकते हैं। इस ऐप के 7 विभाग हैं, जिसके अधीन अलग-अलग विभागों में भिन्न-भिन्न प्रकार के खानों और तरीकों के विकल्प हैं। जैसे-

  1. ‘गांव का खाना’ पारंपरिक अंदाज :- इसमें आसाम के ग्राहकों के लिए वहां के परंपरा के मुताबिक भोजन उपलब्ध होता है।
  2. ‘गांव का खाना’ पार्टी अंदाज :- ग्राहक इसमें पार्टी के लिए पश्चिमी व्यंजनों के लिए आर्डर कर सकते हैं।
  3. ‘गांव का खाना’ प्राकृतिक अंदाज :- ग्राहक इसमें ऑर्गेनिक रूप से उगाई गई सब्जियों को आर्डर कर सकते हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस बिजनेस में किसानों से संपर्क कर ग्राहकों के घरों तक सब्जियां और फल पहुंचाया जाता है।
  4. ‘गांव का खाना’ मंदिता :- यह सबसे ख़ास है क्योंकि यह उनकी मां के नाम से जुड़ा हुआ है और यहां किसी दूसरे प्रकार के फूड आइटम्स को मिलाने की भी योजना है।
  5. ‘गांव का खाना’ ट्रिविअल अंदाज़ :- यह असम के स्थानीय पर्यटकों के लिए है। यह उनके सफर को आसान करने के लिए बनाया गया है।
  6. ‘गांव का खाना’ अकोमोडेशन अंदाज :- इसका कार्य असम के होटल्स में बुकिंग कराने के लिए होता है।
  7. ‘गांव का खाना’ रिलेशनशिप मोड :- इसमें शादी शुदा जोड़े अपना होटल बुक करवाते हैं।

‘गांव का खाना’ मोबाइल ऐप के जरिए लोगों की मदद भी करता है। इसने एक ‘कृषि विकास योजना’ भी शुरू किया है, जिसमें किसानों को ‘गांव का खाना’ (GKK) में रजिस्टर होना होता है। इसके बाद उन्हें एक कार्ड दिया जाता है। जब कोई ग्राहक आर्डर करता है, तब किसानों को ऑर्गेनिक खेती से तैयार की गई सब्जियां और फल ग्राहक के घर तक डिलीवर करना होता है। इस कार्ड की कीमत मात्र एक रूपए महीना है। इसका नाम FFL (फ्रेश फ्रॉम लैंड) है। अगर कोई किसान गांव से शहर हर बार नहीं जा सकता है, उस समय ‘गांव का खाना’ उन तक खाना पहुंचाता है।

3000 लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य

हिरण्मय ने जो कार्य शुरु किया है, इसमें उन्होंने गरीब किसानों और मजदूरों के लिए रोजगार उपलब्ध कराने की भी योजना तैयार की है। उनका लक्ष्य है कि वह आने वाले समय में क़रीब 3000 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराएंगे।

उन्होंने अपनी मां के लिए कहा,‌ ‘मेरा प्यार मेरी मां के लिए कभी मर नहीं सकता है।’ वह कहते हैं कि अपने मां के प्रति प्यार को सभी माताओं की जीवन में सुख और समृद्धि लाने का प्रयास करता हूं। – Home delivery of food

हिरण्मय अपने बिजनेस के साथ अपनी फिटनेस का भी ख्याल रखते हैं। अपने काम में व्यस्त रहने के बाद भी वह कुछ समय अपने आप को फिट रखने के लिए निकालते हैं। – Home delivery of food

आसान नहीं था, बिजनेस शुरू करना

‘गांव का खाना’ शुरु करना इतना आसान नहीं था। यहां लोग इंटरप्रेन्योरशिप को समझ ही नहीं पाते थे और यहीं कारण है कि वे उनकी मदद नहीं करते थे। – Home delivery of food

साल 2016 जून में हिरण्मय ने अपना गांव सिवसागर से मात्र 10 ₹ में बिज़नेस आरंभ किया था। बिजनेस शुरू करने के लिए उनके पास केवल गैस-सिलेंडर और एक स्टोव था। उनके लिए अपने गांव से शहर डिलीवरी करवाना इतना आसान नहीं था, मगर उन्होंने हार नहीं मानी और अपने बिजनेस को सफल बनाने का प्रयास करते रहे। बहुत संघर्ष के बाद आखिरकार हिरण्मय एक सफल बिजनेस मैन बन ही गए। उनकी इस सफलता के लिए वर्ष 2017 में उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है।

मात्र 22 वर्ष की उम्र में हिरण्मय गोगोई ने जो कर दिखाया, वह बेहद सराहनीय है। किसी ने सच ही कहा है, सफलता किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। उनकी कहानी सैकड़ों युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो खुद की एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं। – Hironmoy Gogoi Founder of ‘Gaon Ka Khana’ doing home delivery of food

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