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सरकारी नौकरी छोड़ 6 एकड़ ज़मीन से शुरू की खेती, अब कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से कमा रहे करोड़ों

आमतौर पर अधिकतर इंसान की ख़्वाहिश उच्च शिक्षा ग्रहण कर गवर्मेन्ट जॉब या मोटी रकम वाली नौकरी कर खुशहाल जीवन व्यतीत करने की होऐ है, लेकिन जिन व्यक्तियों को अपने धरती मां से स्नेह हो, वह अपने देश की मिट्टी की तरफ आकर्षित हो ही जाते हैं। आज का यह लेख उपर्युक्त बातों से मिलता-जुलता है। एक शख़्स ने अपनी गर्वनमेंट जॉब छोड़कर अपनी मिट्टी को महत्व देते हुए, खेती का श्रीगणेश किया और खेती के जरिए करोड़ों की कमाई कर रहे हैं।

गुरु प्रसाद पवार का परिचय

गुरु प्रसाद पवार (Guru Prasad Pawar) मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के बीजकवाड़ा (Bijakwara) ग्राम से सम्बन्ध रखते हैं। शुरू से ही वह पढ़ने में तेज-तर्रार थे। शुरुआती शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। उसके उपरांत पीटीआई किया। वर्ष 2004 में शिक्षाकर्मी क्लास-2 में उनकी जॉब 5,000 रुपए प्रतिमाह पर लगी। यहां उन्होंने 3 वर्षों तक इस जॉब को किया फिर उन्हें यह एहसास हुआ कि इतने कम पैसों में गुंजाइश नहीं हो सकती। जॉब के साथ उन्होंने अपनी 6 एकड़ पैतृक भूमि में खेती का श्रीगणेश किया और सर्वप्रथम लहसुन उगाया।

Guru Prasad Pawar earning crores through Contract farming

डेढ़ लाख का लोन, 10 लाख का फायदा

उन्होंने अपनी खेती के लिए बैंक से 1.5 लाख रुपये लोन लिए और खेती प्रारंभ की। लगभग 5 महीने में उनके खेतों में लहसुन का उत्पादन हुआ उन्होंने उसे बेचकर 10 लाख रुपए तक लाभ कमाए। इस सफलता के उपरांत उन्होंने वर्ष 2007 में अपनी नौकरी को अलविदा कहा और पूर्णतः खेती से जुड़ गये। वर्तमान में उनके पास लगभग 50 एकड़ भूमि है।उनका वार्षिक टर्नओवर 2 करोड़ के पास पहुंच चुका है।

ड्रिप इरीगेशन द्वारा करते हैं सिंचाई

गुरु इस बात से परिचित थे कि खेती में सिंचाई के लिए जल की आवश्यकता है, लेकिन उनके यहां जल की किल्लत के कारण बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न हुई। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से वार्तालाप कर ऐसे फसल चक्र का निर्माण किया, जिसके द्वारा 1 वर्ष में खरीफ और रबी फसलों का उत्पादन अधिक मात्रा में हो सके। इन दोनों फसलों के बीच में उन्होंने कुछ ऐसे फसल भी लगाये, जिनके द्वारा मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और पैदावार भी अच्छी होती हो। खेतों में सिंचाई के लिए उन्होंने ड्रिप इरिगेशन पद्धति को अपनाया, जिससे सिंचाई में मजदूरों की जरूरत नहीं पड़ती है। इतना ही नहीं अब वह कांट्रेक्ट फार्मिंग भी कर रहे हैं।

कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के लाभ

गत वर्ष के उदाहरण के तौर पर उन्होंने यह जानकारी दी कि कंपनी ने लगभग 27.70 प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज प्रदान किया था। अब रेटिंग तय हुई और 30 नवंबर तक लगभग 16.64 रुपए रेट तय हुआ। आगे यह कुछ घटा फिर 15- 31 दिसंबर तक इसका रेट 14.09 हुआ। आलू का भाव अधिक होने के कारण कंपनी ने उनसे 24 प्रति किलोग्राम हिसाब के दर से आलू खरीद लिए। वह पेप्सिको के साथ कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग करते हैं फिर फसलों को उगाते हैं। प्रत्येक वर्ष वह नकदी फसलों के तौर पर उन्ही फसलों को उगाते हैं, जिनका डिमांड मार्केट में अधिक हो। वह आलू, गेंहू, सब्जी और फल आदि भी उगाते हैं।

मिला है सम्मान

वर्ष 2019 में गुरु को स्टेट और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर प्रगतिशील कृषक के रूप में सम्मान भी प्राप्त है। उन्होंने बताया कि अगर मैं एक शिक्षक होता तब इतनी सफलता हासिल नहीं कर पाता, जो खेती से मुझे मिली है। अपनी मेहनत से मिट्टी में सोना उगाने जैसा कार्य कर, अन्य किसानों को भी इसके गुड़ सीखाने के लिए हम गुरु प्रसाद पवार की प्रशंसा करते हैं।

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