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जरबेरा: एक ऐसा फूल जिसकी खेती आपको मालामाल बना सकती है, जानिए पूरी विधि

कोरोना महामारी ने आर्थिक स्थिति में भूचाल लाकर रख दिया है. लेकिन इस स्थिति में भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिनके दम से इंसान आर्थिक रूप से सशक्त बन सकता है. इसी कड़ी में है फूलों की खेती का व्यवसाय. फूलों की खेती (Flower Farming) किसानों के लिए मुनाफेदार साबित होती है. फूलों का उपयोग गुलदस्ते बनाने और विभिन्न सजावट उद्देश्यों के लिए किया जाता है.इसके अलावा फूलों की मांग हर मौसम और समारोह में रहती है,इसलिए इसकी खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है. आज हम इसी व्यवसाय से संबंधित बात करेंगे. आज हम बात करेंगे जरबेरा नामक फूलों की खेती के विषय में, इसकी खेती न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में की जाती है.

जरबेरा फूल (Gerbera flower)

चमकीले रंग का होने वाला जरबेरा का फूल वैज्ञानिक तौर पर Asteraceae परिवार से ताल्लुक रखता है. इसे अफ्रीकी डेजी या जरबेरा डेज़ी के नाम से भी जाना जाता है. आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि जरबेरा फूल कि बहुत ज्यादा मांग होती है. ये फूल एक लंबे समय तक खराब नहीं होता जिसके कारण यह व्यापारियों के लिए वरदान के समान है. इसके खराब न होने के गुण के कारण ही इनका उपयोग शादियों, पार्टियों और समारोहों में व्यापक रूप से किया जाता है.

अनुकूल जलवायु (Favorable Climate)

जरबेरा की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय स्थिति में दोनों में की जा सकती हैं . लेकिन,जब उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में इसकी खेती की जा रही हो तब इसे पाले से बचाना बहुत जरूरी होता है. आप ध्यान रखे कि यह फूल पाले प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं.

मिट्टी की गुणवत्ता (Soil Quality )

इस फूल कि खेती के लिए मिट्टी का सूखा और छिद्रपूर्ण होना जरूरी शर्त है. आपको बात दें कि इसके पौधे की जड़ों की लंबाई 70 सेमी होती है, अतः यह बहुत जरूरी हो जाता है कि मिट्टी में आसानी से इसका रोपण किया जाए. वहीँ, फूलों के रोपण में मृदा बंध्याकरण एक महत्वपूर्ण कार्य होता है. मिट्टी को कीटाणु के प्रकोप से बचाने के लिए मिटटी का बंध्याकरण आवश्यक है. अगर बंध्याकरण नहीं किया जाए तो ये कीटाणु फसल को बर्बाद कर सकते हैं. इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.

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जरूरी तापमान (Required Temperature)

जरबेरा फूल की खेती के लिए सबसे आदर्श तापमान दिन का 22 से 25⁰C के बीच और रात का तापमान 12 से 16⁰C के बीच उचित होता है.

खाद प्रयोग की विधि (Method of Manure Use)

उपज बहुत अच्छी हो और इससे बहुत मुनाफा कमाया जा सके इसलिए आवश्यक है कि खाद का प्रयोग सही मात्रा और सही तरीके से किया जाए. पौधों के विकास के लिए खाद एक महत्वपूर्ण कदम है. खाद डालने की प्रक्रिया का पालन इस प्रकार से करें –
● मिट्टी में पहले तीन महीनों के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फेट, पोटेशियम की मात्रा 12:15:220 ग्राम अनुपात में डालना चाहिए.
● चौथे महीने में खाद का अनुपात नाइट्रोजन, फॉस्फेट, पोटेशियम 15:10:30 ग्राम/ वर्ग मीटर होना चाहिए.
● कैल्शियम, मैग्नीशियम, तांबा जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव 0.15 प्रतिशत – महीने में एक बार किया जाता है.

कटाई की प्रक्रिया (Harvesting Process)

● जरबेरा पौधे रोपण के तीन महीने के भीतर फूल देना प्रारंभ कर देते हैं,
● लेकिन, रोपण के दो महीनों में यदि पौधे कलियां देना शुरू कर देती हैं, तब उसे तोड़ दिया जाता है.
● पहले दो महीनों के बाद विकसित होने वाले कलियां फूलों में विकसित होने लगती हैं.
● जब फूल पूरी तरह से खिल जाते हैं,तब उन्हें काटना शुरू कर देते हैं.
● जब फूल पूरी तरह खिल जाते हैं, तो बाहरी डिस्क को फूल डंठल को फूलों से काटा जाता है
● बाहरी डिस्क को फूल डंठल को कुछ घंटों के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट के घोल में धोया जाता है.
● इसके बाद में आकार, छाया के अनुसार उसकी छटाई की जाती है.
● छटाई और वर्गीकृत करने के बाद उसे पैक किया जाता है.
● फूलों को पहले पॉली पाउच में पैक (Pack) किया जाता है और उन्हें कार्डबोर्ड बॉक्स में पंक्तियों में सेट किया जाता है.

Disclaimer: The Logically की तरफ से हम अपने पाठकों से आग्रह करते हैं कि कोई भी बिजनेस या काम शुरू करने से पहले आप उसके बारे में गहन अध्ययन जरूर कर लें। जबरेरा फूल से सम्बंधित और भी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है, उसे पढें तभी आगे बढ़ें

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संध्या इतिहास से पोस्ट ग्रेजुएट हैं और लेखनी में काफी सक्रिय हैं। अभी तक संध्या अनेकों प्रतिष्टित मीडिया चैनलों के साथ काम कर चुकी हैं, समाजिक मुद्दों पर अपनी मजबूत पकड़ रखने के कारण अब वह The Logically के साथ सकारात्मक खबरों को लिख रही हैं।

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