Saturday, December 9, 2023

IIT के बाद विदेश में नौकरी कर चुके हैं, फिर UPSC की परीक्षा में टॉप कर IAS बन गए: कनिष्क कटारिया

UPSC को देश का सबसे समानित परीक्षा माना जाता है। सम्मानित होने के साथ-साथ यह बेहद कठिन भी है। सिविल सर्विस की परीक्षा में सफल होने के लिये लाखों विद्यार्थी दिन-रात एक कर मेहनत करते हैं परंतु हर कोई सफल नहीं हो पाता। सफलता उनके ही कदम चूमती है जो अपने आप को लक्ष्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित कर देते हैं। UPSC में अधिकतर विद्यार्थी पहले प्रयास में सफलता हासिल नहीं कर पाते, उन्हें 1-2 अटेम्पट के बाद इस परीक्षा में कामयाबी हाथ लगती है। परंतु हमारे देश में ऐसे भी कई विद्यार्थी हैं जो प्रथम प्रयास में ही सफलता के शिखर को छुते हैं।

यूपीएससी में सफल होने के साथ-साथ टॉप करना बेहद गर्व की बात है। सिविल सर्विसेज में सफलता हासिल करना कई लोगों का लक्ष्य होता है। कई विद्यार्थी ऐसे भी है जो अपने माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिये इसकी तैयारी करते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं।

आज हम आपकों ऐसे ही एक युवा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने प्रथम प्रयास में ही UPSC में ऑल इंडिया 1 रैंक हासिल कर अपने पिता के सपने को पूरा किया तथा सफलता की बेहद प्रेरणादायी मिसाल पेश की है। आइये जानते हैं, उनके बारे में।

Kanishak Kataria IAS

कनिष्क कटारिया (Kanishak Kataria) राजस्थान के जयपुर (Jaipur) के रहने वाले हैं। कनिष्क के पिता सिविल सर्विस में हैं, इसलिए वे चाहते थे कि उनका बेटा कनिष्क भी सिविल सर्विस की तैयारी करे। अपने पिता के सपने को साकार करने के लिये कनिष्क ने यूपीएससी की तैयारी शुरु कर दी। कनिष्क ने अपनी मेहनत और लगन से यूपीएससी में टॉप किया। UPSC (Union Public Service Commission) की वर्ष 2018 सिविल सर्विस परीक्षा में पहली प्रयास में प्रथन रैंक के बारे में सूचना मिलने पर कनिष्क और उनके परिवार जन भावुक हो गये। कनिष्क की एक बहन है और वह मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। कनिष्क की मां होममेकर है।

यह भी पढ़ें :- 4 बार UPSC में हुए फेल लेकिन हार नही मानी और आखिरी बार मे पूरे भारत में टॉप किये, रैंक 1 लाकर बने IAS

कनिष्क आरंभ से ही पढ़ने में रुचि होने के साथ होशियार भी थे। उनको 10वीं और 12वीं कक्षा में 90 फीसदी से अधिक अंक मिले थे। कनिष्क IIT ज्वाइंट एंट्रेस इग्जाम (JEE) में ऑल इंडिया 44 रैंक के साथ सफल हुये थे। अच्छे अंको से पास होने की वजह से उनका नामांकन IIT बम्बे (IIT Bombay) में हो गया। वहां से उन्होंने कम्प्यूटर साइंस से स्नातक किया। वहां से पास होने के बाद कनिष्क अपने जीवन को थोड़ा सा एक्सप्लोर करना चाहते थे इसलिए डेढ़ वर्षों तक साउथ कोरिया (South Korea) में नौकरी किए। उसके बाद वापस भारत आने के बाद वे बेंगलुरु में 1 वर्ष तक सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी में कार्य किए। वहां उन्हें देश और विदेश के बीच सिस्टम में फर्क नज़र आने लगा। उन्हें लगा कि यदि सिस्टम में बदलाव लाना है तो सिस्टम में जाना पड़ेगा।

कनिष्क बताते है कि उनकी पढाई का कोई विशेष पैटर्न नहीं था। उनके मित्रों ने कुछ योजना बनाये थे, जिसको कनिष्क भी तोड़-मडोड़ कर फॉलो करते थे। आरंभ में कनिष्क को बेसिक आईडिया समझने के लिये दिल्ली में IAS कोचिंग ज्वाइन करनी पड़ी। उसके बाद कनिष्क वर्ष 2018 से सेल्फ स्टडी करने लगे। साधारणतः कनिष्क पढाई के लिये 8 से 10 घंटे का समय देते थे। परंतु जैसे-जैसे मेन्स का परीक्षा समीप आने लगा प्रेशर बढ़ने लगा। उसके बाद कनिष्क ने अपने समय सीमा में बढोतरी कर दिया। वे प्रतिदिन 14 से 15 घंटे पढाई करने लगे।

कनिष्क अपनी पसंद के बारे में बताते है कि उन्हें क्रिकेट और फुटबॉल देखना पसंद है। कनिष्क सचिन तेंदुलकर को अपना ऑल टाइम फेवरिट क्रिकेटर और करंट लॉट से विराट कोहली को अपना पसंदीदा क्रिकेटर मानते हैं।

The Logically कनिष्क कटारिया को उनकी सफलता के लिये ढेर सारी शुभकामनाएं देता है।